विचार / लेख

भ्रष्टाचार में महिलाओं की बढ़ती सहभागिता
18-Jul-2023 4:17 PM
भ्रष्टाचार में महिलाओं की बढ़ती सहभागिता

डॉ. आर.के. पालीवाल

यह वैज्ञानिक सत्य है कि पुरुष और महिलाओं का जेनेटिक मेक अप और उसके अनुरूप उनका हार्मोन तंत्र काफी समान होते हुए भी काफ़ी कुछ अलग होता है।

भारतीय संस्कृति में भी कई आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के संदर्भ में महिलाओं को पुरुषों से कहीं बेहतर माना गया है।अलग जीन्स और हार्मोंस के प्रभाव से उनकी शारीरिक और मानसिक बनावट और बुनावट पुरुषों से अलग होती है। महिला और पुरुष भिन्नता के कुछ और भी कारण हो सकते हैं, मसलन महिलाओं में संकोच, शर्मो हया का नैसर्गिक गुण महिलाओं के लिए सदियों से चले आ रहे विशिष्ट सांस्कृतिक परिवेश की वजह से भी संभव है, लेकिन यह सच है कि महिलाएं पुरूषों की तुलना में अधिक सहनशील और मल्टी टास्कर होती हैं। इसी तरह से महिलाओं की छवि पुरुषों की तुलना में अधिक ईमानदार की होती है।

दुर्भाग्य से महिलाओं की ईमानदारी का भ्रम वर्तमान दौर में खंडित हो रहा है।हाल के केंद्रीय एजेंसियों, यथा सी बी आई और प्रवर्तन निदेशालय और विभिन्न राज्य सरकारों के लोकायुक्त और एंटी करप्शन ब्यूरो के छापों में महिलाओं के भ्रष्टाचार के कई बड़े मामले मिले हैं जिनसे लगता है कि भ्रष्टाचार में महिलाओं की सहभागिता भी तेजी से बढ़ रही है। भ्रष्ट महिला अधिकारियों की सूची में कनिष्ठ अधिकारियों से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा की उच्च पदस्थ महिला अधिकारियों तक हर संवर्ग के नाम सामने आ रहे हैं।मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखण्ड से लेकर पश्चिम बंगाल तक विभिन्न जांच एजेंसियों के छापों में महिलाओं के नाम प्रमुखता से आना प्रमाणित करता है कि यह बदलाव किसी राज्य या क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं है।

राजस्थान में एक महिला ए एस पी द्वारा स्थानीय व्यापारी को आर्थिक अपराध के मामले में गिरफ्तार नहीं करने की एवज में एक करोड़ रूपए की घूस मांगने का मामला सामने आया है।हाल ही में मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन में संविदा पर नियुक्त महिला असिस्टेंट इंजीनियर के यहां लोकायुक्त की कार्यवाही में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

मात्र तीस हजार रूपए प्रतिमाह वेतन पाने वाली इस कर्मचारी के पास सात करोड़ की संपत्ति मिली है जिसमें तीस लाख़ का एल ई डी सिस्टम, एक विशाल बंगला, तीस चालीस कमरों का विशाल फार्म हाउस और कई चल-अचल संपत्ति शामिल हैं।पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन का नाम भ्रष्टाचार वाले विभागों की लिस्ट में संभवत: काफ़ी नीचे आता है। उसमें भी जिस पद पर उक्त महिला कार्यरत थी वह भी बड़ा पद नहीं है। संभव है कि उनके भ्रष्टाचार में ऊपर के अधिकारी भी शामिल हों क्योंकि इतना बड़ा भ्रष्टाचार अकेले करना संभव नहीं दिखता। झारखण्ड और छत्तीसगढ़ में भी महिला अधिकारियों द्वारा व्यापक भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हुए हैं।

हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति अधिसंख्य परिवारों में कमजोर है इसीलिए उनकी सुरक्षा के लिए दहेज विरोधी और यौन दुराचरण संबंधी विशेष कानूनी प्रावधान हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान भी इन्हीं प्रयासों का अहम हिस्सा है। यह मान्यता है कि एक लडक़ा पढऩे से एक व्यक्ति शिक्षित होता है लेकिन एक लडक़ी की पढ़ाई से पूरा परिवार शिक्षित होता है। इसी परिपेक्ष्य में यह भी कह सकते हैं कि यदि किसी समाज में महिलाएं भी भ्रष्टाचार में अपने पुरुष समकक्षों की बराबरी करने लगेंगी तो परिवारों और समाज का तेजी से पतन सुनिश्चित है।

कुछ साल पहले मध्य प्रदेश में आयकर विभाग के छापों में एक वरिष्ठ  आई ए एस दंपति के भ्रष्टाचार का मामला राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बना था जिसके चलते इन दोनों अधिकारियों की बराबर संलिप्तता के कारण बर्खास्तगी हुई थी। इधर भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में कई राज्यों की महिलाओं की मुख्य आरोपी की भूमिका हमारे पूरे समाज के सडऩ की तरफ संकेत कर रही है। समय रहते भ्रष्टाचार के डायनासोर को नियंत्रित करने के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक जन जागरूकता अभियान की जरुरत है।

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