विचार / लेख
- विनीत कुमार
जनवरी 1950 को जयपुर में काग्रेस के 55वां अधिवेशन होने जा रहा था। इसी दौरान नेहरूजी जयपुर के बालिका विद्यापीठ भी गए। जिनके स्वागत में छोटी-छोटी बालिकाएं कई तरह के नारे लगा रही थीं। जिनमें एक नारा बार-बार गूँज रहा था। ‘भारत माता की जय।’ नेहरूजी ने शोर थमने के बाद बालिकाओं से पूछा, ‘मेरे प्यारे बच्चों, बताओ भारत माता कोन है?’ सभी बालिका गुमसुम हो शिक्षकों की ओर देखने लगीं तो....
नेहरूजी ने मुस्कुराकर कहा, ‘अरे! इन्हें कहां मालूम। वास्तव में हमारा देश और उसके निवासी ही भारत माता हैं।’...वे आगे बोले, ‘बच्चों, हमारा पूरा देश, इसके पहाड़, इसकी नदियाँ, गाँव, शहर सभी भारत माता है। देश के उद्योग, मशीनरी, सभी औजार भारत माता है। देश के सभी जाती-धर्म के लोग, अमीर-गरीब, छोटे-बडे, बूढ़े-बच्चे सभी लोग भारत माता हैं। हमें इनकी बेहतरी के लिए काम करना चाहिए। इनको विकास की ऊंचाइयों पर ले जाना चाहिए। संतान का काम माता की देखभाल करना है, उसको खुश रखना है। जिसमें देश के एक भी व्यक्ति की आँखें नम न हो। देश के संसाधनों से खिलवाड़ न हो। यदि आप ऐसा नहीं करते हो तो ये ‘भारत माता’ के साथ धोखा है, छल है।’....यह सुनकर वहाँ उपस्थित शिक्षक, बच्चे, स्वाधीनता सेनानी व उद्योगपति घनश्यामदास विड़ला भाव-विभोर हो गये। सभी ने एक साथ जोर से कहा, भारत माता की जय।
समय के साथ यह नारा काग्रेस से हाथ से निकल गया और इसके मायने ही बदल गये। इसके दम पर आज सरकारें बनने बिगडऩे लगीं, जिसे हम और आप बखूबी देख भी रहे हैं..
27 मई चाचा नेहरू जी की पुण्यतिथि पर नमन