महासमुन्द

टॉवर लगाने के नाम पर ग्रामीण से 4.15 लाख की ठगी
16-Feb-2021 3:33 PM
टॉवर लगाने के नाम पर ग्रामीण से 4.15 लाख की ठगी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 16 फरवरी।
कोमाखान थाना क्षेत्र के दाईजबांधा गांव में एक ग्रामीण से टॉवर लगाने के नाम पर 4.15 लाख रुपए की ठगी करने का मामला सामने आया है। ग्रामीण की शिकायत पर जांच के बाद अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार मामला सालभर पुराना है। शिकायतकर्ता ने 16 सितम्बर 2020 को कोमाखान थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। जिस पर विवेचना जारी थी। विवेचना के उपरांत रविवार को अज्ञात आरोपियों के खिलाफ  420 और 34 आईपीसी के तहत मामला पंजीबद्ध किया है। 

घटनाक्रम अनुसार दाईजबांधा निवासी रोशन लाल साहू पिता ओम प्रकाश साहू से 10 फरवरी 2020 से 1 जुलाई 2020 के बीच अलग-अलग मोबाइल नम्बर से टावर लगाने के नाम पर कुल 4 लाख 15 हजार 416 रुपए की ठगी हुई है। थाना प्रभारी सिद्धेश्वर सिंह ने बताया कि प्रार्थी की शिकायत के बाद अज्ञात के खिलाफ  मामला पंजीबद्ध किया गया है।

दर्ज रिपोर्ट के अनुसार प्रार्थी के पिता ओम प्रकाश साहू के मोबाइल नम्बर पर  8 फरवरी 2020 को अज्ञात नंबर से फोन आया। सामने वाले व्यक्ति ने प्रार्थी की जमीन पर एयरटेल कंपनी का 4 जी टावर लगाने की बात कही। इस पर प्रार्थी ने मंजूरी दे दी। प्रार्थी की मंजूरी देने के बाद दूसरे दिन अज्ञात नंबर से सैटेलाइट डिपार्टमेंट के नाम पर कॉल आया। सामने वाले ने प्रार्थी का आधार कार्ड, पेन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट साइज फोटो तथा बैंक खाता की फोटो कॉपी कार्यालय के वाट्सएप्प नंबर पर भेजने को कहा। साथ ही एनओसी के नाम पर 7500 रुपए जमा करने को कहा। सम्बंधित ने दर्शन बोरा नामक व्यक्ति के खाता में पैसे जमा कराने कहा। प्रार्थी ने उक्त राशि जमा करा दी। 

इसके बाद ठग ने 15 साल की अवधि के लिए 12 लाख एडवांस तथा 32000 रुपए प्रति महीना किराया देने की बात कही। साथ ही फिर कुछ फॉर्म, एनओसी लेटर, स्टाम्प भेजा। इसके बाद फिर अलग नंबर पर बैंक मैनेजर के नाम से कॉल आया। उक्त बैंक मैनेजर ने आईटी फाइल के नाम पर 32250 रुपए जमा कराने के लिए कहा। 

इस तरह 10 फरवरी से 1 जुलाई 2020 के बीच प्रार्थी के पास लगातार अलग-अलग नम्बर से फोन आया और एनओसीए आईटी फाइल, जीएसटी, स्टेट जीएसटी, सीजीएसटी, ई पास जैसे अलग-अलग कार्यों के नाम पर अपने खाते में यूपीआई आईडी के जरिए 4 लाख 15 हजार 416 रुपए जमा करा लिया। लंबे समय तक पैसे जमा करने के बाद प्रार्थी को ठगी का एहसास हुआ और उसने पैसे जमा कराने से मना कर दिया। 
 

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