विचार / लेख

बाबा गुरु घासीदास के बताए गए सरल मार्ग
18-Dec-2022 8:56 AM
बाबा गुरु घासीदास के बताए गए सरल मार्ग

-तारण प्रकाश सिन्हा

बगिया के फूल ल सबो भौंरा जुठारे हे साहेब।
कहां ले आरुग फूल लान के चढावंव साहेब।।
गाय के गोरस ल बछरू जुठारे हे ।
कहां के आरूग गोरस लानव साहेब।।
कोठी के अन्न ल सुरही जुठारे हे।
कहां के आरुग चाउर के तस्मई बनानंव साहेब।।
नदिया के पानी ल मछरी जुठारे हे ।
कहा के आरुग जल मय लानव साहेब ।।
आरूग हवे हमर हिरदय के भाव साहेब  ।
ओही ल सरधा से तोर चरन म चढावंव साहेब ।।

फूलों को भौरे ने झूठा कर दिया है, दूध को बछड़े ने, अनाज को कीटों ने, नदी के पानी को मछलियों ने...। तो ऐसा क्या है जिसे कोई जूठा न कर सका ? जो पवित्र है ?
वह हृदय के भाव ही हैं, उसे ही गुरु के चरणों में चढ़ाना ठीक होगा।
ये पंथी-गीत के बोल हैं, उसी के भाव हैं।

गुरु की अर्चना का यह तरीका बाबा गुरु घासीदास जी द्वारा बताए गए धर्म के मार्ग जितना ही सरल है। उन्हीं के उपदेशों से हृदय में उत्पन्न होने वाले भावों को उन्हीं को अर्पित कर देने से अच्छा और क्या हो सकता है ? उन्होंने जिन भावों से हृदय को ओत-प्रोत कर दिया है, वे दया, करुणा, ममता, प्रेम, परस्परता के भाव हैं। 

बिरले ही संत होंगे जिन्होंने इतनी सहजता के साथ लोगों को बता दिया कि वास्तव में धर्म क्या है। गुरु घासीदास ने कहा- मनखे-मनखे एक समान। इस एक वाक्य में न कोई अलंकार है, न कोई चमत्कार। सीधी-साधी भाषा है, और सीधे-साधे शब्द। लेकिन यह सदियों के आध्यात्मिक अनुभवों का निचोड़ है। जिस बात को वसुधैव कुटुंबकम् कहकर नहीं समझाया जा सका, उसे गुरु घासीदास ने लोक को उसी की बोली में समझा दिया। उन्होंने धर्म के आचरण के बहुत सरल सूत्र दिए, सत्य पर भरोसा कीजिए, सत्य का आचरण कीजिए, प्राणियों के साथ हिंसा मत कीजिए, नशा-व्यभिचार मत कीजिए।

गुरु घासीदास जी ने उपदेश दिया कि जाति-पाति के प्रपंच में मत पड़ो। जिसने इस सृष्टि को बनाया है, वही सतनाम है, उसी को पूजो, उसी की आराधना करो। वे जो कह रहे थे, वह इतना आसान और ग्राह्य था कि देखते ही देखते लाखों लोग उनके अनुयायी हो गए। उनके संदेशों की खुशबू न केवल छत्तीसगढ़ की बल्कि देश की सीमाओं को भी लांघकर बिखर गई। गुरु घासीदास ऐसे समय में हुए, जब उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। उन्होंने मोक्ष का कोई मंत्र नहीं बताया, स्वर्ग की सीढ़ियां नहीं दिखाई, कहा कि खुद से खुद को मुक्त कर लो, फिर खुद भीतर उतर जाओ, सत्य वहीं पर बसता है। वहीं पर सतनाम है। 
बाबा गुरु घासीदास जी को उनकी जयंती पर शत-शत वंदन

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news