विचार / लेख

सबको अवसर देता है भगवान
26-May-2021 6:12 PM
सबको अवसर देता है भगवान

-प्रकाश दुबे

सबरीमला के अयप्पा लोकसभा क्षेत्र पत्तनंतिट्टा में विराजमान हैं। वीना जार्ज लोकसभा चुनाव हारीं। हिम्मत नहीं हारी। उसी लोकसभा क्षेत्र के एक विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर वीना  मंत्री बनीं। वाम मोर्चा के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, उनके दामाद मोहम्मद रियास सहित 15 लोगों ने सत्यनिष्ठा के नाम पर शपथ ली। वीना ने भगवान को याद किया।  ईसाई बहुल केरल कांग्रेस के मणि गुट के प्रतिनिधि रोशी आगस्टीन, इंडियन लीग के अहमद दावरकोविल ने अपने अपने आराध्य को याद किया। सबरीमला मिलनसार  देवता का स्थान है। इसे शैव और वैष्णव दोनों अपना मानते हैं। वार्षिक यात्रा में करीब दो करोड़ श्रद्धालु आते हैं। 41 दिन की कठिन यात्रा मंडपम को तभी पूरा माना जाता है जब श्रद्धालु वावर बाबा मस्जिद में मत्था टिका कर आए। इस्लाम मानने वाले परिवार में जन्मे वावर अयप्पा के भक्त थे। यूं तो सबके लिए खुला है-मंदिर ये। कुछ महिलाओं को छोडक़र। वीना मंत्री हैं परंतु अयप्पा दर्शन? टीवी पत्रकार रही हैं। दूर से दर्शन सही।

मुक्कों की मार से बरसे सोना

मुक्केबाज मेरी काम सब काम छोडक़र सोने का एक पदक पक्का करने की कोशिश में जी जान से जुटी हैं। बच्चों की बीमारी से बेचैन रहीं। दिल पर हाथ रख अपने को समझाया। कोरोना महामारी के बीच दिल्ली कोचिंग के लिए जाने की तैयारी की। मुक्केबाजी एसोसिएशन ने ही कोचिंग कैम्प रद्द किया। हजारों किलोमीटर पुणे में प्रैक्टिस जारी है। विश्व स्तर की स्पर्धा में आधा दर्जन स्वर्ण पदक बटोर चुकी मेरी काम की आयु 40 से दो साल कम है। 50 किलो  वजन वाली मुक्केबाज टोकियो ओलम्पिक में सोना पाने का अवसर गंवाना नहीं चाहतीं। ओलम्पिक से पहले एशियाई मुक्केबाजी स्पर्धा में  तैयारी का एक अवसर है।  स्पर्धा के लिए दुबई जाने की उनकी तैयारी है। पहुंचना और शामिल होना मेरी काम के वश में नहीं है। भारत और दुनिया की विमान सेवाओं और इस समय महामारी से संबंधित प्रतिबंधों पर बहुत कुछ निर्भर करता है। हम भारतीय किसी को रोता देखकर मोहित हो जाते हैं। स्वर्ण पदक लेते समय रोते हुए देखना चाहते हैं या न जाने और न पाने के कारण आंसू बहाने पर? तय करो।

 ठंडे का फंडा

प्रेस क्लब आफ इंडिया का मुख्य काम इन दिनों बंद है। यह मत पूछिए क्या? हर तरह के सोमरस को शीतल और पत्रकार सदस्यों को जोशीला बनाने वाली मशीनें ठंडी पड़ी हैं। प्रेस क्लब के सचिव विनय कुमार सिर्फ पत्रकार के रूप में ही कल्पनाशीलता के लिए प्रख्यात नहीं हैं। उन्होंने प्रेस क्लब की मशीनों का महामारी को मात देने के लिए उपयोग करने का प्रस्ताव रखा। औषधियां, इंजेक्शन, टीके सुरक्षित रखने के लिए इन प्रशीतकों का उपयोग हो सकता है। प्रेस क्लब परिसर का उपयोग सामूहिक टीकाकरण के लिए किया जा सकता है। प्रस्ताव से प्रभावित  दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसके एवज में प्रेस क्लब सदस्यों के टीकाकरण की तैयारी दिखाई। शनिवार को अधिकारी मुआयना कर गए। प्रेस क्लब के चार हजार से अधिक सदस्य और उनके परिवारजन  आश्वासन से खुश हैं। वे यह भूल गए कि टीके केजरीवाल के घर नहीं बनते। केन्द्र सरकार से मिलते हैं। तिथि की सूचना मिलने के बाद पक्का समझाना। टीके के बजाय पेय पदार्थ से प्रतिरोधक ताकत पाने का विकल्प है। उसके लिए लाक डाउन और क्लब  खुलने तक इंतजार करना पड़ेगा।

कुर्सी चाहे कैसी हो

बहुत पुराने जमाने की बात नहीं है जब आला कमान की अनसुनी करने पर पत्ता साफ हो जाता था। जब सत्ता नहीं है तो आलाकमान ही ढीला पड़ा है। विधानसभा चुनाव से पहले सबने सौ सौ बार कसमें खाईं कि आपस में झगड़ा नहीं करेंगे। जीत कर आने के बाद भी। आलाकमान जिसे तय करेगा, उसे मुख्यमंत्री मान लेंगे। आलाकमान मुगालते में रहा हो, केरल के राज्य नेता एक दूसरे पर भरोसा नहीं कर पाए। जनता बेवकूफ नहीं है। उसने भी दावे पर यकीन नहीं किया।  सत्ता नहीं मिली। तो क्या हुआ? अब नेता प्रतिपक्ष के लिए खींचतान जारी है। जीतने वाले मोर्चे ने सरकार बना ली। मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाले रमेश चेन्निथला नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी बचाने के लिए दो दर्जन नवनिर्वाचित विधायकों का जुगाड़ करने में जुटे हैं। उनकी कोशिश नाकाम करने कम से कम चार दावेदार राह में अड़े हैं। केरल के प्रभारी महासचिव तारिक अनवर हैरान हैं। इतनी मेहनत चुनाव में की होती तो नतीजे कुछ बेहतर होते। अंतत: चेन्निथला को हटाकर नया चेहरा लाए। वैसे सतीशचंद्रन पहले भी चुनाव जीत चुके हैं। विधानसभा में उनकी सक्रियता से तारिक भाई प्रभावित हुए।  

(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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