महासमुन्द

बिना चप्पल,कीचड़ से सराबोर स्कूल पहुंच रहे बहेरापाली के बच्चे, शिक्षक की कमी भी
28-Jul-2024 2:30 PM
बिना चप्पल,कीचड़ से सराबोर स्कूल पहुंच रहे बहेरापाली के बच्चे, शिक्षक की कमी भी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,28जुलाई। कीचड़ युक्त मार्ग के अलावा मिडिल स्कूल बहेरापाली के विद्यार्थी विषय शिक्षक की कमी से जूझ रहे हैं। हिन्दी व गणित मुख्य विषय के शिक्षक नहीं हैं। दो शिक्षक के भरोसे ही मिडिल की तीन कक्षाएं लग रही हैं। विषय शिक्षक की कमी के कारण विद्यार्थी स्वअध्ययन कर कोर्स पूरा करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

समय रहते शासन प्रशासन द्वारा डबल केजव्हील ट्रैक्टर पर पाबंदी नहीं लगाने का नतीजा बहेरापाली के स्कूली बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। ग्राम बहेरापाली में गांव से बाहर जंगल किनारे मिडिल स्कूल भवन है। जहां तक विद्यार्थियों को पहुंचने के लिए कच्चे मार्ग पर डबल कैजव्हील ट्रैक्टर से हुए कीचड़ में सराबोर रास्ता पार करना पड़ रहा है। इस गांव से स्कूल की दूरी लगभग आधा किलोमीटर पर है। जहां छिर्रापाली, बहेरापाली दो गांवों के 43 विद्यार्थी अध्यनरत है।

कीचड़ मार्ग के अलावा विद्यार्थी दो विषय शिक्षक की कमी से भी जूझ रहे हैं। गांवों में रबी सीजन में फसल कटाई के बाद फसल अवशेष को सड़ाने व खेत को रोपाई के लिए तैयार करने बारिश की शुरुआत में ही डबल केजव्हील ट्रैक्टर का उपयोग प्रारंभ हो जाता है। शिक्षकों ने बताया कि पूरे शिक्षा सत्र के दौरान इस आधा किलोमीटर स्कूल पहुंच मार्ग पर विद्यार्थी कीचड़ से सरोबार होकर ही स्कूल पहुंचते हैं।

 उन्होंने बताया कि बरसात में तो डबल कैजव्हील ट्रैक्टर से मार्ग कीचड़ युक्त हो जाता है। जबकि अन्य मौसम में एक नलकूप का अतिरिक्त पानी रोड पर बहने से कीचड़ में तब्दील हो जाता है। ऐसा भी नहीं है कि यहां सीसी रोड का निर्माण नहीं हुआ है। पंचायत द्वारा दो बार सीसी रोड का निर्माण करवाया गया था। लेकिन डबल कैजव्हील ट्रैक्टरों पर पाबंदी नहीं लगाए जाने के कारण यहां गड्ढे ही गड्ढे हैं। 

स्कूल के प्रधान पाठक नेमीचंद भोई ने बताया कि स्कूल तक पहुंच मार्ग पर पूरे सत्र भर विद्यार्थियों को कीचड़ से होकर ही गुजरना पड़ता है। मिडिल स्कूल परिसर में संकुल केंद्र भी है। लेकिन कीचड़ के कारण प्राथमिक स्कूल में ही संकुल बैठक व संकुल संबंधित कार्य होते हैं। शिक्षक की से 2 साल में ही सभी कंक्रीट मार्ग उखडक़र मार्ग खराब हो गया है। गांव से बाहर निकलते ही स्कूल पहुंचने तक पूरा रास्ता कीचड़ ही कीचड़ है। विद्यार्थी बगैर जूता-चप्पल के नंगे पैर स्कूल पहुंचते हैं। बच्चे तो किसी तरह पैदल कीचड़ में बिना चप्पल के स्कूल तक

पहुंच जाते हैं। लेकिन शिक्षकों को अपने वाहन को कीचड़ से पार करना खतरे से कम नहीं रहता। उन्हें तो कई दफ ा गांव में ही वाहन छोडक़र पैदल स्कूल तक पहुंचना पड़ता है। कई बार तो विद्यार्थी, पालक, शिक्षक की मांग को लेकर तालाबंदी भी कर चुके हैं। 43 बच्चों के लिए वर्तमान में दो शिक्षक ही पदस्थ हंै। विषय शिक्षक की कमी विगत 10 वर्षों से बनी हुई है। जिसकी जानकारी शिक्षा विभाग को दी जा चुकी है।

स्कूल में बहेरापाली के अलावा मौखापुटका, कौहाकुंडा, कनकेबा, प्रेतेनडीह, बैतारी आदि गांवों के बच्चे पढऩे आते हैं। बताया जाता है कि मोखापुटका, कौहाकुंडा में तो खेत से ज्यादा गांव की गली कीचड़मय है। जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी नारायण बंजारा से संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।

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