महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 28 दिसम्बर। काव्यांश साहित्य व कला पथक संस्थान ने प्रांतीय कार्यालय में रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके जन्मदिन पर याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया साथ ही गीता जयंती पर वक्ताओं ने गीता में सम्पूर्ण जीवन जीने की कला समाहित होने की बात कही।
संस्थान के सदस्यों ने अपनी मौलिक रचना के साथ-साथ वाजपेयी की रचनाओं का भी वाचन कर उन्हें याद किया। फारूक मोहम्मद फिरदौस ने वाजपेयी पर लिखे अपना संस्मरण पढक़र उन्हें सर्वमान्य जन-जन की नेता कहा। अध्यक्ष भागवत जगत भूमिल ने कहा कि वे जब कभी सभा को सम्बोधित कर रहे होते तब सभा में विपक्ष का पता नहीं रहता था। वे भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे।
कार्यक्रम के द्वितीय सोपान में कवियों ने अपनी रचना पढ़ी। युवा कवि धनेश्वर कुमार निषाद ने अपनी रचना सौभाग्य से मिला मानव देह प्रस्तुत किया। सुब्रमण्यम कुमार बंजारे ने कितना खुश है वह अपनी आजादी को पाकर पढ़ा। पुष्पलता भार्गव सुनंदा ने तुझे बहार कहूं या फिजा कहूं जिंदगी गाकर खूब तालियां बटोरी। द्रौपदी साहू सरसीज ने समय की गति को कोई रोक नहीं पाया, चला गया व्यर्थ में वापस कभी न आया कविता पाठ किया। शफीक अहमद खान बेबाक ने कहा कि चारों तरफ आग लगी है उसे बुझाना होगा।