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कमिश्नर और आईजी ने किया कोंटा में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 21 जुलाई। सुकमा जिले के अंतिम छोर कोटा में 10 दिनों बाद आखिरकार बाढ़ का पानी अब उतर चुका है, जिसके बाद जनजीवन को दोबारा से बाहर करने की तैयारी प्रशासन कर रहा है और मलबे को हटाकर नगर में सफाई का काम भी लगभग हो चुका है। लोग घरों में अब सफाई के साथ-साथ हुए नुकसान को बहाल करने में जुटे हुए हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग इलाके में ब्लीचिंग पाउडर का छिडक़ाव कर बीमारी का सर्वे करने में जुटा हुआ है।
इधर, कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा के निर्देश पर बाढ़ से लोगों को को हुए नुकसान का सर्वे डोर टू डोर किए जाने का निर्देश दिया गया जिसके बाद जिला प्रशासन के द्वारा गठित टीम अब डोर टू डोर जाकर बाढ़ के नुकसान का सर्वे कर रही है। इस बार में कच्चे मकान वाले गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं बाढ़ के बाद जहरीले जीवों और सांप भी बस्ती के अंदर घुस आए हैं, जिससे आम लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है।
19 जुलाई की रात भी कोंटा के वार्ड क्रमांक 5 में सांप काटने से एक अस्पताल में भर्ती है । वार्ड क्रमांक 12 में गोल्डी ढाबा में बाढ़ के पानी के साथ एक बड़ा पेड़ बह कर ढाबे की छत पर अटक गया था, बाढ़ का पानी उतरते ही पेड़ वही अटका रहा। ढाबा के संचालक ने बताया कि उन्होंने नगरी प्रशासन को कई बार अवगत कराया लेकिन अब तक इस भारी पेड़ को उतारने कोई नहीं आया।
बुधवार को बस्तर कमिश्नर श्याम धावडे, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी. ने कोंटा में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने राहत केंद्रों में लोगों से चर्चा कर बाढ़ में हुई क्षति तथा राहत शिविर में प्रदाय की जा रही सुविधाओं की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने राहत शिविरों में स्वच्छता, जल आपूर्ति, विद्युत व्यवस्था, भोजन व्यवस्था आदि का संज्ञान लिया।
कमिश्नर धावड़े ने राहत केंद्र पर लोगों के समयानुसार जल्दी भोजन प्रदान करने हेतु निर्देशित किया है। इसके साथ ही स्वच्छता व्यवस्था को और बेहतर करने के निर्देश दिए। इस दौरान सुकमा कलेक्टर हरिस. एस, पुलिस अधीक्षक सुनील शर्मा एवं अन्य अधिकारी गण उपस्थित रहे। राहत शिविर में लोगों ने बताया कि प्रशासन द्वारा उन्हे सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है।
वार्ड में चल रहे सर्वे कार्य का किया अवलोकन
संभागायुक्त धावड़े सहित समस्त अधिकारियों ने कोंटा नगर के बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित वार्डों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने वार्ड 14 में सर्वे कार्य का अवलोकन भी किया। उन्होंने सर्वे कार्य में लगे अधिकारियों, पटवारियों को सभी ब्यौरे व्यवस्थित रूप से संधारण करने के निर्देश दिए, जिससे क्षति का सही मूल्यांकन किया जाए, और नियमानुसार क्षतिपूर्ति राशि प्रभावितों को प्रदान की जा सके।
बीमारियों से बचाव के लिए घर घर जाकर किया जा रहा स्वास्थ्य जांच और दवा वितरण
गौरतलब है कि कोंटा नगर पंचायत क्षेत्र में बाढ़ के कारण लगभग सभी रिहायशी क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति रही। बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही, सडक़ों से मलबा हटाकर, ब्लीचिंग पाउडर का छिडक़ाव किया जा रहा है। इसके साथ ही जलजनित बीमारियों से बचाव के लिए घर घर घूमकर वार्ड वासियों की स्वास्थ्य जांच कर उन्हें दवाईयां प्रदान की जा रही है। वहीं मच्छरों से बचाव के लिए वार्डों में जनप्रतिनिधियों के सहयोग से प्रशासन द्वारा मच्छरदानी भी उपलब्ध कराई जा रही है। पेयजल की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए हैंडपंप, बोरवेल एवं अन्य जल स्त्रोतों में क्लोरिनेशन का कार्य किया जा रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 21 जुलाई। सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग पर जगरगुंडा इलाके में नक्सलियों ने जगह-जगह सडक़ काटी, इसके अलावा उस जगह पर नक्सलियों ने पर्चा भी लगाया है, जिसमें अग्निपथ योजना का विरोध नक्सलियों ने दर्ज करवाया है। हालांकि इस घटना की जानकारी मिलते ही उस इलाके में जवानों की सतर्कता की वजह से तत्काल ही मार्ग को मरम्मत कर बहाल करवाया जा चुका है ।
जैसे ही जवानों के इस बात की खबर लगी कि वहां सडक़ काटी जा रही है, पुलिस व कोबरा 201 के जवान मौके पर पहुंचे, जिसे देखकर सभी भाग खड़े हुए। मौके पर कोबरा दूसरे के जवानों ने काटे गए सभी गड्ढों को भरवा कर मार्ग को न केवल बहाल करवाया, बल्कि नक्सलियों के इस मंसूबे को भी नाकाम कर दिया, जिससे नक्सलियों की उपस्थिति के साथ-साथ जवानों की सतर्कता भी साफ तौर पर देखी जा रही है।
सुकमा एसपी सुनील शर्मा ने कहा है कि पुलिस बल और सीआरपीएफ कोबरा के जवान सेवा के लिए बिल्कुल तत्पर हैं। मार्ग को 1 घंटे में ही बहाल कर लिया गया है और बाढ़ राहत के कार्य भी नक्सली नहीं रोक पाएंगे। यह बेहद शर्मनाक है, गरीब ग्रामीणों की अंदरूनी गांव की सडक़ को नुकसान पहुंचा कर नक्सली अपना विकास विरोधी और आदिवासी विरोधी चेहरा प्रदर्शित कर रहे हैं, वह दिन दूर नहीं जब आदिवासी इन्हें बदतर से उखाड़ फेकेंगे।
सुकमा, 20 जुलाई। छत्तीसगढ़ की सीमा सुकमा जिले के कोंटा तहसील में पिछले 8 दिनों से गोदावरी एवं शबरी नदी ने अपना रौद्र रूप दिखा कर तबाही मचा रखी है। कोन्टा से लेकर फन्दीगुड़ा, इंजरम तक ग्रामीण बहुत ही विषम परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी लोगों के सहयोग के लिए सामने आ रहे हैं। भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष अधिवक्ता दीपिका शोरी ने भी कोंटा, फन्दीगुड़ा, इंजरम गाँव में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र का दौरा किया, साथ ही बाढ़ प्रभावित लोगों से भी मिली। दीपिका ने राहत केंद्र जाकर उसका मुआयना भी किया।
दीपिका ने बताया- मैंने बाढ़ से प्रभावित लोगों से बात की। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन के द्वारा जो हमें सुविधा मिलनी चाहिए, वो पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा- मैं जिला प्रशासन से अपील करना चाहती हूं कि बाढ़ पीडि़तों को उनके दैनिक उपयोग की आवश्यक सामग्री मांग अनुसार प्रदाय किया जाए व बाढ़ खत्म होने के बाद बाढ़ में जो नुकसान हुआ है, उसका उचित मूल्यांकन कर मुआवजा दिया जाए।
विदित हो कि कोंटा से पहले फन्दीगुड़ा एवं इंजरम में पहले लगभग 100 मीटर व उसके बाद लगभग 400 मीटर पानी के तेज बहाव के बीच दो बार बोट से पार करने के पश्चात विषम परिस्थितियों के बीच दीपिका कोन्टा पहुंचीं।
छत्तीसगढ़ सीमा पर किया गंगा पूजन
कोंटा पहुंचने के पश्चात उन्होंने जहाँ छत्तीसगढ़ के सीमा तक पानी भरा हुआ था, उस स्थान पर जाकर शबरी एवं गोदावरी को अपने रौद्र रूप को शांत करने हेतु गंगा पूजन किया।
बाढ़ पीडि़तों से मिलकर जाना हाल
दीपिका ने बताया कि आज जब मैं इनके बीच पहुंची तो देखा कि बहुत से घर जलमग्न हो गए हैं। पानी के आगे सभी बेबस और मजबूर होकर अपने आशियाने को उजड़ते हुए देख रहे हैं, बहुत दु:ख हुआ है यह सब देखकर। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि जल्द से जल्द कोन्टा व आसपास के निवासियों को इससे राहत प्रदान करें।
प्रशासन मुस्तैद, पर साधन अपर्याप्त
दीपिका ने कहा कि प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद होकर कार्य कर रही है। यह समय राजनीति का नहीं हैं परन्तु पूरी मुस्तैदी के बावजूद उपलब्ध साधन अपर्याप्त है।प्रशासन को चाहिए कि वार्डवार टीम बनाकर एक-एक व्यक्ति तक पहुंचे व उनकी जरूरत के हिसाब से उन्हें मदद करें न कि एक लिस्ट के अनुसार। मैं व मेरी टीम भी पूरी तरह मदद करने को तैयार है।
प्रशासन चाहे तो हम भी साथ मिलकर कार्य करने को तैयार हैं।
बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र से हटाकर दूसरी जगह स्थान दे सरकार
कोंटा के बाढ़ पीडि़तों से जब हमने चर्चा की तो उन्होंने कहा कि पोलावरम बांध के कारण अब तो हमेशा ही ऐसे ही हालात रहेंगे, इसलिए सरकार से हमारी मांग है कि हमें इस स्थान से हटाकर किसी ऊंचे व अच्छी जगह में बसाया जाए व सरकार उचित मुआवजा देकर अपनी संवेदनशीलता दिखाए।
राहत केंद्रों का लिया जायजा
दीपिका ने कोंटा के राहत केंद्र पोटाकेबिन हाई स्कूल, बालक छात्रावास, बालिका छात्रावास एवं निजी स्कूलों में जो राहत केंद्र बनाए गए हैं, उनमें बाढ़ पीडि़तों व प्रबंधन टीम से मिलकर वहाँ की स्थिति का भी अवलोकन किया। दीपिका ने कहा कि अपर्याप्त साधनों के बीच सभी कर्मचारी पूरी लगन के साथ अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
मीडिया टीम को कहा धन्यवाद
उन्होंने मीडिया टीम को भी इस विषम परिस्थितियों में कार्य कर पल-पल की जानकारी आमजन व उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने हेतु धन्यवाद दिया व कहा कि वाकई सुकमा जिले की मीडिया टीम बधाई की पात्र हैं, जो इतने संवेदनशील क्षेत्र में इतनी कठिनाइयों के बीच कार्य कर रहे हैं।
कोंटा ब्लॉक के स्कूलों का हाल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 19 जुलाई। सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड अंतर्गत बेहतर शिक्षा व्यवस्था की पोल खुली है। पोलमपल्ली में कन्या आश्रम जगरगुंडा के बच्चे जिस स्कूल में पढ़ाई करते हैं, वहां एक भी चपरासी न होने से स्कूल की सफाई से लेकर बैठने की व्यवस्था तक वहां के बच्चे खुद करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं उच्च प्राथमिक शाला में 100 बच्चों के पीछे एक प्राचार्य के साथ केवल एक शिक्षिका की पदस्थ हैं, जबकि इन 100 बच्चों के पीछे कुल 5 कक्षाएं लगती हैं, ऐसे में एक शिक्षिका एक समय में 5 कक्षाएं लेने को मजबूर हैं।
मंगलवार को जब ‘छत्तीसगढ़’संवाददाता स्कूल में शिक्षा व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे तो उन्होंने पाया कि छोटे-छोटे बच्चे वहां झाड़ू लगा रहे हैं और अपने बैठने की व्यवस्था कर रहे हैं। इस पर अधीक्षिका ललिता कंवर से ‘छत्तीसगढ़’ टीम ने बात की। अधीक्षिका ने बताया कि यहां चपरासी और शिक्षक की कमी है, जिसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को आवेदन भी हमारे द्वारा किया गया है, ताकि शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सके।
बच्चों की थाली से मेनू गायब सिर्फ दाल-भात
इतना ही नहीं कोंटा ब्लॉक के ही बुर्कापाल प्राथमिक शाला में भी ‘छत्तीसगढ़’ पहुंची, जहां बच्चों की थाली से मेनू ही गायब था। जहां प्रदेश के मुखिया बच्चों को बेहतर मध्यान्ह भोजन देने के निर्देश देते हैं, वहीं दूसरी ओर सुदूर अंचल क्षेत्र में बच्चों की थाली से मेनू ही गायब हो जाता है।
जब ‘छत्तीसगढ़’ टीम बुर्कापाल पहुंची तो बच्चों को मध्यान्ह भोजन परोसा जा रहा था। ह‘छत्तीसगढ़’ ने पाया कि लगभग सभी बच्चों की थाली में केवल दाल और चावल ही नजर आ रहा था, जिसके बाद ‘छत्तीसगढ़’ की टीम स्कूल के रसोईघर तक पहुंची, जहां खाना परोसा जा रहा था, वहां भी यही स्थिति थी। रसोइए से पूछा गया तो उनका कहना था कि सब्जी नहीं है, इसलिए केवल दाल चावल ही दिया जा रहा है।
2 महीने से समूह ने उपलब्ध नहीं करवाया राशन
इस मामले पर इलाके के संकुल समन्वयक मोहनलाल दिल्लीवार ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि मां दुर्गा स्व सहायता समूह द्वारा मध्यान्ह भोजन के लिए राशन उपलब्ध कराया जाता है, जो बार-बार बोलने के बाद भी जून औऱ जुलाई का राशन उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके चलते मध्यान्ह भोजन व्यवस्थित रूप से नहीं दिया जा पा रहा है। शिक्षक अपनी व्यवस्था पर वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे।
इस मामले पर दुर्गा स्व सहायता समूह की अध्यक्ष दीपाली रानी से फोन पर ‘छत्तीसगढ़’ ने चर्चा की, जिस पर उन्होंने बताया कि बारिश की वजह से मैं राशन नहीं पहुंचा पाई। राशन चिंतलनार में रखा है, मैं शिक्षक से बोली थी कि वक्त मिले तो राशन ले आएं। फिलहाल में बाहर हूँ, 1-2 दिन में ही राशन मैं स्कूल में पहुँचवाऊंगी।
सुकमा, 18 जुलाई। सावन के पहले सोमवार को शहर के मध्य स्थित श्रीश्री महाकाली मंदिर में स्थित शिवालय में हर-हर महादेव, जय ओम शिवकारा की गूंज सुनाई दी। सुबह से ही श्रद्धालुओं की मंदिरों में खासी भीड़ रही, वहीं शिवालयों के साथ अन्य मंदिरों पर भी दिनभर भक्तों का तांता लगा रहा।
शहर के बस स्टैण्ड स्थित शिव मंदिर, महादेव मंदिर, राजवाड़ा स्थित शिव मंदिर, महादेव मंदिर आदि अन्य शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। कई लोगों ने पंडितों की मौजूदगी में शिव महाभिषेक किया। महामृत्युंजय के जाप शुरू हुए तथा रुद्राभिषेक किया गया, वहीं सावन मास में एक महीने तक प्रत्येक शिव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का दौर चलेगा।
शहर के मध्य बस स्टैण्ड स्थित मंदिर और मेनरोड स्थित महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की। मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए सुबह 5 बजे से ही लंबी-लंबी लाइन दोपहर तीन बजे तक लगी रही, वहीं मंदिर परिसर में कोई अप्रिय घटना घटित न हो, इसके लिए पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
कई लोगों ने घर पर ही भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। पंडितों के द्वारा शिव महापुराण पाठ कराकर रात्रि को भगवान भोले की भक्ति में जगराता किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 18 जुलाई। सुकमा जिले के बिराभट्टी गांव में एक बार फिर नक्सलियों ने एक ग्रामीण पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर धारदार हथियार से हत्या कर दी है। घटना के बाद गांव में दहशत है। हत्या की जिम्मेदारी कोंटा एरिया कमेटी ने ली है। मौके पर नक्सलियों का हस्तलिखित पर्चा भी बरामद किया गया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
जिले के भेज्जी थाना क्षेत्र के बिराभट्टी के ग्रामीण मडक़ाम हांदा की नक्सलियों ने धारदार हथियार से वार कर हत्या कर दी। घटना के बाद गांव में दहशत फैल गई है।
बताया जा रहा है कि रविवार की देर शाम कुछ नक्सली बिराभट्टी गांव पहुंचे और मडक़ाम हांदा को घर से उठाकर गांव से कुछ दूर लेकर गए, जहां उसकी हत्या कर दी। नक्सलियों की कोंटा एरिया कमेटी ने हत्या की जिम्मेदारी ली है ।
मौके से नक्सलियों का हस्तलिखित पर्चा भी बरामद किया गया है, जिसमें मृतक पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाते हुए हत्या किए जाने की बात लिखी गई है। इधर, घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी है।
सुकमा, 17 जुलाई। गुरुवार को जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर अंदरूनी ग्राम पंचायत मिलम पल्ली के आश्रित ग्राम पुलमपाड़ के ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंच जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी से मिलकर गांव मे प्राथमिक विद्यालय खोलने की गुहार लगाई।
ग्रामीणों ने मांग की है कि उनके गांव मे 10 वर्ष से कम आयु के कुल 139 बच्चे हैं जो की स्कूल नहीं होने की वजह से शिक्षा से वंचित है। गांव के शिक्षित युवको ने गांव के शिक्षा से वंचित बच्चों की सर्वे रिपोर्ट भी जिला अध्यक्ष को सौंपी है। और बच्चों के भविष्य को मध्य नजर रखते हुए प्राथमिक विद्यालय खोलने की मांग की है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि इससे पूर्व भी उन्होंने दो बार जिला प्रशासन को इस विषय से अवगत कराया था परन्तु आज तक इस हेतु कोई कदम नहीं उठाया गया। जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व मंत्री कवासी लखमा के प्रयासों से अंदरूनी क्षेत्र में स्कूलें खोली जा रही है।अब पुलमपाड़ से ग्रामीण स्कूल खोलने की मांग को लेकर आए हैं। इनकी समस्या का जल्द से जल्द निवारण किया जाएगा।
सुकमा, 16 जुलाई। ट्राई साइकिल मिलने पर गुड्डी पोडियामी के चेहरे खुशी से खिल गए। वहीं बालमति नाग ने व्हील चेयर मिलने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। कलेक्टर हरिश एस. द्वारा गुड्डी पोडियामी को ट्राई साइकिल और बालमति नाग को व्हील चेयर प्रदान किया गया। ट्राई साइकिल और व्हील चेयर मिलने पर दिव्यांगों ने इस सौगात के लिए शासन-प्रशासन का आभार जताया। सोड़ीपारा सुकमा निवासी गुड्डी पोडियामी जन्म से पोलियो ग्रसित है। इसके बावजूद भी वे खेती कार्यों में अपना सहायोग देते हैं। विगत कुछ दिनों से शारीरिक अक्षमता एवं पैरों में दर्द बढऩे के कारण उन्हें आने जाने में असुविधा हो रही थी। ट्राई साइकिल मिलने के बाद गुड्डी पोडियामी खेती के अलावा अपना स्वयं का व्यापार करना चाहते हैं। ताकि वे अपने परिवार का खर्चों का वहन पूरी तरह कर सके।
गुड्डी पोडियामी ने बताया कि पहले मुझे लगता था कि ट्राई साइकिल अपने पैसे से खरीदना पड़ेगा। इसलिए मैं ट्राईसाइकिल के लिए कोशिश नहीं कर रहा था। फिर एक दिन मुझे जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र सुकमा के क्षेत्र समन्वयक रवि माड़वी ने बताया कि आपको दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र की ओर से बिना खर्च किए ट्राइ साइकिल मिल जाएगा तब मुझे बहुत खुशी हुई।
उन्होंने कहा कि जिस दिन ट्राई साइकिल देने की बात बताई गई थी आज उसी दिन ट्राईसाइकिल प्रदान की गई। इसके लिए भी बहुत खुशी है कि मुझे इधर-उधर भटकना नहीं पड़ा।
वहीं बिरसठपाल निवासी बालमति नाग लकवा की शिकार हो गई थी। वे अपने दैनिक क्रियाकलापों को करने में असमर्थ हो गई थी। उन्हें दैनिक दिनचर्या एवं आने जाने की सुविधा के लिए व्हीलचेयर प्रदान किया गया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 16 जुलाई। सुकमा जिले में जहां बाढ़ के हालात हैं, वहीं अंदरूनी इलाकों में बदहाल रास्ते एंबुलेंस का रास्ता रोके खड़ी थी, स्वास्थ्य कर्मियों ने रास्ता बनाकर गर्भवती को अस्पताल तक पहुंचाया।
मामला दुलेट पंचायत का है, जहां संगीता यादव को प्रसव पीड़ा होने पर चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी मुकेश बक्शी के निर्देश पर एंबुलेंस भेजा गया था, लेकिन बुर्कापाल का नाला एंबुलेंस का रास्ता रोके खड़ा था, जिसके बाद बिना देर किए चिंतागुफा स्वास्थ्य कर्मियों व वाहन चालक द्वारा एंबुलेंस के लिए रास्ता बनाया गया और गांव पहुंच महिला को एंबुलेंस में लेकर चिंतागुफा अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां महिला ने 3.7 किलोग्राम की स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।
महिला को सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने में चिंतागुफा के स्वास्थ्य कर्मी महेंद्र को सुपरवाइजर राजेश्वरी और रंजना एएनएम दिलीप नायक वाहन चालक का योगदान रहा, जिन्होंने बदहाल रास्ते की मरम्मत कर वाहन को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया था।
गौरतलब है कि इन इलाकों में रास्ते बदहाल हैं और बारिश की वजह से आवागमन भी प्रभावित होता है, ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती स्वास्थ्य विभाग की होती है, क्योंकि उन्हें वक्त पर मरीज को बेहतर उपचार दिलवाना होता है।
पुल लबालब होने से रास्ते से लौटे मंत्री, बोले हर मदद करूंगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 16 जुलाई। सुकमा जिले के अंतिम छोर कोंटा ब्लॉक में बाढ़ की स्थिति अभी निर्मित है लगभग 10 वार्डों में पानी भर चुका है और राहत केंद्र में लगभग 3000 लोगों को शिफ्ट किया गया है । इस बीच दो तस्वीर चर्चा में आ गई-पहली तस्वीर में कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा पिकअप में नाला पार कर रहे हैं और दूसरी तस्वीर में प्रशासन के अधिकारी जिसमें कलेक्टर-एसपी ट्रैक्टर के माध्यम से नाला पार कर रहे हैं। यह स्थिति लगातार बाढ़ की वजह से बनी है, इस पूरे हालात का जायजा लेने पहुंचे हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर मंत्री कवासी लखमा सुकमा जिले पहुंचे। हालांकि उन्हें हेलीकॉप्टर के माध्यम से कोंटा पहुंचना था, लेकिन मौसम की खराबी की वजह से बाय रोड कोंटा के लिए निकले। इस दौरान एर्राबोर के बीच नाले में कुछ इस तरह पानी भर गया कि वहां पर बोर्ड भी नहीं चलाई जा सकती थी, ऐसी स्थिति में मंत्री कवासी लखमा पिकअप में वहीं कलेक्टर-एसपी ट्रैक्टर के माध्यम से लबालब भरे पुल को पार किया, लेकिन आगे दो अन्य पुल में बेहद ज्यादा जलभराव की स्थिति होने के कारण मंत्री कवासी लखमा को रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा।
मंत्री कवासी लखमा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर मैं बाढ़ प्रभावित इलाके का जायजा लेने आया हूं। कोंटा विधानसभा क्षेत्र मेरा परिवार है और मुझे अपने परिवार की चिंता है। जो लोग बाढ़ प्रभावित हैं, उनके लिए मैं चिंतित हूं। बाढ़ प्रभावित इलाके में हरसंभव मदद का प्रयास किया जा रहा है। लोगों को राहत केंद्र में शिफ्ट किया जा रहा है, उनके रहने खाने की व्यवस्था की गई है। मैंने प्रशासन के साथ-साथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भी कहा है कि हर एक व्यक्ति की मदद करें, उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो, इसका ध्यान रखें। जल्द से जल्द बाढ़ प्रभावित लोगों को उनके नुकसान के अनुरूप मुआवजा राशि मुहैया कराई जाएगी। मैंने हालात की रिपोर्ट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दे दी है।
मंत्री कवासी लखमा ने अपील करते हुए कहा कि इस आपदा की घड़ी में नेता कर्मचारी अधिकारी विपक्षी दल पत्रकार मीडिया के साथी एवं अन्य लोगों को मुसीबत में रहने वाले लोगों की मदद के लिए सामने आना चाहिए ।
बाढ़ पीडि़तों के लिए मंत्री ने भेजा राशन व राहत सामग्री
बस्तर का अंतिम छोर इन दिनों बाढ़ की मार झेल रहा है, क्योंकि गोदावरी 1986 के बाद पहली बार अपना इस तरह का रौद्र रूप दिखा रही है, जिसकी मार शबरी में पड़ रहा है और इससे कोंटा के लगभग 10 वार्डों में पानी भर चुका है। प्रशासन इन दिनों अलर्ट पर है और 3000 लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया है और उनके रहने खाने की व्यवस्था भी वही की गई है।
पूरे हालात का जायजा लेने मंत्री कवासी लखमा सुकमा जिले में पहुंचे और बाढ़ पीडि़तों के लिए राहत सामग्री जिसमें राशन और अन्य सामग्री है, इसके अलावा कोंटा में रेस्क्यू के लिए बोट के साथ-साथ लाइफ जैकेट भी कुंडा के लिए भेजा इससे बाढ़ पीडि़तों के रेस्क्यू में बेहद मदद मिलेगी और राशन की किल्लत भी दूर होगी।
मंत्री कवासी लखमा ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि बस्तर के 3 जिलों में बाढ़ का प्रभाव है जिसको लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चिंतित हैं उन्होंने मुझे निर्देश दिया है कि बाढ़ प्रभावित इलाके का जायजा लें अधिकारियों के साथ इसकी समीक्षा करें और अंतिम व्यक्ति तक मदद पहुंचाने के निर्देश दिए हैं कोटा विधानसभा के लोग मेरे परिवार हैं और इस आपदा के अवसर में मैं उनके साथ हूं किसी को भी किसी तरह की दिक्कत होगी तो हम हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन मीडिया सभी बेहतर तरीके से राहत बचाव के काम में जुटे हुए हैं इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं मेरी यह अपील है कि विपक्ष भी आपदा की इस घड़ी में सामने आकर मदद का हाथ बढ़ाएं। हम सब एक होकर इस मुसीबत की घड़ी को पार कर जाएंगे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 16 जुलाई। गोदावरी नदी के उफान पर होने के कारण कोंटा नगर के नदी किनारे और डुबान क्षेत्रों में जलभराव से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है । सत्रह साल में आए सबसे ज्यादा बाढ़ का सामना कर रहे कोंटा के कई वार्डों के प्रभावित राहत शिविरों में हैं। विधायक व कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा प्रभावितों के बीच पहुंचकर लोगों की मदद के लिए प्रशासन को निर्देश दिए।
शबरी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। एनएच-30 पर बाढ़ का पानी आ जाने के चलते मंत्री कवासी लखमा पिकअप से इंजरम पहुँचे, जहां कलेक्टर हरीश एस. व एसपी सुनील शर्मा ट्रैक्टर पर सवार होकर बाढ़ ग्रस्त इलाके का दौरा किया। मंत्री ने कहा कि प्रभावितों तक समय पर मदद पहुँचाएं और उनकी जो भी आवश्यकता हैं उसे समय पर उपलब्ध कराएं। राहत शिविर में रह रहें लोगों को किसी प्रकार की तकलीफ न हो, इसका विशेष ध्यान रखें ।
दल बल के साथ राहत कार्य में जुटा प्रशासन
गोदावरी नदी के उफान पर होने के कारण कोंटा नगर के नदी किनारे और डुबान क्षेत्रों में जलभराव से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न है। लोगों को कोई हताहत न हो, साथ ही उनके घरेलू संपत्ति को अधिक नुकसान न हो, इसके लिए प्रशासन पूरे दल बल के साथ मौके पर तैनात है। अपनी पूरी टीम के साथ बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य में जुटे हुए है।
सीईओ जनपद कोंटा श्री कश्यप ने बताया कि अब तक लगभग 3000 लोगों को राहत केंद्रों तक सुरक्षित पहुंचाया जा चुका है। कोंटा में आए बाढ़ के दृष्टिगत 9 राहत केंद्र बनाए गए है, जहां लोगों को सुरक्षित लाया जा रहा है। आईटीआई कोंटा, स्वामी आत्मानंद स्कूल, चैतन्य स्कूल, हाई स्कूल कोंटा, शिशु मंदिर कोंटा, महाविद्यालय भवन कोंटा, पंचायत भवन ढोंडरा, वन धन केंद्र ढोंडरा तथा पोटकेबीन बंडा को राहत केंद्र बनाया गया है।
प्रशासन एवं पुलिस विभाग तथा नगर सेनानी के संयुक्त टीम के द्वारा बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों की नियमित मॉनिटरिंग एवं राहत कार्य किया जा रहा है। ताकि कोंटावासियों को किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े, वहीं बाढ़ प्रभावित लोगों को कोंटा रेंज ऑफिसर रामाराम मरकाम एवं वनविभाग के कर्मचारी द्वारा खाना खिलाया जा रहा सुरक्षित स्थान में स्थापित किए गए है।
प्रभावित लोगों तक शासकीय वाहन से खाना पहुंचाया जा रहा है, वहीं भोजन वितरित करते कई अफसर खुद ही लगे हंै।
मंत्री कवासी लखमा के साथ कलेक्टर हरिश एस., एसपी सुशील शर्मा, नगरपालिका अध्यक्ष राजू साहू, दोरनापाल नगर पंचायत अध्यक्ष बबिता, दोरनापाल ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सुरेश सिंह चौहान व अन्य नेतागण भी मौजूद रहे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 15 जुलाई। नक्सल ऑपरेशन कार्यालय सुकमा में 201 वाहिनी कोबरा के सहायक कमांडेंट एवं एसडीओपी सुकमा के समक्ष बिना हथियार के एक नक्सली ने आत्मसमर्पण किया।
आत्मसमर्पित नक्सली डीएकेएमएस सदस्य माड़वी कोसा चिंतलनार क्षेत्र का बताया जा रहा है।
नक्सल ऑपरेशन कार्यालय सुकमा में 201 वाहिनी कोबरा के सहायक कमांडेंट स्वप्निल पवार एवं एसडीओपी सुकमा परमेश्वर तिलकवार के समक्ष बिना हथियार के आत्मसमर्पण कराया गया। आत्मसमर्पित नक्सली को शासन के पुनर्वास योजना के तहत प्रोत्साहन राशि व अन्य सुविधा प्रदाय किया जाएगा।
आत्मसमर्पित नक्सली चिंतलनार क्षेत्र में घटित विभिन्न नक्सली गतिविधियों में शामिल रहा है। नक्सली को आत्मसमर्पण करने हेतु प्रोत्साहित करवाने में 201 वाहिनी कोबरा के विशेष सूचना शाखा व थाना चिंतलनार के स्टाफ का विशेष प्रयास रहा है।
बस्तर फाइटर परीक्षार्थी लबालब पानी से होकर पहुंच रहे जिला मुख्यालय
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 15 जुलाई। गोदावरी नदी के उफान पर होने के कारण कोंटा नगर के नदी किनारे और डुबान क्षेत्रों में जलभराव से बाढ़ की स्थिति है। इस हालात से कुल 7 वार्ड अब बाढ़ की चपेट में हैं और 3 हजार लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर 9 राहत केंद्रों में शिफ्ट किया गया। लोगों को कोई हताहत न हो, साथ ही उनके घरेलू संपत्ति को अधिक नुकसान न हो, इसके लिए प्रशासन दल बल के साथ मौके पर तैनात है।
एनएच से जुड़े कई इलाके में जलभराव हो चुका है और सडक़ अब तालाब में तब्दील हो चुकी है, वहीं सीआरपीएफ की 212वीं बटालियन के मुख्यालय में पानी पूरी तरह घुस चुका है, जिसके चलते लगभग डेढ़ सौ जवानों को सुरक्षित जगह में शिफ्ट कराया गया, इसके साथ-साथ हथियारों और सामानों की भी शिफ्टिंग दूसरे इलाकों में की गई।
कलेक्टर हरिस. एस के निर्देशानुसार एसडीएम कोंटा बनसिंह नेताम और जनपद सीईओ कोंटा कैलाश कश्यप अपनी पूरी टीम के साथ बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य में जुटे हुए हैं। सुबह से ही कोटा एसडीएम व जनपद सीईओ उन बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेते नजर आते रहे हैं, जहां सबसे ज्यादा प्रभाव रहा और राहत बचाव कार्य का मोर्चा संभाले हुए हैं।
सीईओ जनपद कोंटा कश्यप ने बताया कि अब तक लगभग 3000 लोगों को राहत केंद्रों तक सुरक्षित पहुंचाया जा चुका है। कोंटा में आए बाढ़ के दृष्टिगत 9 राहत केंद्र बनाए गए है, जहां लोगों को सुरक्षित लाया जा रहा है।
आईटीआई कोंटा, स्वामी आत्मानंद स्कूल, चैतन्य स्कूल, हाई स्कूल कोंटा, शिशु मंदिर कोंटा, महाविद्यालय भवन कोंटा, पंचायत भवन ढोंडरा, वन धन केंद्र ढोंडरा तथा पोटकेबीन बंडा को राहत केंद्र बनाया गया है। प्रशासन एवं पुलिस विभाग तथा नगर सेनानी के संयुक्त टीम के द्वारा बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों की नियमित मॉनिटरिंग एवं राहत कार्य किया जा रहा है। ताकि कोंटावासियों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े ।
कोंटा अब टापू में तब्दील,
चारों तरफ पानी ही पानी
कोंटा मुख्यालय के कुल 7 वार्ड जलमग्न हो चुके हैं, इसके अलावा जगह-जगह जलभराव की स्थिति है, जहां लोगों को नाव के जरिए निकालकर शिफ्ट कराया गया। वहीं इन दिनों कोंटा टापू में तब्दील हो चुका है, क्योंकि आंध्र प्रदेश जाने वाले रास्ते चट्टी में बीते कई दिनों से जलभराव है, वहीं कोंटा से सुकमा के बीच इंजराम पुल में 5 फीट ऊपर से पानी बह रहा है। इंदिरा कैंप के पास भी अब 3 फीट से ऊपर पानी भर चुका है जिसके चलते ना केवल कोंटा बल्कि कोंटा से लेकर इंजरम तक के इलाके और टापू में तब्दील हो चुके हैं, हालांकि इंजराम में यदि कोई फंसा हो तो उनके निकलने के लिए एक विकल्प फिलहाल उपलब्ध है जो कच्चे रास्तों से होकर गुजरता है।
हरीश कवासी ने लिया बाढ़ प्रभावित इलाके का जायजा
कोंटा के ज्यादातर इलाकों में पानी भर चुका है, जहां प्रशासन अब राहत शिविरों में बाढ़ पीडि़तों को शिफ्ट करने की तैयारी कर रहा है और कईयों की शिफ्टिंग करवा चुका है, ऐसे में बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेने जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी पहुंचे और ग्रामीणों से मिलकर उनका हालचाल जाना। हरीश के साथ-साथ जनपद उपाध्यक्ष माड़वी देवा और दोरनापाल नगर पंचायत उपाध्यक्ष युथपती यादव भी मौजूद रहे।
हरीश कवासी ने एनएच मार्ग बाधित होने के कारण इलाके में फंसे वाहन चालकों से भी चर्चा की और उन्हें भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इसके साथ ही यह कहा कि उन्हें किसी तरह की जरूरत हो तो वह निसंकोच होकर बताएं, हर संभव मदद किया जाएगा और हरीश क़वासी ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ भी चर्चा किया और उन्हें आपदा की इस मुश्किल घड़ी में प्रशासन बाढ़ पीडि़तों की मदद करने के निर्देश दिए।
बस्तर फाइटर की परीक्षा के लिए लबालब पानी से भिड़े युवा
जिले में बस्तर फाइटर्स के भर्ती की प्रक्रिया इन दिनों जारी है और सुकमा के अंतिम छोर में बाढ़ का प्रभाव भी ऐसे में बस्तर फाइटर के इच्छुक युवाओं में भर्ती को लेकर चिंता सताने लगी, जिसके बाद युवा आने वाले दिनों का इंतजार किए बिना जिला मुख्यालय पहुंचने का इंतजाम खुद ही करते नजर आए, क्योंकि रविवार को 568 इच्छुक बस्तर फाइटर्स की भर्ती के लिए परीक्षा है और वर्तमान में एनएच 30 पर 4 से 5 फीट तक पानी भर आया है। आने वाले दिनों में ना जाने कैसे हालात होंगे, इसलिए कई युवा जो एनएच-30 पर घंटों पानी के उतरने का इंतजार करते नजर आ रहे थे, उन्होंने आखिरकार 4 से 5 फीट सडक़ पर भरे पानी से होकर सुकमा मुख्यालय पहुंचने का निर्णय लिया और पानी को पार किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता अमन भदोरिया मौके पर बाढ़ की स्थिति के कवरेज पर थे, जिन्हें परीक्षार्थियों ने बताया कि रविवार को बस्तर फाइटर की भर्ती को लेकर एग्जाम है और वहां वक्त पर पहुंचना जरूरी है। बाढ़ का पानी न जाने कब बढ़ जाए, इसको देखते हुए ही हम वक्त रहते यहां से निकलना चाह रहे हैं, ताकि एग्जाम सेंटर में लेटलतीफी न हो, इसलिए हर हालात में हम सुकमा मुख्यालय पहुंच रहे हैं।
इस पर ‘छत्तीसगढ़’की टीम ने सुकमा एसपी से फोन पर चर्चा की। जिस पर सुकमा एसपी सुनील शर्मा ने बताया कि बस्तर फाइटर की भर्ती के लिए रविवार को परीक्षा है, कोंटा क्षेत्र के जलभराव वाले इलाकों के ज्यादातर लोग जो एडमिट कार्ड लेने आए हुए थे, उन्हें सुकमा मुख्यालय में ही रोक लिया गया है ताकि वह किसी तरह से बाढ़ में न फंस जाएं और परीक्षा से वंचित न रह जाएं। ज्यादातर लोग एडमिट कार्ड ले चुके हैं, उन्हें पुलिस अपनी व्यवस्था पर रखी है जहां रहने-खाने की पूरी व्यवस्था हमारे द्वारा करवाई गई है।
सरपंच ने की सचिव के खिलाफ एफआईआर की मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 14 जुलाई। सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड अंतर्गत सुर्खियों में आ चुके मुलाकिसोली खदान के शिकायत और विरोध का सिलसिला अब तक नहीं थमा है। लगभग 59 एकड़ भूमि में ग्रेनाइट स्टोन के टेंडर पर सवालिया निशान खड़े करने वाले पूर्व विधायक मनीष कुंजाम खदान टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।
गुरुवार को इस पूरे मामले पर फर्जी ग्राम सभा का दस्तावेज बनाकर सहमति पत्र बनाने के आरोप में मुलाकिसोली सचिव साईं श्रीनिवास के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने सरपंच द्वारा थाना प्रभारी को आवेदन दिया गया है। इस दौरान मनीष कुंजाम व रामा सोरी गणेश मंडावी समेत कई आदिवासी नेता और बड़ी संख्या में इलाके के आदिवासी ग्रामीण मौजूद रहे।
सरपंच का कहना है कि सचिव साईं श्रीनिवास द्वारा जाली दस्तावेज तैयार कर कूट रचित सील तैयार कर फर्जी हस्ताक्षर किया गया है। ग्राम पंचायत मुलाकिसोली में स्थित खसरा नंबर 194 196 197 9899 201-202 204 205 कुल रकबा 39 दशमलव 149 हेक्टेयर व खसरा नंबर 148 रकबा 9.79 हेक्टेयर काबिल कास्ता की निरस्त भूमि दर्ज है। इस भूमि पर ग्रेनाइट गौण खनिज उत्खनन के संबंध में जो नीलामी समाचार पत्रों एवं ऑनलाइन निविदा प्रकाशित की गई है। उसके साथ संलग्न ग्राम सभा का प्रस्ताव पूर्णता फर्जी है, जबकि मेरी पंचायत में ग्रेनाइट गौण खनिज के उत्खनन के संबंध में किसी भी प्रकार का ग्राम सभा या पंचायत की आमसभा मेरी अध्यक्षता में नहीं की गई है. संलग्न प्रस्ताव में मेरा हस्ताक्षर नहीं है, बल्कि मेरे स्थान पर ग्राम पंचायत सचिव ने फर्जी हस्ताक्षर किए हैं। इसके साथ ही उक्त प्रस्ताव में पंचों के हस्ताक्षर भी फर्जी हैं और हस्ताक्षर के पीछे नीलामी की गई पद मुद्रा भी कूट रचित है, क्योंकि सरपंच के पास उपलब्ध पदमुद्रा में ग्राम पंचायत मुलाकिसोली जनपद पंचायत गोंडा जिला सुकमा उल्लेखित है, जबकि प्रस्ताव में जो सील मुद्रा लगाई गई है, उसमें ग्राम पंचायत हस्तलिपि से मुलाकिसोली लिखा गया है, इस तरह वास्तविक सील नमूना न होकर फर्जी सील मुद्रा लगाई जाकर सरपंच के फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं।
इस प्रकार के ग्राम पंचायत मुलाकिसोली के सचिव साईं श्रीनिवास के द्वारा पंचायत में फर्जी हस्ताक्षर और पंचों के फर्जी हस्ताक्षर को लेकर एफआईआर दर्ज करते हुए कठोर कार्रवाई की मांग सरपंच द्वारा की गई है।
इस प्रकार के ग्राम पंचायत मुलाकिसोली के सचिव साईं श्रीनिवास के द्वारा पंचायत में फर्जी हस्ताक्षर और पंचों के फर्जी हस्ताक्षर को लेकर एफआईआर दर्ज करते हुए कठोर कार्रवाई की मांग सरपंच द्वारा की गई है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 14 जुलाई। सुकमा जिले में कई दिनों से लगातार बारिश जारी है, जिससे नदी-नाले उफान पर हैं। पुल-पुलिया डूब गए हैं, जिससे उस पार बसे ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़- तेलंगाना- आंध्रप्रदेश को जोडऩे वाली मुख्य मार्ग पर भी 5 फ़ीट से ज्यादा पानी भर गया। जिससे छत्तीसगढ़ का आंध्रप्रदेश व तेलंगाना का संपर्क टूट गया है।
ग्रामीण सोनू कोडी ने बताया कि पुल के ऊपर पानी बहने से इस पार गादीरास में फंस गये हैं, हमें अब पता नहीं कि कब तक पानी कम होगा तो हम घर पहुंच पाएंगे। हमें रोजमर्रा के सामानों के लिए गादीरास आना जाना पड़ता है।
बीती रात अधिक बारिश की वजह से गीदम नाला के पास बाइक सहित युवक नाले में जा गिरा। देर रात की घटना होने के कारण किसी प्रकार की मदद न मिल पाने की वजह से युवक की मौत हो गई। सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस मौके पर पहुँची। छानबीन करके युवक का शव किया बरामद किया, लेकिन बाइक बरामद नहीं हुई है। गीदम नाला के पास अंधा मोड़ है और रात भर बारिश जारी थी, जिससे अंदेशा है कि यह घटना का मुख्य कारण रहा।
पेड़ गिरने से हाइवे बाधित
सुबह से ही भारी वर्षा के कारण सुकमा से जगदलपुर की ओर जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित हो गयी, जिससे वाहनों की लम्बी कतार लग गयी थी, वहीं पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों की कोशिशों से मार्ग खुल पाया।
जिले में पिछले हफ्ते भर से हो रही भारी बारिश से छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर कोंटा से आंध्रप्रदेश व तेलंगाना का संपर्क टूट चुका है। लगातार हो रही बारिश से वहां का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। सुकमा जिले में बाढ़ की चपेट से दर्जन भर गाँव आ गये हैं।
छत्तीसगढ़- तेलंगाना- आंध्रप्रदेश को जोडऩे वाली मुख्य मार्ग पर भी 5 फ़ीट से ज्यादा पानी भर गया। खास कर उन गाँवों के लोगों को डर सता रहा है जो नदी या नालों के किनारे बसे हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी के बाद फिऱ से प्रशासन भी अलर्ट हो गई है, क्योंकि सुकमा जिले में रेड अलर्ट है।
भारी बरसात के कारण यहां के लोगों में डर का माहौल है। खुद प्रशासन भी लगातार लोगों से खबर साझा रही है और हर पल की खबर जनता को दे रही है। प्रशासन द्वारा मोटर बोर्ड के सहारे आने जाने के लिए व्यवस्था की गई है।
भारी बारिश में कच्चे मकानों पर मंडराया खतरा, 5 मकानों को नुकसान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 14 जुलाई। सुकमा जिले में लगातार हो रही बारिश का कहर अलग-अलग इलाकों में देखने को मिल रहा है। जहां अब तक इसका प्रभाव अंदरूनी इलाकों में देखने को मिल रहा था, अब सडक़ के इलाके भी इससे अछूते नहीं रह गए, क्योंकि अब पानी सडक़ तक आ पहुंचा है।
गादीरास इलाके की मलगेर नदी से एक से डेढ़ फीट ऊपर से पानी बहना शुरू हो गया है, जिससे नदी के दूसरे छोर में रहने वाले लोग अब आसानी से नदी के इस पार नहीं आ सकेंगे, क्योंकि पानी का बहाव तेज हो गया है और जिसके चलते वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रशासन किसी भी हाल में बगैर सुरक्षा नदी या नाला पार न करने की अपील कर रहा है।
गुरुवार को शाम को सुरक्षा बल के जवान मलगेर नदी के पुल पर फंसे हुए ग्रामीणों को रस्सी के सहारे पार कराते नजर आए। गादीरास थाना प्रभारी रितेश यादव की अगुवाई में पुलिस और सीआरपीएफ के जवान मानव श्रृंखला बनाकर ग्रामीणों को इस पार से उस पार कराते नजर आए, वहीं गोदावरी अब कई साल का रिकॉर्ड तोडऩे जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार की रात गोदावरी का जलस्तर लगभग 63 फीट आने की कगार पर है, जिसकी संभावना वहां के स्थानीय प्रशासन द्वारा जताई जा रही है, लेकिन इससे खतरा शबरी नदी पर और नदी के तट पर आने वाले दुकान क्षेत्रों के लिए बढ़ चुका है, क्योंकि गोदावरी के ओवरफ्लो से शबरी में बैक वाटर का खतरा अब बढ़ चुका है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर जहां चट्टी पर सडक़ पर पानी जमा हुआ था, अब कोंटा व दोरनापाल के बीच फन्दीगुड़ा पुल के ऊपर से पानी बहने लगा है, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि आने वाले 24 से 48 घंटों में वहां भी आवागमन प्रभावित हो सकता है।
बीते कुछ दिनों से सुकमा में लगातार हो रहे भरी बारिश से स्थानीय लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। नदी किनारे बसे रिहायसी इलाकों में जलभराव का स्थिति निर्मित हो गई है। सुकमा जिले के ज्यादातर इलाकों में बारिश बारिश का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
बारिश के प्रभाव से जहां अंदरूनी इलाके प्रभावित हैं, वहीं सडक़ों से जुड़े इलाकों में भी कच्चे मकान ढह रहा हैं। बुधवार की रात दोरनापाल नगर पंचायत में जानकी चंद्राकर के कच्चे मकान का दीवार भरी बारिश के वजह से जमीदोज़ हो गया है। इसके अलावा वार्ड क्रमांक 4 व 14 मैं भी कच्चे मकान गिर गए। हालांकि अच्छी बात यह रही कि उस दौरान किसी को जानमाल का नुकसान नहीं हुआ हैं।
मामले की जानकारी मिलते ही वार्ड क्र 07 में वार्ड पार्षद पुष्पलता भदौरिया मौके पर पहुंची और हालात का जायजा लेकर इसकी जानकारी स्थानीय पटवारी को दी और जल्द मुआवजा राशि दिलवाने की अपील की।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में 60 स्कूलों की छुट्टी
सुकमा के कोंटा में नदी किनारे स्थित व बाढ़ से प्रभावित करीब 60 स्कूलों में अवकाश का घोषणा कर दिया गया हैं। जिला प्रशासन ने स्थिति सामान्य होने तक अवकाश के लिए स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
सुकमा, 13 जुलाई। विकासखंड छिंदगढ़ में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी जि़ला सुकमा के द्वारा आज जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्रामों में संचालित नल जल योजना के संचालन हेतु पंप ऑपरेटर, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, हेल्पर के कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत कोंटा ब्लॉक के 6 ग्राम पंचायतों का प्रशिक्षण हुआ।
कुंदनपाल, कुन्न, पुसगुन्ना, डोलेरास, पेदारास, मिचवार के प्रशिक्षार्थीयों का प्रशिक्षण कार्यक्रम विकासखंड छिन्दगढ़ में ग्राम पंचायत कुंदनपाल में आयोजित किया गया, कुल उपस्थिति 45 थी, जिसमें जल गुणवत्ता समन्वयक के द्वारा जल परीक्षण कर बताया कि वर्षा काल के दौरान पेयजल स्रोतों के प्रदूषण के कारण जल जनित बीमारियों जैसे डायरिया, टाइफाइड एवं हैजा आदि के प्रकोप की आशंका हमेशा रहती होती है, इसलिए वर्षा काल के दौरान समस्त जल स्रोतों का क्लोरीनेशन कर शुद्धिकरण करने को निर्देश दिया गया एवं बच्चों को शालाओं में हाथ धुलाई के साथ -साथ , पानी की उपयोगिता तथा पेयजल के उचित भंडारण के प्रति व्यापक जन जागरूकता और जल बचाव एवं स्वस्थ रखने हेतु महिला स्व सहायता समूह को शपथ दिलाया गया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि सुनील नाग सरपंच एवम् ग्राम प्रमुख लक्ष्मीनाथ नाग, सहायक अभियंता सुकमा आर एल मंडावी सर, अरुण सरकार, सतीश साहू , सामदेव उसेंडी उपस्थित थे।
मनकापाल पंचायत के नागलगुंडा का हाल
नुपूर वैदिक
सुकमा, 13 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। जिला मुख्यालय से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर बसा मनकापाल पंचायत का गाँव नागलगुंडा में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। हालात ऐसे हैं कि लोग जान जोखिम में डालकर नदी में लकडिय़ों का पुल बनाकर नदी पार करते हैं। गांव के बच्चे, बुजुर्ग व महिलाएं भी उसी पुल का उपयोग करते हैंतथा बच्चे स्कूल भी इसे पार कर जाते हैं।
जिले का एक ऐसा गांव, जहां वक्त ने ग्रामीणों को इतना मजबूर किया कि जुगाड़ से एक ऐसे पुलिया का निर्माण कर लिया, जो देखने में साधारण बिजली तार से बनी है, लेकिन मजबूती इतनी कि पूरे ग्रामीणों का भार सह लेती है, जिसके सहारे ग्रामीण अपने रोजमर्रा के सामान लेने व उस पार बसे रिश्तेदारों से मिलने आते-जाते हैं।
सडक़ दलदल भरी
सडक़ की सुविधा का अभाव है। सडक़ तो बनी है लेकिन दलदल से भरी है, जिस वजह से ग्रामीणों को पक्की सडक़ तक पहुचने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बरसात के दिनों में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
ये छोटा सा गांव अपने अतीत की पहचान को समेटे हुए वर्तमान के साथ संघर्ष कर रहा है। सुकमा जिला मुख्यालय से महज 35 किलोमीटर दूर बसा यह ग्राम जिसमें 50 परिवार निवास करते हैं, आवाजाही के लिए सडक़ की सुविधा नहीं है। अपने घर जाने के लिए ग्राम के समीप बहने वाली एक छोटी सी नदी को पार कर उस पार रिश्तेदारों से मिलने अपने बनाए पुल से जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में जल स्तर नदी का काफी बढ़ जाता है, जिससे बच्चे हो या बूढ़े सभी ग्रामीणों को अपनी जान हथेली पर रखकर नदी पार करने को विवश होना पड़ता है। बरसात में ग्रामीणों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
ग्रामवासियों की पक्की सडक़ पर पहुंचने के लिए पैदल 7-8 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है, 14 कि.मी.की दूरी पर गादीरास है, जहां पहुंचने बहुत कठिनाई होती है। गाँव में यातायात के साधनों के अभाव में शहरों से बिलकुल कटे हुए हैं।
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
ग्रामीण जोगा व हिडमा ने बताया- हमें 8-9 साल हो गया, इसी पुल से खेती कार्य, बच्चे को स्कूल व स्वास्थ्य लाभ के लिए इसी पुल से नदी पार करने को मजबूर हैं। हमारे शादी विवाह व त्यौहारों में उस पार बसे गाँव तक पहुंचने, इसी पुल के सहारा लेते। हमें राशन और किराना समान भी यही से पार कर लाना पड़ता है। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन जिम्मेदार हमारी एक भी नहीं सुनता। पिछले साल एक मौत भी हो चुकी है, फिर भी कोई ध्यान नहीं देता।
झारखण्ड में आयोजित सबल अवार्डस में छत्तीसगढ़ का किया प्रतिनिधित्व
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 12 जुलाई। प्रतिभा और जीवन जीने की ललक इंसान में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है। उसे प्रेरित करती है, जीवन में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के सपने देखने और उन्हें पूरा करने की। और सपने बंद आखों से ही देखे जाते हैं। मेरा भी सपना है, किसी बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा की बदौलत अपने परिवार का नाम करना। यह कहना है सुकमा जिले के आकार संस्था में अध्ययनरत 10वीं के छात्र रघुनाथ नाग का। जिन्होंने हाल ही में जमशेदपुर, झारखण्ड में टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा दिव्यांग बच्चों के विशिष्ट कला प्रतिभा को प्रोत्साहित करने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सबल अवार्डस् में छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व किया।
रघुनाथ पूर्णत: दृष्टिबाधित है, पर उनके हौसले और जीवन जीने का अंदाज प्रेरणादायक है। उनमें गजब की गायन प्रतिभा है। रघुनाथ ने 17 राज्यों के प्रतिभागियों के बीच निर्णायकों को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और तीसरा पुरस्कार अपने नाम किया। हार्मोनियम वादन के साथ ही रघुनाथ ने ‘‘ऐसी लागी लगन...‘‘ पर सुरों का ऐसा समा बाधां कि सब मंत्रमुग्ध रह गये।
आज कलेक्टर हरिस. एस ने रघुनाथ को इस विशिष्ट उपलब्धि के लिए बधाई दी और भविष्य में गायन-वादन के क्षेत्र में सफलता के लिए शुभकामनाएं दी। रघुनाथ को सबल फाऊंडेशन द्वारा प्रशस्ति पत्र और 10 हजार का चेक पुरस्कार प्रदान किया गया है।
संगीत के सुरों से गढऩा चाहता हूं अपना भविष्य-रघुनाथ
सुकमा विकासखण्ड अंतर्गत सोनाकुकानार के निवासी रघुनाथ नाग, पांच भाई-बहनों में चौथे हैं। जन्म से ही दृष्टिबाधित रघुनाथ ने दुनिया अपने मन की आखों से देखी और इनमें रंग भरे हैं। करीब 12 वर्ष की उम्र में रघुनाथ के पिता श्री सोनु राम नाग ने उसका दाखिला जिले के आकार संस्था में करवाया, जहां दिव्यांग बच्चों को विशेष देखरेख के साथ ही शिक्षा प्रदान की जाती है।
आकार संस्था में आकर रघुनाथ को दुनिया और रंगीन दिखने लगी, यहां उस जैसे ही बहुत से दिव्यांग बच्चे थे, जो अपनी दुनिया गढऩे में मस्त रहते। कक्षा छटवीं में रघुनाथ को संगीत के सुरों ने अपनी ओर आकर्षित किया और वह उसमें बंधता चला गया। वर्तमान में रघुनाथ कक्षा दसवीं में पढ़ रहा है और एक पारंगत गायक के साथ ही उम्दा हार्मोनियम वादक भी है। वह अभी ढोलक और तबला वादन भी सीख रहा है।
उसने बताया कि सुरों के संगम में जीवन आसान लगता है, मुझे कभी इस बात का अहसास नहीं होता कि मैं देख नहीं सकता। बल्कि उसे इस बात की खुशी है कि वे इस कोरे संसार को अपने पंसद के सुरों में पिरोते हैं।
रघुनाथ संगीत के क्षेत्र में ही अपना भविष्य बनाना चाहता है, और अपने परिवार के साथ ही सुकमा जिले और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करना चाहता है।
रोजमर्रा की जरूरतों के लिए ग्रामीण जान जोखिम में डालकर कर रहे नाला पार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 12 जुलाई। बस्तर के अलग-अलग जिलों में इन दिनों बारिश का प्रभाव देखने को मिल रहा है। सुकमा जिले के कई इलाके बारिश की वजह से प्रभावित नजर आ रहे हैं, इससे सीधा प्रभाव जनजीवन पर पड़ रहा है।
कोंटा एसडीएम बनसिंह नेताम ने कहा कि कोंटा तहसील अंतर्गत कुल 19 गाँव हैं, जो कि बाढ़ से प्रभावित होते हैं । सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित कोंटा और इंजरम ग्राम है और कोंटा के वार्ड क्रमांक 13,14,15 है। लगभग 140 की जनसंख्या है जो बाढ़ से प्रभावित होते हैं । ऐसे लोगों के विस्थापन के लिए राहत सेंटर की व्यवस्था की गई है । कोंटा में चार सेंटर को चिन्हित किया गया है । बाढ़ प्रभावित लोगों को रहने व भोजन की व्यवस्था तथा उनके सामानों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था है।
आंध्रप्रदेश के वीरापुरम और कोंटा बॉर्डर के चट्टी इलाके में एनएच 30 पर बाढ़ का पानी आ गया है, जिस वजह से सुकमा जिले के दोरनापाल इलाके से कोंटा के बीच लंबा जाम लग चुका है। एहतियातन इन गाडिय़ों को रोका गया है। पिछले 1 हफ्ते से जगरगुंडा मार्ग पर आवागमन बदहाल है, क्योंकि पानी कहीं पुल के ऊपर से बह रहा है तो कहीं कच्चे पुल को तोडक़र बह रहा है। लगभग 60 ऐसे गांव हैं, जिनका सीधा संपर्क एनएच-30 व जिला मुख्यालय से टूट चुका है, क्योंकि वहां से मुख्य मार्ग तक आने के लिए रास्ते में जो नाला पड़ता है, वह लबालब भरा हुआ है।
रोजमर्रा की समस्याओं के लिए ग्रामीण जान जोखिम में डालने के लिए भी तैयार हंै, कहीं बच्चे को पतीले में रखकर उफनते नाले को पार कर रहे हैं तो कहीं राशन को उफनते नाले से निकालने पेड़ गिराकर ग्रामीणों द्वारा पेड़ को ही वैकल्पिक पुल बना लिया गया।
इधर, जगरगुंडा मार्ग पर जहां मुखराम नाला उफान पर है, वहीं बुर्कापाल के पास प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के लिए तत्कालीन वैकल्पिक कच्चे पुल का निर्माण किया गया था जो पानी के बहाव से टूट गया।
पतीले में बच्चे को रखकर उफनते नाले से पार करवाती दिखी माँ
बीते दिनों केरलापाल क्षेत्र के पोंगाभेज्जी गांव के नाले में एक महिला को उसके गांव अपने दूधमुहे बच्चे के साथ पहुंचना था, लेकिन लगातार बारिश होने के कारण नाला उफान पर आ गया। इन इलाकों में पुल भी अब तक नहीं बनाया जा सका है, जिस वजह से गांव पहुंचने का आखिरी रास्ता जोखिम भरा था। उस महिला ने अपने बच्चे को एक पतीले में रखकर महिला और एक युवक ने उस पतीले को दोनों ओर से पकड़ कर तैरना शुरू किया। पानी के तूफान से तीनों ही अनियंत्रित बहे जा रहे थे हालांकि अच्छी बात यह रही कि तीनों सकुशल नाला पार कर लिए, लेकिन इस तरह का जोखिम भरा निर्णय खतरनाक भी साबित हो सकता था और जान पर भी बन आती। इन इलाकों में नक्सलियों का प्रभाव है जिस वजह से आज तक पुल पुलिया का निर्माण नहीं किया जा सका और बारिश में यह घटनाक्रम इन इलाके के आदिवासियों के रोजमर्रा का हिस्सा बनी रहती है ।
अतिवृष्टि से बाढ़ की संभावना, लोगों से सावधानी बरतने अपील
भारत सरकार, मौसम विज्ञान केन्द्र लालपुर रायपुर के द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार जिले में लगातार हो रही अतिवृष्टि तथा पड़ोसी राज्य तेलंगाना के भद्राचलम में गोदावरी नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर होने से बैक वाटर से जिला सुकमा की नदी नाले उफान पर आने की प्रबल संभावनाएं हैं। आगामी 48 घण्टे में अति भारी वर्षा को देखते हुये तहसील क्षेत्रान्तर्गत चिन्हांकित किये गये जर्जर भवनों, झोपडिय़ों, विद्युत पोलों, सुखे खड़े पेड़ों आदि प्रभावित होने की संभावना है।
उपरोक्त दृष्टिकोण से आम नागरिकों से अपील किया जाता है, कि जर्जर भवनों, झोपडिय़ों, विद्युत पोलों, सुखे खड़े पेड़ों आदि से दूर रहे। टूटे हुए बिजली के खम्भों, तारों व दूसरी नुकीली चीजों से दरवाजे/खिड़कियां बंद रखे । मवेशियों व पशुओं की सुरक्षा के लिए उन्हें बांध कर न रखें। उफनती नदियों को पार न करें।
किसी भी प्रकार के आपात स्थिति निर्मित होने पर जिला कार्यालय के कण्ट्रोल रूम के दूरभाष नं 07864-284012 में तथा तहसील छिन्दगढ क्षेत्र हेतु - 7000298003, तहसीलदार कोण्टा – 9425597806 तथा तहसीलदार सुकमा 9399903009 के मोबाईल नम्बर पर तत्काल अवगत करावें ।
पुल नहीं तो ग्रामीणों ने लकड़ी से बनाया डेढ़ सौ मीटर पुल
सुकमा जिले के ग्रामीणों का जुगाड़ू पुल चर्चा में है, जिसके जरिए ग्रामीण नदी को पार करते हैं. ये पुलिस सुकमा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर नागलगुड़ा गांव में बना है. इसे बनाने के लिए लकड़ी व तार का उपयोग किया गया है । नागलगुड़ा गांव में मलगेर नदी पर सालों से चली आ रही मांग के बाद भी कोई पुल नहीं बन पाया है । ऐसे में ग्रामीण गांव बाहर जाने या गांव में आने के लिए काफी परेशान रहते हैं । खासकर बारिश के दिनों में ये समस्या बढ़ जाती है, जब नदी नाले उफान पर रहते हैं । इसी का तोड़ निकलाने के लिए गामीणों ने अपने जुगाड़ से पुल का निर्माण कर लिया, जो आज प्रशासन के लिए एक आइना है । आखिरकार ग्रामीणों ने खुद ही अपनी समस्या का समाधान करने का सोचा और आवश्यकता ही अविष्कार की जननी कहावत को सच कर दिया । लोगों ने साथ मिलकर लकड़ी व तार के सहारे नदी पर जुगाड़ का पुल तैयार कर लिया हैं, जिसका उपयोग करके ग्रामीण नदी पार करने के लिए करते हैं। इसी पुल के जरिए वो सफ्ताहिक बाजार भी जाते हैं । इसके साथ ही अब उनकी खेती का काम भी इसी पुल के जरिए हो रहा है । इधर दरभा ब्लॉक के कलेपाल से भी एक वीडियो आया है जिसमें ग्रामीण रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जान जोखिम में डालने को तैयार है नाले से उस पार जाने के लिए पुल नहीं है तो ग्रामीणों ने पेड़ को गिरा कर पेड़ को ही वैकल्पिक पुल बना लिया जिसके बाद रोजमर्रा की जरूरतों का सामान और राशन उस पेड़ के ऊपर से निकालते दिखाई दे रहे हैं हालांकि यह वैकल्पिक व्यवस्था बेहद जोखिम भरी है प्रशासन ने इस तरह से नालों को पार ना करने की अपील की है।
शबरी के बैक वाटर से बढ़ेंगी प्रशासन व लोगों की मुश्किलें
गोदावरी के बढ़ते जलस्तर के चलते सबरी में बैक वाटर की समस्या अब प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि इससे कोंटा के निचले इलाके सबसे पहले प्रभावित होंगे और उन तक राहत पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है अब कोंटा बार्डर के पास एन एच जाम हो जाने से कोंटा छत्तीसगढ़ से आंध्रप्रदेश तेलंगाना का सीधा संपर्क टूट गया है वहीं मंगलवार से कई यात्री कोंटा में फंसे हुए हैं । दुसरी ओर कोंटा के शबरी तटों पर बसे गाँवों के लिए भी प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है।
ज्ञात हो कि कोंटा बार्डर से लगे हुए शबरी तथा गोदावरी उफान पर होने की वजह से बैक वाटर से प्रति वर्ष यहाँ ऐसी स्थिति निर्मित होती है । बीते वर्ष भी कोंटा बार्डर के पास बाढ़ के पानी की वजह से दस दिनों तक राज मार्ग बाधित रहा । कोंटा के सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के अनुसार प्रथम खतरे के निशान 13 फीट पानी पहुंच गई है। जिससे चलते कोंटा नगर के कुछ वार्ड वासीयों को बाढ़ का खतरा महसूस होने लगा है । वहीं विकास खंड मुख्यालय कोंटा से लगा ग्राम पंचायत ढोंढऱा के शबरी तट पर बसे कुछ ग्रामीण अपने मकानों के सामान भी खाली कर रहे हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंटा, 11 जुलाई। बीते पांच दिनों से छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश एवं महाराष्ट्र में हो रही लगातार भारी बारिश की वजह से तेलंगाना के भद्राचलम से प्रवाहित गोदावरी नदी ने उग्र रूप धारण कर खतरे के तीसरे स्थान 53.20 फुट पर जा पहुंचा।
तेलंगाना के भद्राचलम जिला प्रशासन ने डुबान प्रांतों से लोगों को सुरक्षित बाढ़ राहत केंद्रों में ले जाया जा रहा है। गोदावरी नदी खतरे की तीसरे स्थान पर पहुंचने के कारण कोंटा पर भी इसका असर दिख रहा है। कोंटा का तेलंगाना व आंध्र से पूरी तरह संपर्क टूट गया व सोमवार के दोपहर तीन बजे से ही आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया। छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली मालवाहकों की पहिए आंध्र के नेल्लीपाका में थमे हैं।
शबरी नदी दूसरे खतरे की निशान पर
कोंटा से प्रवाहित शबरी नदी दूसरे खतरे की निशान को छू लिया है। वर्तमान की स्थिति में जल की ऊंचाई 10 मीटर में है। सी.डब्ल्यू.सी. (सेंटर वाटर कामन्युकेश) का कहना है कि हो रही लगातार बारिश से शबरी नदी में 10 मीटर से बढ़ कर देर रात तक 12 मीटर तक पानी बढ़ सकता है।
इधर, प्रशासन ने बाढ़ को देखते हुए पूरी तैयारियों में डटी हुई है। कोंटा के सुरक्षित स्थानों पर बाढ़ राहत केंद्रों की व्यवस्था किया जा रहा है।
कोंटा में बाढ़ की स्थिति निर्मित होती है, तो सर्वप्रथम कोंटा के वार्ड क्रमांक 15, 14, 06 में बाढ़ का पानी प्रवेश करता है। इन वार्डों में अधिकारी लगातार दौरा कर बाढ़ का जायजा ले रहे हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 11 जुलाई। आज 5-5 लाख की ईनामी हार्डकोर नक्सली दंपत्ति ने सुकमा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के समक्ष बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया।
दोनों केकेबीएन डिवीजन (कंधमाल, कालाहांडी, बौद्ध, नयागढ़) में सक्रिय रहे। केरलापाल एरिया कमेटी से दोनों का वर्ष 2021 में स्थानांतरण हुआ था। पुरूष नक्सली 16 वर्ष तथा महिला नक्सली 12 वर्ष से लगातार नक्सली संगठन में सक्रिय रहे। दंपत्ति एसीएम रैंक के हैं। छग शासन द्वारा 5-5 लाख रुपए का ईनाम घोषित है।
नक्सल उन्मूलन अभियान तथा छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति केप्रचार-प्रसार एवं सुकमा पुलिस द्वारा चलाये जा रहे पूना नम अभियान (नई सुबह, नई शुरूवात) से प्रभावित होकर नक्सलियों के अमानवीय आधारहीन विचारधारा एवं उनके शोषण, अत्याचार तथा बाहरी नक्सलियों द्वारा भेदभाव करने तथा स्थानीय आदिवासियों पर होने वाले हिंसा से तंग आकर नक्सली संगठन के केकेबीएन डिवीजन कंधमाल, कालाहांडी, बौद्ध, नयागढ़ में कार्यरत नक्सली दंपत्ति मडकम हिड़मा एवं कुराम हुंगी दोनों निवासी जिला बीजापुर क्षेत्र द्वारा सोमवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पुलिस अधीक्षक सुकमा सुनील शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जिला सुकमा ओम चंदेल के समक्ष बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 9 जुलाई। छत्तीसगढ़ बैडमिंटन एसोसिएशान के तत्वावधान में अंडर - 19 (एकल व युगल ) का अंतर जिला स्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता का आयोजन जिला मुख्यालय सुकमा में नवनिर्मित स्व. कवासी हड़मा इंडोर बैडमिंटन स्टेडियम में 1 से 5 अगस्त तक किया जाएगा। इस आयोजन में प्रदेश के प्रत्येक जिला प्रतिभाशाली बैडमिंटन खिलाड़ी अपना प्रदर्शन करेंगे।
इस आयोजन में करीब 120 बालक/बालिका सम्मिलित होंगे। यह आयोजन जिला बैडमिंटन एसोसिएशन सुकमा के तत्वावधान में किया जाएगा। उक्त जानकारी जगन्नाथ (राजू) साहू, अध्यक्ष, सुकमा जिला बैडमिंटन एसोसिएशन ने प्रदान की है। जिला सुकमा से भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।
जिला सुकमा बैडमिंटन एसोसिएशन द्वारा संजय मिश्रा, सचिव, छग बैडमिंटन एसोसिएशन के मार्गदर्शन में तथा कवासी हरीश, अध्यक्ष, जिला पंचायत के संरक्षण में स्थानीय खिलाडिय़ों को मंच व अवसर देने हेतु इस आयोजन को कवासी लखमा के निर्देशन में संपन्न कराया जा रहा है।
सुकमा जिला बैडमिंटन एसोसिएशन द्वारा प्रतिभागी खिलाडिय़ों के आवासीय एवं भोजन की भी उच्च स्तरीय व्यवस्था की जा रही है। इस आयोजन में सफल होने वाले खिलाडिय़ों को राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्राप्त होगा। जिले में बैडमिंटन खिलाड़ी व खेलप्रेमियों में प्रचार-प्रसार एवं पूरे टूर्नामेंट को सफल बनाने के लिए जिला खेल अधिकारी विरुपाक्ष पुराणिक ने युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है।
जगन्नाथ (राजू) साहू, अध्यक्ष, सुकमा जिला बैडमिंटन एसोसिएशन ने उम्मीद की है कि सभी के सहयोग से यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न होगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 8 जुलाई। जिले के कोंटा ब्लॉक के ग्राम पंचायत मुलाकिसोली ग्रेनाइट खदान के लिए फर्जी ग्राम सभा के माध्यम से प्रस्ताव पारित करने की बात सामने आ रही थी, जिसको लेकर ग्रामीणों ने भी आपत्ति दर्ज करते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौंप विरोध दर्ज करवाया।
ग्रामीणों ने आरोप लगाते कहा कि ग्राम सभा के पास अधिकार होता है कि ग्राम क्षेत्र में किसी भी प्रकार के कार्य के लिए ग्राम सभा की अनुमति की जरूरत होती है लेकिन यहां पर फर्जी ग्रामसभा के माध्यम से प्रस्ताव पारित किया गया है। ग्रामीण स्पष्ट कर रहे हैं कि खदान को लेकर किसी भी प्रकार का ग्राम सभा का आज तक कोई बैठक नहीं हुई है, ऐसे में जो ग्राम सभा का प्रस्ताव की बात कही जा रही है। ग्रामीणों के मुताबिक जिलाधिकारी से लीज की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगे, ऐसे अपील के साथ ज्ञापन सौंपा।
ग्रामीणों का कहना है कि उक्त गौण खनिज के उत्खनन हेतु हमारे गांव के खसरा क्रमांक 194, 196, 197, 198, 199, 201, 202, 204 एवं 205 कुल रकबा 39.149 हेक्टेयर एवं खसरा क्रमांक 148 रकबा 9.79 हेक्टेयर काबिज कास्त की निस्तार की भूमि प्रभावित होगी। जिसमें महुआ 73, बीजा 64, साजा 84 एवं तेन्दू 3292 वृक्ष है। प्रस्तावित भूमि और वृक्षों से हमारा निस्तार व लघु वनोपज का संग्रहण पीढिय़ों से रहा है। वनोपज के माध्यम से ही हम ग्रामवासी अपने एवं अपने परिवार का पालन-पोषण करते रहे हैं। पेसा अधिनियम 1996 की धारा 4 (ट) के तहत् पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टों को प्रदान करने के पूर्व ग्रामसभा या ग्राम पंचायत की सिफारिशों को आज्ञापक बनाती है और हमारी ग्रामसभा या ग्राम पंचायत के द्वारा कभी भी ग्रेनाईट गौण खनिज के उत्खनन की सिफारिश या ग्राम सभा नहीं की।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भोपालपटनम, 7 जुलाई। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के खण्ड चिकित्सा अधिकारी( बीएमओ )अजय रामटेके के विरूद्ध ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक संघ लामबंद हो गई है। उनके खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं।
संघ की ओर से लिखित शिकायत सीएचएमओ बीजापुर को 15 मई को दिया और साथ ही साथ जिला सांसद प्रतिनिधि कामेश्वर राव गौतम और ब्लाक काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रमेश पामभोई के साथ ही जिला कलेक्टरेट के आवक जावक शाखा में भी शिकायत पत्र को दिया गया है।
शिकायत पत्र के माध्यम से भोपालपटनम सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के खण्ड चिकित्सा अधिकारी अजय रामटेके एवं सहायक ग्रेड 03 गोवर्धन कल्लेम्म पर आरोप लगाए कि ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक विकट परिस्थितियों में पहुँचविहीन मैदानी क्षेत्रों में कर्तव्य निष्ठा से स्वास्थ्य सेवाएं देते हैं, इसके बावजूद बीएमओ के द्वारा कर्मचारियों को मानसिक एवं आर्थिक रूप से प्रताडि़त किया जाता है, जिसके कारण समस्त कर्मचारियों में रोष है।
हम समस्त कर्मचारी खण्ड चिकित्सा अधिकारी एवं सहायक ग्रेड 03 बाबू के साथ कार्य करना नहीं चाहते हैं, क्योंकि वे हम कर्मचारियों को मानसिक रूप से परेशान करते हैं। साथ ही साथ शासन के द्वारा प्राप्त लाभों का हनन कर हम कर्मचारियों को आर्थिक क्षति पहुँचाते हैं।
जिला मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी से फोन से मीडिया के द्वारा जानकारी मांगी गई कि जिला ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक के द्वारा 15 मई 2022 को जो लिखित शिकायत दिया गया था, उस शिकायत पत्र पर क्या कार्रवाई हुई है, उसकी जानकारी के लिए 15 जून को स्मरण पत्र भी दिया है। जिस पर जिला मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा है कि डॉ. अजय रामटेके के द्वारा स्पष्टीकरण लिया गया है, उसमें उन्होंने कहा है कि मुझ पर लगा आरोप गलत है, कहकर बयान दिया है और सहायक ग्रेड 03 गोवर्धन का बयान नहीं लिया गया है बाबू का भी स्पष्टीकरण लिया जाएगा।
ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रमेश पामभोई ने कहा है कि हमें जो ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक संघ जिला बीजापुर के द्वारा डॉ. अजय रामटेके एवं सहायक ग्रेड 03 गोवर्धन के बारे में जो लिखित शिकायत पत्र दिए हैं, उसे ब्लॉक काँग्रेस कमेटी के द्वारा डॉ रामटेके पर शिकायत करते हुए मुख्यमंत्री से त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है। जिला सांसद प्रतिनिधि कामेश्वर राव गौतम ने कहा है कि हमारे ब्लाक काँग्रेस कमेटी ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संगठन के साथ हैं।