महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 29 दिसंबर। स्थानीय सहकारी समिति में धान की खरीदी नियमों के अनुसार जारी है। वहीं कृषि उपज मंडी अब भी किसानों की पहुच से दूर है। मंडी में अभी भी धान की बोली लगने की बजाय सौदा पत्रक ही उपयोग कर किसानों का नुकसान किया जा रहा है।
मंगलवार की सुबह ‘छत्तीसगढ़’ प्रतिनिधि ने कृषि उपज मंडी एवम स्थानीय सहकारी समिति धान खरीदी केंद्र का दौरा किया,समिति द्वारा किसानों का धान तौल करवाया जा रहा है।प्रभारी रामकृष्ण मने ने बताया कि अब तक इस समिति में कुल 23000 क्विंटल धान की आवक हो चुकी है।जिसका भुगतान भी ऑनलाइन किसानों के बैंक खातों में सीधे जमा किया जा रहा है।कुल अवाक से करीब आधा 12000 क्विंटल धान का उठाव हो जाने से अब जगह की समस्या का समाधान होता जा रहा है।धान स्टैग के लिए आगामी सप्ताह भर के लिए अभी जगह उपलब्ध है।परन्तु खरीदी के साथ उठाव चालू रहने से अब समस्या नही है।
किसान खुद बोरा भर रहे
इधर शासन की धान विक्रय के दौरान किसानों के कोई पैसे नही लगने की घोषणा के बाद भी हमलों द्वारा धान कट्टा में भरने का दो रुपये प्रति कट्टा लेने से किसान स्वयम ही धान को सरकारी प्लास्टिक बारदाने में भरते दिखाई दिए।
मंडी, सौदा पत्रक की संख्या बढ़ी
सहकारी समिति से बाहर किसानों द्वारा अन्य स्थान पर धान बेचने पर उनके भारी शोषण की खबरे भी मिल रही है।विगत वर्ष मंडी में व्यापारियों द्वारा बोली लगा कर 1400 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक दर पर धान का विक्रय किया था।परन्तु इस वर्ष किसानों को मंडी द्वारा यह सुविधा प्रदान नही की गई।बल्कि इस वर्ष मंडी व्यवसायियो के हित में काम करती दिख रही है। मंडी में बोली लगवाकर प्रतिस्पर्धा में अधिक मूल्य किसानों को दिलाने की बजाय सीधे व्यवसायियों को सौदा पत्रक दे कर अपना मंडी शुल्क ले रही है। मंडी अधिकारी के अनुसार अब मंडी में विगत पखवाड़े से अधिक संख्या में धान के सौदा पत्रक कट रहे है। और धान का भाव 1350 तक व्यापारी खरीद रहे है।अभी प्रतिदिन के सौदा पत्रक भी 300 क्विंटल से बढक़र 400 क्विंटल तक कट रहे हैं। ज्ञात हो कि विगत वर्ष मंडी में किसानों को बोली की सुविधा दी गयी थी जिससे व्यवसायियों ने 1400 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल तक धान की खऱीदी की थी।