महासमुन्द
![अवैध प्लाटिंग की शिकायतें, जांच की मांग अवैध प्लाटिंग की शिकायतें, जांच की मांग](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/16133934241.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 15 फरवरी। पिथौरा क्षेत्र में अवैध जमीनों पर भी प्लाटिंग कर बेचने की शिकायत मिलने लगी है। स्थानीय युवक कांग्रेस नेता कौशल रोहिल्ला ने इस मामले में पिथौरा एसडीएम से एक शिकायत की है। श्री रोहिल्ला ने बताया कि नगर के समीप फोरलेन के आसपास क्षेत्र में कुछ भू माफिया अवैध रूप से प्लाटिंग कर सरकारी जमीन को भी बेच रहे हैं।
प्रशासन को जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है जिससे भू-माफियाओं के हौसले बुलंद है। क्षेत्र के भू-माफिया इतने ताकतवर है कि क्षेत्र के एक पटवारी द्वारा उनका कार्य अवैध बताकर नहीं किए जाने के कारण उसका तत्काल स्थानांतरण करवा दिया गया। अब पटवारी के स्थानांतरण होते ही भू-माफियाओं द्वारा प्लाटिंग पुन: प्रारम्भ कर दी र्ग है।
ज्ञात हो कि क्षेत्र में जमीन की अफरा-तफरी के दर्जनों मामले चल रहे है। कुछ मामले भी दर्ज हुए है। कुछ मामलों की जांच भी चल रही है।
जांच की जाएगी-एसडीएम
स्थानीय एस डी एम राकेश कुमार गोलछा ने उस संबंध में बताया कि उनके पास भी अवैध प्लाटिंग की शिकायतें मिली हैं। पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहते हंै राजस्व नियम
इधर राजस्व मामलों के जानकारों ने बताया कि पिथौरा के आसपास जिन क्षेत्रों में प्लाट काटकर बेचे जा रहे हैं। वह सीधे-सीधे कॉलोनाइजर एक्ट के उल्लंघन का मामला है। पिथौरा के आसपास के कोई दर्जन भर ग्रामों को ग्राम निवेश क्षेत्र में शामिल किया गया है। इन ग्रामों में प्लाट काटकर बेचने कॉलोनी निर्माण हेतु विक्रेता का कॉलोनाइजर एक्ट के तहत पंजीयन एवं उसके बाद ग्राम निवेश बोर्ड से अनुमति आवश्यक है। परन्तु वर्तमान में प्लाट बनाकर बेचे जा रही जमीन में खुलेआम इन नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। वैसे जानकारों ने बताया कि इस तरह प्लॉट बनाकर बिक रही जमीनों का मिशल अधिकार अभिलेख निकलवाकर अवश्य जांच की जानी चाहिए जिससे जमीन की वास्तविकता सामने आ सके।
पहले डायवर्सन फिर प्लेट बिक्री
इस संबंध में श्री रोहिल्ला ने बताया कि क्षेत्र में सामान्य व्यक्ति को ना बेचे जा सकने वाली आदिवासी भूमि को खरीदकर पहले उसका डायवर्सन कराया जाता है। इसके बाद किसी भी सामान्य व्यक्ति को प्लाटिंग कर बेचा जा रहा है। इस संबंध में स्थानीय पटवारी राजेन्द्र डोंगरे ने बताया कि आदिवासियों की फर्जी मंजूरी से खरीदी गई भूमि पुन: आदिवासियों के नाम वापस आ चुकी है। परन्तु इसके बावजूद कुछ लोगों द्वारा उनसे सामान्य जमीन का अभिलेख मांगा जा रहा है,जो कि दे पाना संभव नहीं है। इस तरह के क्षेत्र में अनेक मामले है।