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राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच बढ़ता टकराव नई ऊंचाई पर
01-Jul-2023 7:37 PM
राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच बढ़ता टकराव नई ऊंचाई पर

तमिल नाडु के राज्यपाल आरएन रवि का राज्य सरकार के एक मंत्री को बर्खास्त करना एक अभूतपूर्व कदम है. आखिर कई राज्यों में सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति और गंभीर क्यों होती जा रही है.

     डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-

मंत्री वी सेंथिल बालाजी की मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हुई गिरफ्तारी के करीब 15 दिन बाद राज्यपाल रवि ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। फिर पांच घंटों के अंदर उन्होंने उस बर्खास्तगी को रोक तो दिया लेकिन तब तक एक अभूतपूर्व विवाद जन्म ले चुका था।

राज्यों में किसी मंत्री को बर्खास्त करने का फैसला मुख्यमंत्री का होता है और मुख्यमंत्री बर्खास्तगी की अनुशंसा राजयपाल को भेजते हैं। इस मामले में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद से सलाह लिए बिना मंत्री को बर्खास्त कर दिया।

क्या है मामला
बालाजी को प्रवर्तन निदेशालय ने 14 जून को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया था। आरोप 2014 के थे जब वो एआईएडीएमके पार्टी में और उस समय की सरकार में यातायात मंत्री थे। राज्यपाल चाह रहे थे कि मुख्यमंत्री स्टालिन बालाजी की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मंत्री पद से हटा दें लेकिन स्टालिन ने अभी तक यह फैसला नहीं लिया था।

इसी बीच राज्यपाल ने गुरूवार 29 जून को स्टालिन पर बालाजी के प्रति पक्षपात का आरोपलगाते हुए बालाजी को बर्खास्त करने के आदेश दे दिए। मामले ने और ज्यादा नाटकीय मोड़ तब लिया जब राज्यपाल ने पांच घंटों के अंदर ही स्टालिन को पत्र लिख कर बालाजी की बर्खास्तगी रोक देने का आदेश दिया।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उन्होंने स्टालिन को लिखा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें कहा है कि इस मामले में अटॉर्नी जनरल की सलाह भी ले लेनी चाहिए। उनकी सलाह मिलने तक बर्खास्तगी के आदेश को रोक दिया जाए।

मुख्यमंत्री स्टालिन राज्यपाल के कदम से नाराज थे और उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि वो बर्खास्तगी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। राज्यपाल की ताजा चिट्ठी के बाद स्टालिन ने अभी तक अपने अगले कदम के बारे में घोषणा नहीं की है।

कई राज्यों में टकराव
संविधान की धारा 164 (1) के मुताबिक राज्यपाल मुख्यमंत्री को नियुक्त करते हैं और फिर मुख्यमंत्री की सलाह पर दूसरे मंत्रियों को नियुक्त करते हैं। सभी मंत्री तब तक अपने पदों पर बने रह सकते हैं जब तक राज्यपाल चाहें। हालांकि सुप्रीम कोर्ट कई फैसलों में यह स्पष्ट कर चुका है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल को हमेशा मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही काम करना होता है।

यह पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री स्टालिन और राज्यपाल रवि आपस में भिड़ गए हैं। इससे पहले रवि ने राज्य की विधान सभा द्वारा पारित कई बिलों पर अपनी सहमति देने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद डीएमके ने उनके खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखकर शिकायत की थी। इस बार विपक्षी पार्टियां रवि को बर्खास्त करने की मांग कर रही हैं।

विपक्षी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों के बीच टकराव पहले भी होता था, लेकिन बीते कुछ सालों में यह काफी बढ़ गया है। दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल जैसे राज्यों में अक्सर यह टकराव देखने को मिल रहा है। केरल में तो स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि राज्य सरकार राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। (dw.com)

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