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नाटो के सम्मेलन में तुर्की को क्यों मारना पड़ा यू टर्न
13-Jul-2023 4:17 PM
नाटो के सम्मेलन में तुर्की को क्यों मारना पड़ा यू टर्न

तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान एक दिन में दो बार पश्चिम को चौंकाने में सफल रहे। पहले उन्होंने स्वीडन की नाटो में एंट्री के लिए एक और एक्स्ट्रा शर्त रख दी। और फिर आखिरी लम्हे में अपना रुख बदल दिया।

डॉयचे वैले पर एक रिपोर्ट-  

सोमवार को नाटो महासचिव येंस श्टोल्टेनबर्ग ने एलान किया कि तुर्की नाटो में स्वीडन की एंट्री पर सहमत हो गया है। लेकिन तब तक एर्दोवान ने ऐसा कोई एलान नहीं किया था। तुर्क राष्ट्रपति ने इस बयान के जबाव में तुर्की को यूरोपीय संघ में शामिल करने की मांग कर दी। लिथुएनिया की राजधानी विलिनुस के लिए रवाना होने से पहले इस्तांबुल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एर्दोवान कहा कि उनका देश 50 साल से भी ज्यादा समय से यूरोपीय संघ के दरवाजे पर इंतजार कर रहा है। ब्रसेल्स को संबोधित करते हुए तुर्क राष्ट्रपति ने कहा, ‘यूरोपीय संघ में तुर्की के लिए रास्ता बनाइए, और फिर हम स्वीडन के लिए रास्ता बनाएंगे, उसी तरह जैसे हमने फिनलैंड के लिए बनाया।’

तुर्की की इस मांग से ब्रसेल्स परेशान हो गया। उसने तुरंत एर्दोवान की मांग खारिज करते हुए कहा कि नाटो और यूरोपीय संघ दो अलग अलग प्रक्रियाएं हैं। हालांकि नाटो के एग्रीमेंट पर सहमति के बाद जारी एक साझा बयान में स्वीडन ने कहा कि वह तुर्की को यूरोपीय संघ में शामिल करने की प्रक्रिया का सक्रिय समर्थन करेगा।

पश्चिम की तरफ लौटता तुर्की?

तुर्की की राजधानी अंकारा में जर्मन मार्शल फंड के निदेशक उजगुर उनलुहिसारिक्ली कहते हैं, ‘चुनाव के बाद से एर्दोवान, अमेरिका और यूरोप के साथ ज्यादा सकारात्मक संबंध तलाश रहे हैं और वह स्वीकार्यता चाहते हैं।’

तुर्क राष्ट्रपति के बयान को विश्लेषण करते हुए उनलुहिसारिक्ली कहते हैं, ‘उदाहरण के लिए, उनकी ईयू में रास्ता बनाने की बात को लीजिए। वह जानते हैं कि इस मामले में कुछ नहीं होगा। लेकिन वह यह कहना चाह रहे हैं कि, 'मुझे अलग मत रखो।’

कुछ लोग मानते हैं कि बेतहाशा महंगाई और गोते खाती मुद्रा लीरा की वजह से तुर्की को रूस और पश्चिम के बीच संतुलन साधना पड़ रहा है। इसकी मुख्य वजह आर्थिक परिस्थितियां हैं। यूरोपीय संघ और तुर्की के रिश्तों को सुधारकर अंकारा को आर्थिक फायदा मिल सकता है। तुर्की के कृषि उत्पादों, सर्विस सेक्टर और सरकारी भंडारण सेवाओं का दायरा फैल सकता है।

यूरोपीय संघ और तुर्की के बीच खटपट के कारण

तुर्की को यूरोपीय संघ में शामिल करने पर बातचीत 2005 में ब्रसेल्स में शुरू हुई। लेकिन इसमें बहुत उत्साहजनक प्रगति कभी नहीं हुई। जुलाई 2016 में तुर्की में सैन्य तख्तापलट की कोशिश के बाद तो ये बातचीत पूरी तरह ठंडे बस्ते में चली गई। नाकाम तख्तापलट के बाद अंकारा ने आतंकवाद विरोधी कदम उठाए, जो मानवाधिकार उल्लंघन तक पहुंच गए।

यूरोपीय समीक्षकों का तर्क है कि तुर्की-ईयू संबंधों में जान फूंकने से पहले अंकारा को काउंसिल ऑफ यूरोप (सीओई) के साथ रिश्ते सामान्य करने होंगे। इस अंतरराष्ट्रीय संस्था की स्थापना यूरोप में मानवाधिकारों, लोकतंत्र और कानून के राज की हिफाजत के लिए की गई है। यह यूरोपीय संघ ,से अलग और आजाद है। लेकिन आज तक कोई भी देश काउंसिल ऑफ यूरोप से जुड़े बिना, सीधे यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं बना है।

तुर्की सीओई का सदस्य जरूर है लेकिन हाल के बरसों में काउंसिल के साथ उसके रिश्ते बहुत तल्ख रहे हैं। सीओई की जानी मानी शाखा, यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स के फैसलों को अंकारा ने नजरअंदाज किया है। तुर्की में 2016 और 2017 से कुछ अहम कुर्द नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता जेल में हैं। यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स के तुरंत रिहाई के आदेश के बावजूद अंकारा ने उन्हें नहीं छोड़ा है।

2017 से जेल में बंद तुर्क कार्यकर्ता और दानदाता ओसमान कवाला के मामले में अगर कोई प्रगति नहीं हुई तो हो सकता है कि आने वाले कुछ महीनों में काउंसिल तुर्की पर प्रतिबंध लगाए। इस लिहाज से देखें तो अंकारा को यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिए अभी एक लंबा रास्ता तय करना है।

मिलेंगे अमेरिकी जेट

स्वीडन की नाटो में एंट्री पर हामी भरने से तुर्की को अमेरिकी लड़ाकू विमान स्न-16 मिलने का रास्ता कुछ हद तक साफ हुआ है। अमेरिका और तुर्की लगातार कह रहे हैं कि लड़ाकू विमानों का नाटो डील से कोई लेना देना नहीं है।

तुर्की लंबे समय से हॉकहीड मार्टिन के 40 नए एफ-16 खरीदने की इच्छा जता रहा था। साथ ही उसे अपने बेड़े में मौजूद लड़ाकू विमानों के आधुनिकीकरण के लिए 80 किट्स भी चाहिए। अमेरिका में ऐसे रक्षा सौदों को संसद मंजूरी देती है।

राष्ट्रपति जो बाइडेन के समर्थन के बावजूद कांग्रेस के कुछ सदस्य तुर्की को यह सैन्य सामग्री देने का विरोध कर रहे हैं।

स्वीडन की नाटो में एंट्री के समझौते के बाद, अमेरिकी सीनेट की विदेशी नीति समिति के चैयरमैन बॉब मैनेनडेज ने तुर्की को राहत भरा मैसेज दिया। मैनेनडेज आने वाले दिनों में एफ-16 की डिलिवरी को लेकर जो बाइडेन से बातचीत करेंगे। (डॉयचे वैले)

रिपोर्ट-सिनेम ओजदेमीर, गुलशन सोलाकेर, कायहान काराका

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