महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 2 फरवरी। आस्था साहित्य समिति महासमुन्द द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 73वीं पुण्यतिथि के अवसर पर शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महासमुन्द परिसर में साहित्यकार एस. चन्द्रसेन की अध्यक्षता में काव्य विनयांजली के माध्यम से श्रद्घासुमन अर्पित की गयी। इस अवसर पर प्रसिद्घ साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि एवं महामानव जयशंकर प्रसाद के जयंती के अवसर पर उन्हें स्मरण करते हुये काव्य पंक्तियां समर्पित की गयी।
आस्था साहित्य समिति अध्यक्ष एवं साहित्यकार आनंद तिवारी ने काव्य विनयांजलि के माध्यम से कहा कि इन पथ भूलों को राह नई दिखा जाओ। संकट में भारत है बापू, एकबार फिर आओ। शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य महाविद्यालय महासमुन्द से सहायक प्राध्यापक साहित्यकार सीमा रानी प्रधान ने पंक्तियां समर्पित करते हुये कहा कि श्रद्घांजलि नमन् वंदन हे महामानव, इस उम्मीद के साथ तुम फिर लौटोगे भारत भूमि पर, हजारों कोख तुम्हें धारण करने को तुम्हारी प्रतिक्षा में है। प्रसिद्घ लघु कथाकार महेश राजा अपनी लघु कथा के माध्यम से अपनी श्रध्दांजलि अर्पित की। अध्यक्षीय आसंदी से काव्य पाठ करते हुये एस. चंद्रसेन ने कहा कि सर कलम करो गद्दारों का,मां का आंचलन साफ करो, जगह जगह जो दाग लगाये कलंकितों को न माफ करो।
काव्य विनयांजली में हिस्सा लेते हुये साहित्यकार डा. साधना कसार ने पंक्तियां अपमनाओ तुम रिश्तों को धागे बढ़ाओ, आस्था अपनी बढ़ाओ तुम पढ़ीं। बालिकाओं पर हो रहे अत्याचार एवं कन्या बचाओ को उजागर करते हुये साहित्यकार सरिता तिवारी की पंक्तियां पल भर में जीवन को मृत्यु ने भींच लिया, मेरी चीखें घुट गई मां तेरी लाड़ली लुट गई पढ़ी। इस अवसर साहित्यकार सुरेन्द्र अग्निहोत्री, कमलेश पाण्डेय, टेकराम सेन चमक की काव्य पंक्तियां काव्य विनयांजली को शिखर तक पहुंचा दिया। प्रारंभ में सुरेन्द्र अग्निहोत्री के सुमधुर आवाज में गांधी जी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिये जी से सभा की समाप्ति हुई।