विचार / लेख
-डॉ राकेश पाठक
गांधी हत्याकांड में गिरफ्तार हुए थे गोयनका और पोद्दार।
1) गीता प्रेस के संस्थापक जयदयाल गोयनका और हनुमान प्रसाद पोद्दार वैचारिक रूप से दलित और स्त्री विरोधी थे।
जब महात्मा गांधी दलितों को मंदिरों में प्रवेश के लिए संघर्ष कर रहे थे तब 'कल्याण' पत्रिका में लिखा जाता था कि अछूत और नीची जाति में जन्म लेना पिछले जन्म के कर्मों का फल है।
शुरू में गांधी जी और पोद्दार के संबंध अच्छे थे लेकिन दलितों पर पोद्दार के विचारों से उनके बीच दूरी हो गई।
2) गोयनका और पोद्दार गांधी जी की हत्या के बाद संदेह के आधार पर गिरफ्तार हुए थे।
गांधी जी की हत्या के बाद फरवरी और मार्च 1948 के कल्याण के अंकों में गांधी जी की हत्या के बारे में एक शब्द नहीं छपा था।
3)घनश्याम दास बिड़ला गीता प्रेस की मदद करते थे लेकिन गांधी हत्याकांड के बाद बिड़ला ने इन लोगों की मदद करना बंद कर दिया। बिड़ला ने लिखा कि ये दोनों सनातन धर्म नहीं शैतान धर्म का प्रचार कर रहे हैं।
गांधी हत्याकांड के बाद गिरफ्तार गुरु गोलवलकर जब रिहा हुए तो एक आमसभा में पोद्दार भी उनके साथ थे।
4) गीता प्रेस ने हिंदू कोड बिल का जमकर विरोध किया। डॉ आंबेडकर ने खिलाफ़ अभियान चलाया और उसने इस्तीफे की मांग की। गीता प्रेस महिलाओं को अधिकार देने के कानून का विरोधी था इसलिए अंबेडकर के विरोध में कल्याण ने अभियान चला रखा था।
5) सनातन धर्म के प्रचार के नाम पर हिन्दू राष्ट्र के प्रचार में लगा रहा कल्याण और गीता प्रेस ने अंधविश्वास और पोंगा पंथ को बढ़ाने वाला साहित्य छाप छाप कर घर घर पहुंचाया।
गरुण पुराण जैसे ग्रंथ को घर घर में रखने के लिए अभियान चलाया।
ऐसे संस्थान गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।