विचार / लेख

अडानी का क्या होगा? देखते जाइए...
09-Feb-2023 10:35 PM
अडानी का क्या होगा? देखते जाइए...

-अजीत साही
छह हफ्ते पहले अडानी का शेयर लगभग चार हज़ार दो सौ रुपए था। कल यानी बुधवार को ये शेयर बाइस सौ रुपए था। यानी छह हफ़्ते पहले का कऱीब आधा।

लेकिन ख़बर वाले चिल्ला रहे हैं कि अडानी के शेयर में तेज़ उछाल आया है। उसकी वजह ये है कि परसों ये शेयर कऱीब एक हज़ार रुपए तक पहुँच गया था। तब से लगभग दोगुना बढ़ा है।

आखिर क्यों बढ़ा है? क्या अडानी वापस चार हज़ार पर पहुँच जाएगा?

पहले सवाल का जवाब देखते हैं।

भारत एक अपराधी समाज है। उसका क़ानून से कोई लेना देना नहीं है। शेयर बाज़ार का तो बिल्कुल नहीं है। शेयर की खऱीद-फऱोख्त वाले चाहे हमारे आपके जैसे फुटकर लोग हों या बड़े बड़े बैंक और पूँजीपति निवेशक, उनको इससे मतलब नहीं होता है कि कंपनी में कितना दम है, कि वो कितनी कमाई कर रही है, कि उसका भविष्य कितना उज्ज्वल है। उनको सिर्फ़ इससे मतलब है कि कंपनी का वैल्यूएशन कितना है।

भारत में किसी कंपनी के वैल्यूएशन के बढऩे में बैंकों से मिले कर्ज़़े का बड़ा हाथ होता है। क्योंकि कर्ज़ा पाकर कंपनी की बैलेंस शीट मोटी हो जाती है। बाक़ी तो हवा-हवाई बातें छाप कर भारत की कंपनियाँ ख़ूब गोली देती हैं। कि हम पाँच साल में यहाँ होंगे, दस साल में वहाँ होंगे। सच्चाई किसी को नहीं पता होती है।

मैं तो सालों से ज्यादातर कंपनियों के वित्तीय परिणाम पर भी यकीन नहीं करता हूँ। जिस देश में ऊपर से नीचे हर प्राणी झूठ बोलता हो उसका व्यापारी सच बोलेगा ये तो मूर्ख ही मानेगा। अडानी प्रकरण खुलने पर ये सामने आया है कि अडानी जैसे अरबपति की लेखा परीक्षा भी फर्जी कंपनी से हो रही थी। और कोई सवाल पूछने वाला नहीं है। तो बाकी कंपनियों का क्या हाल होगा ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

पंद्रह दिन पहले अडानी के शेयर बेतहाशा गिरने शुरू हुए। इसलिए नहीं क्योंकि उसकी बेईमानी उजागर हो गई। बेईमान तो इंडिया में हर कोई है। शेयर इसलिए गिरे कि अपराध सामने आ जाए तो सवाल खड़ा हो जाता है कि अब क्या होगा। क्या इसको नुक़सान होगा? क्या ये फँस गया? कोई ये नहीं सोच रहा था कि इसे अपराध की सज़ा मिलनी चाहिए। अडानी अकेला बेईमान तो है नहीं। फिर निवेशक क्यों चाहेगा कि वो फँसे?

शेयर आज इसलिए बढ़े क्योंकि संसद में मोदी के भाषण के बाद सबको समझ आ गया है कि ये सरकार पूरी तरह अडानी को बचा लेगी। उसका बाल भी बाँका नहीं होगा। उस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। उसके खिलाफ़ केस होना तो दूर उसको सिस्टम का हर जर्ऱा बचाने के लिए तैयार खड़ा है। बस, निवेशक को यही आश्वासन तो चाहिए। जब अपराध ही सामाजिक मूल्य बन जाए तो फिर नीति और विवेक गंगाजी में बह जाता है।

अब दूसरा सवाल- क्या अडानी के शेयर वापस चार हजार तक पहुँचेंगे?

ये इस पर निर्भर करेगा कि विदेशी बैंक अडानी से वापस मुहब्बत करेंगे कि नहीं। फिलहाल तो ये मुश्किल दिखता है। वजह ये कि अडानी का कारोबार ताश के पत्ते का है। अंदरूनी हालत ख़स्ता है क्योंकि उसने अपना ही पैसा दो नंबर के रास्ते बाहर भेज कर दोबारा अपनी कंपनी में लगा कर अपने शेयर का दाम और वैल्यूएशन आर्टिफिशियली बढ़ाया है। इसे ही हिंडनबर्ग ने लेखा धोखाधड़ी और शेयर हेरफेर कहा है। तो भारतीय कंपनियों और बैंकों में ये सब आम है। दिन रात हम पढ़ते हैं कि बैंकों के लाखों करोड़ों डूब गए। क्योंकि यहां कोई कानून का पालन तो तो होता नहीं है। सब मिलकर खा रहे हैं। क्या बैंक मैनेजर, क्या नेता, क्या व्यापारी। देखने वाला कौन है?

लेकिन पश्चिम के बैंक सरकारी नहीं हैं। वो प्राइवेट हैं। उन्हें नफा नुकसान दिखाना होता है। उनको समझ आ गया है कि अडानी का पराक्रम अंदर से खोखला है। एक न एक दिन इसका भंडाफोड़ होगा और ये ध्वस्त होगा। और ये भी कि कंपनी का वैल्युएशन फर्जी है। तो मुनाफ़ा नहीं होगा। इसलिए पश्चिमी बैंक और निवेशक अडानी से दूर भागेंगे।

फिलहाल तो ये है कि अडानी के पास उतने पैसे नहीं हैं जितने वो दावे कर रहे थे। तो धंधे में पैसा लगाने में किल्लत आएगी जिसके आसार दिखने शुरू हो गए हैं। और दूसरी ओर कंपनी ने कर्ज़ा भरपूर ले रखा है। तो कर्ज़ा तो चुकाना ही होगा।
देखते जाइए।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news