विचार / लेख

भुट्टो और राहुल जऱा संभलकर बोलें
19-Dec-2022 11:53 AM
भुट्टो और राहुल जऱा संभलकर बोलें

बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और कांग्रेस के मालिक राहुल गांधी के बयानों पर भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं हो रही हैं। पता नहीं, इन दोनों पार्टी-मालिकों के बयानों पर भाजपाइयों को इतने नाराज होने की जरुरत क्या है? जहां तक बिलावल का सवाल है, वह जब छोटा बच्चा था तो अपनी मां बेनजीर के साथ मुझसे मिलने अक्सर दुबई में आया करता था। अब वह अचानक पार्टी का मुखिया और विदेश मंत्री बन गया है। उसके मुंह से यदि कोई अग्निवर्षक बयान नहीं निकलेगा तो पाकिस्तान में उसे कौन गांठेगा?

वह अपने नाना जुल्फिकार अली भुट्टो से भी आगे निकलना चाहता है। इसीलिए उसने अपना उपनाम अपने पिता जरदारी का रखने की बजाय अपने नाना भुट्टो का रख लिया है। भुट्टो कहा करते थे कि भारत से यदि हजार साल भी लडऩा पड़े तो वे लड़ते रहेंगे लेकिन वे कश्मीर लेकर रहेंगे। बेनजीर से मैं जब-जब भी मिला तो मैंने उनसे कहा कि आप कश्मीर लेने के चक्कर में पाकिस्तान खो बैठेंगी। फौज के तले दबे हुए पठान, बलूच और सिंधी आपके देश के कई टुकड़े कर देंगे। मुझे विश्वास था कि बिलावल बड़ा होकर इस मुद्दे पर ध्यान देगा लेकिन उसने न्यूयार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना कुख्यात आतंकवादी उसामा बिन लादेन से कर दी। अब जबकि प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान काफी संतुलित बयान दे रहे हैं, बिलावल ने ऐसा अतिवादी बयान देकर अपन छवि बनाई या बिगाड़ी है, वह जरा खुद सोचें।

इसी तरह राहुल गांधी ने तवांग में हुई छुटपुट भारत-चीन मुठभेड़ के बारे में कुछ ऐसी बातें कह दी है कि जो उल्टे बांस बरेली जैसी लगती हैं। उन्होंने पूछा है कि गलवान घाटी कांड के और उसके पहले चीन ने जो हमारी जमीन छीनी है, उसके बारे में मोदी चुप क्यों हैं? राहुल को शायद पता नहीं कि उसके परनाना नेहरुजी के जमाने में हमारी लगभग 38 हजार किमी जमीन पर चीन ने कब्जा कर लिया था और 1962 के युद्ध में भारत को भारी शार्मिंदगी उठानी पड़ी थी। पिछले पांच-छह दशक के शासन-काल में क्या कांग्रेस पार्टी ने उस जमीन की वापसी के लिए कभी कोई ठोस कोशिश की? राहुल के पिताजी प्रधानमंत्री राजीव गांधी तो चीनी नेताओं से गल-मिलव्वल के लिए 1988 में चीन भी पहुंच गए थे। कांग्रेस ने मोदी से तवांग पर सात सवाल पूछे हैं, उनमें से कुछ तो बिल्कुल सही हैं, जो विरोधी दलों को उठाना ही चाहिए लेकिन ये सवाल जिस तरह से पूछे गए हैं, वे भारत के राष्ट्रहितों का अहित तो करते ही हैं और बहादुर फौजियों का मनोबल भी गिराते हैं। कांग्रेस की राजीव गांधी फाउंडेशन का चीन से जो लेन-देन रहा है, वह भी इन बयानों से बराबर उजागर होता है। इसीलिए बिलावल भुट्टो और राहुल गांधी, जैसे युवा नेताओं को इस तरह के विवादास्पद बयान देते समय कुछ अनुभवी सलाहकारों से परामर्श जरुर कर लेना चाहिए। (नया इंडिया की अनुमति से)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news