महासमुन्द

पंचायत ने किया हेमलाल के परिवार को गांव से बहिष्कृत, 27 हजार का अर्थदंड भी
29-Dec-2020 4:41 PM
 पंचायत ने किया हेमलाल के परिवार को गांव  से बहिष्कृत, 27 हजार का अर्थदंड भी

पीडि़तों से गांव वालों की बातचीत बंद, दुकान से राशन भी नहीं देते 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 29 दिसम्बर।
जिले में सामाजिक बैठक की आड़ में बहिष्कार और अर्थदंड लगाए जाने का एक मामला महासमुन्द जनपद क्षेत्र के नवीन ग्राम पंचायत भावा थाना पटेवा में सामने आया है। 
 हेमलाल यादव (35 ) का पंचायत ने बहिष्कार कर दिया है। हेमलाल यादव पर गांव के नियम नहीं मानने का आरोप है लिहाजा पंचायत ने उसके पूरे परिवार को गांव से बहिष्कृत कर दिया है साथ ही 27 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। पंचायत के फरमान के बाद यादव के परिवार से बातचीत तक नहीं कर रहा है। उसके परिवार को गांव के राशन दुकान से राशन नहीं मिल रहा है। परेशान होकर पीडि़त परिवार ने समाजसेवी लोकेश चन्द्राकर से मिलकर न्याय की गुहार लगाई है। 

पीडि़त परिवार ने लोकेश चंद्राकर को जानकारी दी है कि  -मैं वन विभाग में चौकीदार का कार्य करने रायपुर आता जाता हूं। राज्य शासन के निर्देशानुसार कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव हेतु शासन के नियम के तहत मेरे रायपुर से आने के पूर्व ग्राम सरपंच को अवगत कराया गया था। साथ ही होम क्वारेंटाइन में जाने के पूर्व मेरे द्वारा उच्चाधिकारी के निर्देशानुसार खण्ड चिकित्सा अधिकारी बीएमओ स्वास्थ्य केंद्र तुमगांव द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कर शपथ पत्र बनाया गया। 

मैंने थाना पटेवा में भी सूचना दे दी थी। इसके बाद मैंने 14 दिन होम क्वारेंटिन का पालन भी किया। इसके बावजूद गांव के प्रमुख सदस्यों ने शासकीय आदेश को अमान्य बताकर कवारेंटाइन सेंटर में नहीं रहने और गांव के नियम नहीं मानते हो कहकर एक बैठक आहुत कर 27 हजार रुपए अर्थ दंड लगा दिया। राशि जमा नहीं करने के कारण मुझे और मेरेे परिवार को गांव से बहिष्कृत कर दिया है। मेरे परिवार से कोई भी बातचीत नहीं करता और राशन दुकानों ने लेन देन बंद करा दिया है।

हेमलाल की मानें तो उसके पिता के साथ गांव के समिति अध्यक्ष के साथ पुराना विवाद है जमीन के लेन-देन का। इसीलिए साजिश के तहत एक दिन गांव में सामाजिक बैठक का आयोजन किया और बिना उसका पक्ष जाने 27 हजार रुपए का दंड या फिर गांव से बहिष्कृत करने की घोषणा कर दी।

पीडि़त के मुताबिक गांव में यह नियम बना दिया गया है कि यदि उससे कोई बात करेगा तो उसे 27 हजार व अलग अलग स्थिति में हजारों रुपए जुर्माना देना होगा। जुर्माने के डर से कोई उससे बात नहीं करता है। उनकी परेशानियां जानने के बाद लोकेश चंद्राकर ने पंचायत से बात कर पीडि़त को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है। 
 

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