विचार / लेख
ललित मौर्य
जिन 165 देशों ने इस समझौते में रुचि व्यक्त की है, वो दुनिया की लगभग 60 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दुनिया भर में 150 से भी ज्यादा देशों ने कोरोना वैक्सीन के मामले में एक जुटता दिखते हुए संदेश साफ कर दिया है कि जैसे ही इस महामारी की वैक्सीन बनेगी, वो सभी के लिए उपलब्ध होगी। इसमें अमीर गरीब और अन्य किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा। दुनिया के करीब। 5 देशों ने एक जुटता दिखाते हुए ‘कोवेक्स सुविधा’ से जुडऩे में रूचि दिखाई है। जिससे उनके देशों और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे लोगों की जान कोरोना महामारी से बचाई जा सके। गौरतलब है कि ‘कोवेक्स सुविधा’ कोरोनावायरस के टीकों को दुनिया भर में तेजी से, निष्पक्ष और न्यायसंगत तरीके से पहुंचाने के लिए बनाया गया तंत्र है।
गवी जोकि ग्लोबल वैक्सीन संगठन है। उसके अनुसार जिन 165 देशों ने इस समझौते में रुचि व्यक्त की है, वो दुनिया की लगभग 60 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें से। पांच देश अपने स्वयं के सार्वजनिक बजट से टीकों के निर्माण के लिए धन की व्यवस्था करेंगे। जिसमें इनका साथ कम आय वाले 90 देश देंगे। जोकि अपनी मर्जी से गवी के कोवेक्स अग्रिम बाजार प्रतिबद्धता (एएमसी) कार्यक्रम के लिए राशि दान दे सकते हैं। इस संगठन में दुनिया के हर महाद्वीप के देश शामिल हैं। साथ ही इसमें जी-20 के भी आधे से ज्यादा देश सम्मिलित हैं।
सभी सहयोगी देशों की 20 फीसदी आबादी के लिए सुनिश्चित की जाएगी दवा
गवी के अनुसार जैसे ही इस महामारी की वैक्सीन बनती है उसका वितरण सभी भागीदार देशों में इस तरह किया जाएगा कि प्रत्येक देश की 20 फीसदी आबादी के लिए इस दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इसके बाद जो वैक्सीन बचेगी वो देशों की जरुरत, महामारी के प्रकोप के आधार पर वितरित की जाएगी। दुनिया भर के कई देश और प्राइवेट कंपनियां इस महामारी की दवा की खोज में लगी हुई हैं। भारत में भी इस बीमारी की वैक्सीन पर काम चल रहा है।
गवी ने बताया है कि इस योजना में देशों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि जिनको दवा की ज्यादा जरुरत नहीं है वो दूसरे देशों की मदद कर सकते हैं। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाया जा सके। गौरतलब है कि अमेरिका सहित कई अमीर देश पहले ही वैक्सीन निर्माताओं से सौदा करने में लगे हैं। जिससे वो ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन प्राप्त कर सकें। ऐसे में दुनिया भर के लिए ‘कोवेक्स सुविधा’ की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
कोवेक्स का लक्ष्य 2021 के अंत तक प्रभावी टीकों की दो अरब खुराकें प्रदान करना है। जिसको सभी सहयोगी देशों में बराबर अनुपात से वितरित किया जा सके। धन की व्यवस्था करने के लिए गवी ने कोवेक्स एडवांस मार्केट कमिटमेंट लॉन्च किया था। जिसका मकसद इस परियोजना के लिए धन इक_ा करना था। इस कोवेक्स तंत्र के पहले चरण के लिए करीब 15,048 करोड़ रुपए (200 करोड़ डॉलर) का लक्ष्य रखा गया है। जिसे अमीर देशों और निजी क्षेत्र से प्राप्त किया जाना है। इस योजना को सफलता भी मिल रही है क्योंकि इस फण्ड में अब तक 4,515 करोड़ रुपए (60 करोड़ डॉलर) जुटा लिए गए हैं। साथ ही एस्ट्राजेनेका से पहले ही दवाओं की 30 करोड़ खुराक कोवेक्स को दिए जाने पर समझौता हो चुका है।
डब्ल्यूएचओ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार ‘सस्ती और सभी के लिए आसानी से उपलब्ध वैक्सीन, स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्याप्त असमानताओं को दूर करने में हमारी मदद करेगी। ऐसे में इस लक्ष्य को प्राप्त करने और इस महामारी पर काबू पाने के लिए सभी देशों को कोवेक्स का समर्थन करने की जरुरत है।’ (डायचेवैले)