महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 2 फरवरी। महासमुन्द जिले के किसानों को जल्द ही किसान मॉल की सौगात मिलेगी। किसान मॉल बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर मंडी बोर्ड रायपुर भेज दिया गया है। बोर्ड के एमडी से स्वीकृति मिलने के पश्चात इस पर काम शुरू होगा। जानकारी के अनुसार प्रस्ताव को हरी झंडी मिल चुकी है और महज औपचारिकता ही शेष है।
शहर के बीचों-बीच कृषि उपज मंडी की चार एकड़ भूमि लम्बे समय से खाली पड़ी है। पिटियाझर में नई मंडी तैयार होने के बाद से ही यहां भाजपा शासन काल में किसान मॉल तैयार करने सम्बंधी योजना तैयार की गई थी। पांच साल पहले इसकी योजना तैयार तो हुई थी लेकिन स्वीकृति नहीं मिलने से मामला लटक गया था। अब एक बार फिर से इस दिशा में काम शुरू हो गया है। महासमुन्द विधायक विनोद चंद्राकर ने बताया है कि किसान मॉल बनाने के लिए तैयार प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल चुकी है। साहू समाज के कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री पहुंचे थे, तो इस विषय पर चर्चा हुई थी। उन्होंने इस पर अपनी स्वीकृति भी दे दी है। मॉल का पूरा ड्राइंग डिजाइन तैयार है और उसे कलेक्टर के माध्यम से एप्रूवल के लिए एमडी ऑफिस मंडी बोर्ड भेजा गया था। हमें उम्मीद है कि जल्द ही उसे स्वीकृति मिल जाएगी और आने वाले कुछ महीनों में काम शुरू हो जाएगा।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले एक साथ 55 दुकानों के निर्माण की तैयारी किसान मॉल में की जा रही थी। लेकिन अब इसकी संख्या कम करने की तैयारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार पूर्व में तैयार किए गए डिजाइन में थोड़ा बदलाव किया गया है। इसके चलते दुकानों की संख्या कम हो जाएगी और साइज बढ़ जाएगी। इस किसान मॉल को तैयार करने के लिए करीब 10 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसका ड्राइंग और डिजाइन तैयार हो चुका है। मॉल के निर्माण के लिए शासन से कोई बजट नहीं मिलेगा। बल्कि निर्माण कार्य कृषि उपज मंडी करेगी। प्रस्ताव के तहत मॉल का निर्माण अलग.अलग किस्तों में होगा। पहले चरण में ग्राउंड फ्लोर का काम होगा। इन दुकानों की बिक्री से प्राप्त राशि के आधार पर ही दूसरे माले का निर्माण शुरू होगा।
पांच साल पहले महासमुन्द में प्रदेश का दूसरा किसान मॉल बनाने की योजना तैयार की गई थी। भाजपा शासन काल में बनी इस योजना के तहत प्रस्ताव तैयार कर लिया गया था। मॉल के लिए आर्किटेक्चर के लिए समिति भी बन गई थी, लेकिन बाद में इसे स्वीकृति नहीं मिल पाई। यही कारण है कि यह योजना अधर में चली गई थी। अब एक बार फिर से इस दिशा में प्रयास शुरू हुआ है।