महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 28 दिसम्बर। खरीफ फसल की उपज को भी बेचने किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किसान अपनी पूरी उपज नहीं बेच पा रहे हैं। यही हाल रबी फसल के उपज का होता है। उस दौरान भी किसान अपने उपज को मंडी में औने-पौने दाम में बेचता है।
सरकार खरीफ फसल के धान को प्रति एकड़ 15 क्विंटल की ही खरीदी कर रही है। जबकि एक एकड़ में 22 से 25 क्विंटल धान का उत्पादन होता है। शेष धान को किसान औने-पौने में बेचने मजबूर हैं। मालूम हो कि इन दिनों जिला प्रशासन ने बिचौलियों व राइस मिलर्स के पास धान बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यदि बेचते हुए पाए गए तो उस पर पांच गुना टैक्स भी वसूला जाएगा। इसी डर के कारण मिलर्स व बिचौलिया भी धान लेने के लिए कतरा रहे हैं। हालांकि प्रतिदिन विभाग कार्रवाई कर रहा है। खरीदी के बाद जिन किसानों का धान पकड़ा गया है, उसे पांच गुना टैक्स अदा करने के बाद छोड़ेंगे। इसके अलावा बड़े किसान न तो मंडी में धान बेच रहे हैं और ना ही जिले के 1557 किसान ऐसे हैं जिनका पंजीयन समर्थन मूल्य में धान बेचने के लिए नहीं हुआ है। इन किसानों ने भी खरीफ सीजन में धान की फसल ली है।
प्रशासनिक लापरवाही के चलते ये किसान छूट गए हैं। इन किसानों को अब धान बेचने में दिक्कतें आ रही है।