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यूरोप में धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों का बोलबाला फिर से क्यों बढ़ रहा है?
01-Jul-2023 8:19 PM
यूरोप में धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों का बोलबाला फिर से क्यों बढ़ रहा है?

-कात्या एडलर

फ्रांस में जब इमैनुएल मैक्रों ने कारें कम करने के लिए पेट्रोल के दाम बढ़ाने की कोशिश की तो उन्हें येलो वेस्ट प्रदर्शन का सामना करना पड़ा जिसमें कई दक्षिणपंथी समूह शामिल थे।वहीं जर्मनी में अर्थव्यवस्था को लेकर लोगों की चिंता और नाराजगी ने सरकार में बैठी ग्रीन पार्टी को पर्यावरण सुधार के अपने वायदे को पूरा करने से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। 

फ्रांस इस समय भीषण हिंसा की चपेट में है। इसी हफ्ते फ्रांसीसी अल्जीरियाई मूल के एक 17 साल के युवक को पुलिस ने पेरिस के पास ननात्रे में गोली मार दी। इसके बाद आम तौर पर शांत रहने वाले इस शहर के बाहरी इलाकों में हिंसा फूट पड़ी और ये पूरे आग तेजी से देश के दूसरे हिस्सों में फैल गई। हालांकि इस तरह के दंगे फ्रांस के लिए नए नहीं हैं। लेकिन 2005 के बाद से देश में इतने बड़े पैमाने पर हिंसा नहीं हुई थी। एक तरफ राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों हालात पर काबू पाने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ उनके लिए संघर्ष मुश्किल दिख रहा है। उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी धुर-दक्षिणपंथी मरीन ले पेन को सुरक्षा पर कड़ा रुख अपनाने और अप्रवासी विरोधी संदेश देने से चुनावों में फायदा हो सकता है।

अगर आप यूरोप पर एक नजर घुमाकर देखें, चाहे वो उत्तर, दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम-आप अलग-अलग किस्म की धुर-दक्षिणपंथी पार्टियां देख सकते हैं जो नव फासीवादी पृष्ठभूमि के साथ अतीतजीवी, लोकप्रियतावादी, धुर रुढि़वादी राष्ट्रवादी पार्टियां हैं जिनका हाल के सालों में अच्छा खासा उभार हुआ है।

20वीं सदी में नाजियों और फासीवादी इटली के खिलाफ यूरोप के विनाशकारी युद्ध के ज़माने से ही ये धारणा रही है कि धुर-दक्षिणपंथ को कभी वोट नहीं देना चाहिए और मुख्य धारा की पार्टियां भी धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों से गठबंधन करने से इनकार करती थीं लेकिन अब इस पीढ़ी की संख्या धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है। साल 2000 में मैं वियना में रह रही थी, जब दक्षिणपंथ की ओर झुकाव वाली मध्यमार्गी पार्टी ने पहली बार धुर-दक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी से गठबंधन किया। पूरी दुनिया में ये खबर सुर्खी बनी। यहां तक कि यूरोपीय संघ (ईयू) ने वियना पर राजनयिक प्रतिबंध लगा दिए। अब, यूरोपीय संघ की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इटली की लीडर हैं जियार्जिया मेलोनी जिनका जुड़ाव नव फासीवादी से है। वहीं तीन महीने की वार्ता के बाद फिनलैंड में धुर-दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी पार्टी ‘द फिन्स’ हाल ही में गठबंधन सरकार में शामिल हुई है।

स्वीडन, ग्रीस, स्पेन... लंबी फेहरिश्त
स्वीडन में प्रवासियों और बहु संस्कृतिवाद की घोर विरोधी ‘स्वीडेन डेमोक्रेट’ पार्टी संसद में सबसे बड़ी पार्टी है जो वहां दक्षिणपंथी गठबंधन के साथ सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। अभी पिछले रविवार ही ग्रीस की तीन धुर दक्षिणपंथी पार्टियों ने संसद में प्रवेश लायक सीटें हासिल कर लीं। जबकि स्पेन में विवादास्पद राष्ट्रवादी ‘वॉक्स पार्टी’ ने हाल ही में हुए स्थानीय चुनावों में उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया।

फासीवादी तानाशाह फ्रांसिस्को फ्रैंको की 1975 में मौत के बाद वॉक्स पार्टी पहली सफल धुर-दक्षिणपंथी पार्टी है। अगले महीने स्पेन में आम चुनाव होने वाले हैं और ये पार्टी दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने की संभावना पर चर्चा कर रही है।

पोलैंड और हंगरी में तो धुर-दक्षिणपंथी और एकाधिकारवादी झुकाव वाली सरकारें हैं ही। ये फेहरिश्त लंबी है। यहां तक कि जर्मनी को भी इस सूची में समझ सकते हैं हालांकि वो अपने फासीवादी अतीत को लेकर अभी भी संवदेनशील है। यहां हुई रायशुमारी बताती है कि धुर-दक्षिणपंथी पार्टी (एएफडी), चांसलर शोल्त्ज की सोशल डेमोक्रेट (एसपीडी) पार्टी से आगे या बराबरी पर है। पिछले सप्ताहांत एएफडी के एक उम्मीदवार ने पहली बार स्थानीय नेतृत्व का चुनाव जीता। एसपीडी ने इसे राजनीतिक रूप से ‘विनाशकारी’ बताया है।

यूरोप में क्या हो रहा है?
ऐसे में सवाल ये है कि क्या लाखों लाख यूरोपीय वोटर वाकई धुर-दक्षिणपंथ की ओर जा रहे हैं? या ये सिर्फ विरोध में पडऩे वाले वोट हैं? या ये शहरी उदारवादी वोटरों और बाकी रुढि़वादी वोटरों के बीच हो रहा ध्रुवीकरण है?
एक सवाल ये भी है कि जब हम पार्टियों को ‘धुर-दक्षिणपंथी’ कहते हैं तो इससे हमारा क्या आशय होता है?

चुनाव के समय प्रवासी मुद्दे पर मुख्यधारा के राजनेता जिस तरह कड़ा रुख़ अपनाते हैं उसकी बानगी हैं दक्षिणपंथी रुझान वाले मध्यमार्गी डच प्रधानमंत्री मार्क रूटे या स्वघोषित मध्यमार्गी इमैनुएल मैक्रों।

यूरोपियन काउंसिल में विदेशी मामलों के डायरेक्टर मार्क लियोनार्ड कहते हैं कि हम एक बड़े विरोधाभासी समय में हैं।

एक तरफ तो मुख्यधारा के कई राजनेताओं ने हाल के सालों में दक्षिणपंथ के कई नारे या मुद्दे हथिया लिए हैं ताकि दक्षिणपंथी समर्थकों को उनसे दूर किया जा सके। लेकिन ऐसा करते हुए उन्होंने धुर-दक्षिणपंथ को और मुख्यधारा में आने में मदद ही की है। जबकि दूसरी तरफ यूरोप में धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों की एक अच्छी खासी संख्या उदारवादी वोटरों को लुभाने के लिए जानबूझ कर मध्यमार्गी राजनीति की ओर जा रही है।
रूस के प्रति रवैये को ही लें। इटली में द लीग, फ्रांस में मरीन ले पेन और ऑस्ट्रेलिया की ‘फ्रीडम पार्टी फार’ जैसी कई धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों का रूस के साथ पारंपरिक रूप से करीबी रिश्ता रहा है। लेकिन व्लादिमीर पुतिन ने जब यूक्रेन पर चौतरफा हमला बोल दिया तो उनके संबंध असहज हो गए, जिससे इन पार्टियों के नेताओं को रूस के लिए अपनी भाषा बदलनी पड़ी।
मार्क लियोनार्ड, यूरोपीय संघ के साथ धुर-दक्षिणपंथ के रिश्ते को ‘उनके मध्यमार्गी’ होने का ही उदाहरण बताते हैं।

यूरोपीय संसद में भी धुर-दक्षिणपंथियों की संभावना
लोगों को शायद याद हो, 2016 में ब्रिटेन में ब्रेक्सिट वोट के बाद ब्रसेल्स ने आशंका जताई थी कि इसके बाद फ्रेक्जिट (फ्रांस के ईयू छोडऩे), डेक्जिट (डेनमार्क के बाहर जाने), इटैलेक्जिट (इटली के ईयू छोडऩे) जैसी मांग हो सकती है। अधिकांश यूरोपीय देशों में लोकप्रियतावादी पार्टियां थीं जिनका उस समय प्रदर्शन अच्छा था लेकिन बाद में इन पार्टियों ने यूरोपीय संघ से निकलने या यूरो मुद्रा से हटने का विरोध करना बंद कर दिया।
बहुत सारे यूरोपीय वोटरों को ये कुछ ज़्यादा ही उग्र सुधारवादी कदम लगा था। उन्होंने ब्रिटेन में हुए ब्रेक्जिट के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक नतीजों को देखा, कइयों को लगा कि पहले से ही संकटग्रस्त दुनिया में ईयू से निकलना और खतरनाक साबित होगा। कोविड महामारी, रूस की आक्रामकता, चीन को लेकर चिंता, आसमान छूती महंगाई के अलावा 2008 के आर्थिक संकट के बाद के प्रभावों से जूझ रहे करोड़ों यूरोपीय परिवारों को देखते हुए ये थोड़ा मुश्किल ही लगता है।

ओपिनियन पोल्स दिखाते हैं कि यूरोपीय लोगों के बीच यूरोपीय संघ की लोकप्रियता सबसे अधिक है। अभी तक दक्षिणपंथी पार्टियां ईयू को छोडऩे की बजाय इसमें सुधार को लेकर बोल रही हैं। और अगले साल यूरोपीय संसद के चुनाव में उनके अच्छे प्रदर्शन का अनुमान लगाया जा रहा है।

पेरिस में इंस्टीट्यूट मोंटेगनेज यूरोप प्रोग्राम की डायरेक्टर जॉर्जिना राइट मानती हैं कि धुर-दक्षिणपंथ का यूरोप में पुनर्जागरण का मुख्य कारण मुख्यधारा की राजनीति से लोगों की नाराजग़ी है।
इस समय जर्मनी में पांच में से एक वोटर का कहना है कि वो गठबंधन सरकार से नाखुश है।

जॉर्जिना राइट का कहना है कि यूरोप में अधिकांश वोटर दक्षिणपंथी पार्टियों की बेबाकी से आकर्षित होते हैं और पारंपरिक राजनेताओं से इसलिए निराश हैं कि उनके पास इन तीन सावालों के जवाब नहीं हैं-
1- पहचान से जुड़े मुद्दे : खुली सीमा का डर और राष्ट्रीय पहचान और पारंपरिक मूल्यों में गिरावट।
2- आर्थिक: वैश्विकरण का विरोध और बेहतर भविष्य की गारंटी न होने का सवाल।
3- सामाजिक न्याय: एक ऐसा एहसास कि राष्ट्रीय सरकारों का नागरिकों की जिंदगी बेहतर करने वाले नियमों पर कोई नियंत्रण नहीं बचा है।

देखा जा सकता है कि यूरोप में ग्रीन एनर्जी को लेकर होने वाली बहसों में ये मुद्दे आते रहते हैं।

इस साल नीदरलैंड्स में प्रांतीय चुनावों के बाद उच्च सदन में सबसे अधिक सीटें दक्षिणपंथी लोकप्रियतावादी पार्टी ‘फार्मर सिटिजेन मूवमेंट’ ने हासिल की थीं, तब ये खबर सुर्खी बनी थी।
फ्रांस में जब इमैनुएल मैक्रों ने कारें कम करने के लिए पेट्रोल के दाम बढ़ाने की कोशिश की तो उन्हें येलो वेस्ट प्रदर्शन का सामना करना पड़ा जिसमें कई दक्षिणपंथी समूह शामिल थे।
वहीं जर्मनी में अर्थव्यवस्था को लेकर लोगों की चिंता और नाराजगी ने सरकार में बैठी ग्रीन पार्टी को पर्यावरण सुधार के अपने वायदे को पूरा करने से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। 
(bbc.com/hindi)

 

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