विचार / लेख

प्याला तेरे नाम का पिया
12-Jul-2023 7:27 PM
प्याला तेरे नाम का पिया

-प्रकाश दुबे

राजनीति का नशा खराब होता है। बीती बातें याद नहीं रहतीं। राष्ट्र और महाराष्ट्र की राजनीतिक उठापटक में भटकने वालो, हम दो महान कलाकारों की बात कर रहे हैं। कामेडी सर्कस की डाल से चुनावी राजनीति में कूदने के बाद नवजोतसिंह सिद्धू के हिस्से जेल आई। लुढक़ते पुडक़ते आम आदमी की गोद में जा गिरे भगवंत मान मुख्यमंत्री बने। पुरानी यारी भूलकर आपस में चोंच लड़ाते हैं। मुख्यमंत्री ने कुर्सी के नशे में ऊंची उड़ान भरी- सरकारी खजाने को भर देंगे। बालू, दारू, जमीन, परिवहन आदि की बदौलत 50 हजार करोड़ रु मिल जाएंगे। सिद्धू इसे बहकावा मानते हैं। कहते हैं-मान न मान, मान के राज में आर्थिक आपात्काल नजदीक मान। दोनों की कामेडी के बीच तीसरे को कूदने की जरूरत नहीं थी। फिर भी पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा को चैन नहीं पड़ी। कमाई के आंकड़े बतलाते हुए बोले-अकेले जून महीने में आबकारी से 660 करोड़ से ज्यादा कमाए। आबकारी का मतलब?

आया सावन झूम के
वक्त वक्त की बात है। राजीव गांधी पर निगरानी रखने के लिए हरियाणा पुलिस के हवलदारों की तैनाती की शिकायत पर चंद्रशेखर की सरकार चली गई। पता नहीं, हवलदारों को तब कैसे पहचाना गया। आज ऐसा होता तो कह देते कि उनकी तोंद निकली हुई थी। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने इस तरह की बदनामी टालने के लिए मोटू पुलिस वालों की सूची मांगी। महीने भर में पुलिस रपट नहीं दे सकी। मुख्य सचिव से लेकर गृह मंत्री तक का फरमान काम नहीं आया। शाम तक जानकारी हासिल करने की मंत्री विज की पुलिसिया घुडक़ी बेकार गई। काम ज्यादा है। 73 हजार से अधिक कर्मियों वाले पुलिस बल में फुर्ती और फुर्सत की कमी है। महीने भर में छह हजार हवलदार और दो हजार एसपीओ-विशेष पुलिस अधिकारी की भर्ती कर बेरोजगारी खत्म करेंगे। लड़ते भिड़ते पुलिस वाले फिटफाट रहते हैं। ऐतिहासिक लड़ाइयों और अब पराठों वाले पानीपत में दो महिलाओं समेत 34 तोंदिल पुलिस वाले लाइन हाजिर किए गए। श्रावण में उपवास और वर्जिश करेंगे।     

खजाने का दूध अभिषेक
 50 लाख रुपए की धनराशि न तो पटियाला राजघराने के वारिस और मुख्यमंत्री रह चुके व्यक्ति के लिए बड़ी रकम है, और न पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी के लिए। अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में ही दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। आजादी की लड़ाई में शामिल और कांग्रेस के 1927 में अध्यक्ष रहे मुख्तार अहमद अंसारी के पोते की पंजाब में कानूनी लड़ाई का खर्च कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने किया था। कुर्सी छिनने से कुपित कैप्टन कांग्रेस छोडक़र भारतीय जनता पार्टी से जुड़ चुके हैं। 

कांग्रेस ने कैप्टन को मुख्यमंत्री और पत्नी को सांसद बनाया। भाजपा से उपराष्ट्रपति, राज्यपाल जैसा ईनाम नहीं मिला। साथी सुनील जाखड़ को जरूर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनाया। अंसारी के मुकदमे का खर्च वसूल करने की आम आदमी पार्टी की धमकी पर अमरिंदर और अंसारी खेमा चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि कांग्रेस ने फोक्की (फुकट) मशहूरियत वाली सरकार कहकर पोल खोल आंदोलन करने की चेतावनी दी है। श्रावण मास में शिव पर दूध चढ़ाने वाले भक्त दूध नहीं पीते। मिरच और दगाबाजी एक छोर से दूसरे छोर तक तड़पाती है।

चल कांवडिय़े
बड़े नाम वालों का यही अंजाम है। पड़दादी दो-दो पार्टियों की महारानी और लाखों की राजमाता रहीं। दादा केंद्रीय मंत्री रहे। एक बुआ मुख्यमंत्री थी, दूसरी मंत्री है। पिता दो-दो पार्टियों से केंद्रीय मंत्री और इस सबके बावजूद महा आर्यमन ज्योतिरादित्य सिंधिया सब्जी-भाजी के कारोबार से जुडक़र किसान बन रहे हैं। चुनाव यात्रा के कांवडिय़ों को सब करना पड़ता है। पिता ने दो रोज पहले ढाबे पर जाकर रसोइए से पाक कला के बारे में बात की। कुछ लोगों ने चुटकी ली। कहा-पुराने दोस्त राहुल ने वाशिंगटन से न्यूयार्क और दिल्ली से अंबाला तक ट्रक ड्राइवरों से गपशप का आनंद लिया। यह रोग सिर्फ राजनीतिक कार्यकर्ताओं तक नहीं है। भाजपा से लेकर ममता तक से न्यौता ठुकराकर सौरव गांगुली ने खानपान के धंधे को चमकाने पर ध्यान दिया। बंगाल के भद्र लोक में चर्चा है कि दादा जस्ट माइ रूट नाम की कंपनी के भागीदार हैं। सौरव की पसंदीदा मिठाइयां खास तौर पर परोसी जाएंगीं। सच्ची बात यह है कि सौरव कंपनी के ब्रांड एम्बेसडर बने हैं। आर्यमन ग्वालियर जिला क्रिकेट के उपाध्यक्ष हैं। दादा किकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं।  
(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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