विचार / लेख

फिलीस्तीन के बच्चे
27-Nov-2023 6:53 PM
फिलीस्तीन के बच्चे

फिलीस्तीन तुम्हारे बच्चे
आसमान में उड़ रहे हैं साये-साये बनकर
इस तनी हुई नीली चादर में
अंगुश्त भर भी जगह नहीं
जो उनकी सिहरन छुपा सके
उनकी डोलती आकृतियाँ
टर्टल बे, न्यूयॉर्क के ऊपर
बिना पंजों पर उदास भीमकाय डैनों वाले
परिंदों की तरह छा जाती हैं
कभी वे जिनेवा की साफ अन्त:करण वाली हवा में
किसी फरेब से घुल जाते हैं
दिखते हैं पेरिस की गलियों में एक-दूसरे के पीछे भागते
नई दिल्ली की धुंध भरी सडक़ों पर
हाथ से छूटे गुब्बारों की मानिंद उड़ जाते हैं
वे बेरूत का मलबा हैं
बगदाद की धूल हैं
काबुल की कूक वे,
समरकन्द की सदाएं हैं
वे टोरा के अक्षर हैं
हजरत मूसा की उचटी हुई नींद हैं
यहूदी प्रार्थनाघरों पर रोई हुई शबनम हैं वे
वे हिजरत की रेत, सलीब का सपना हैं
मस्जिदों की जालियाँ
मंदिरों की जोत हैं
फ़लस्तीन तुम्हारे बच्चे,
काहिरा के बादल
कलकत्ते की उमस, टोक्यो के फूल
बीजिंग की रौशनियाँ
इस्तांबुल की कश्तियाँ
भूमध्यसागर का नमक हैं,
गज़़ा के खोखले मकान
बहिश्त तक खुली हुई छतें
बिना पल्लों की खिड़कियाँ
जले हुए पर्दे-कोरे दस्तरख़्वान
जैतून की डालियाँ-ख़ून में डूबी खुबानियाँ हैं
फिलीस्तीन तुम्हारे बच्चे,
उनके कसकर बाँधे हुए जिस्म
उनपर झुकी उनकी माँएँ
जिनके सामने पिएटा भी
मोम के ख्वाब की तरह पिघल जाए
ठिठुर रहे हैं खुले हुए ताबूतों में
ये दुनिया बहुत बड़ी,
मुलायम और सुखमय है फिलीस्तीन
और तुम्हारे बच्चे हैं कि उन्हें
कंटीली घास के बीच अपने खेलने की जगह की ख़ब्त है
उतनी जगह तो अब ख़ुदा के पास भी नहीं बची
फिलीस्तीन,
ईश्वर भी कहीं तुम्हारा ही जना
कोई बच्चा तो नहीं?
-असद ज़ैदी

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news