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पोषण-इम्युनिटी बढ़ाने मशरूम में है विटामिन और मिनरल्स
18-Jul-2020 12:52 PM
पोषण-इम्युनिटी बढ़ाने मशरूम में है विटामिन और मिनरल्स

सनलाइट के अलावा विटामिन-डी से भरपूर 

कोरोना वायरस और अन्य बीमारियों से लडऩे के लिए शरीर में रोग प्रतिरोध क्षमता का होना जरूरी होता है। ऐसे में प्रकृति में मौजूद जैव विविधता पर्यावरण के साथ ही शरीर के लिए विभिन्न पोषक तत्व प्रदान करती है। बरसात के मौसम में गरज और बारिश में उगने वाला मशरूम दीमक की बामियों, पैरा, साल के पेड़ों और बांसों की ढेर में निकलता है। जंगलों और खेत खिलहानों में प्राकृतिक और कृत्रिम रूप से उत्पादन किए जाने वाले औषधीय गुणों व पोषक तत्व से भरपूर मशरूम यानी फुटू सब्जी का स्वाद बहुत ही लजीज होता है।

छत्तीसगढ़ में यह फुटू (पुटू) नाम से जाना जाता है जिसको आयुर्वेद में धरती का फूल कहा जाता है। मशरूम में कई ऐसे जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं जिनकी शरीर को बहुत आवश्यकता होती है। सूर्य की धूप के बाद पोषण आहार के रुप में विटामिन-डी तथा फाइबर यानी रेशे का यह एक अच्छा स्रोत है। कई बीमारियों में मशरूम का इस्तेमाल औषधि के तौर पर किया जाता है। मशरूम में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे खनिज एवं विटामिन पाया जाता है जो शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत करता है और रोगों से लडऩे की क्षमता में वृद्धि होती है। मशरूम में एक खास पोषक तत्व पाया जाता है जो मांसपेशियों की सक्रियता और याददाश्त बरकरार रखने में बेहद फायदेमंद रहता है।

विटामिन और मिनरल्स है भरपूर
प्राकृतिक तौर पर जंगलों में मिलने वाली यह सब्ज़ी (फंगस) मशरूम में गुड फैट, स्टार्च, शुगर फ्री, विटामिन और खनिज तत्व के साथ प्रोटीन पाया जाता है। इसमें कैलोरीज ज्यादा नहीं होतीं। नॉनवेज पसंद नहीं करने वालों के लिए पनीर की तरह प्रोटीनयुक्त शुद्व शाकाहारी है। महंगे प्राणीज पदार्थ के स्थान पर मशरूम का उपयोग लाभकारी होगा, क्योंकि इसमें विटामिंन और मिनरल्स पाये जाते हैं जो 100 ग्राम मशरूम में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है। विटामिन-बी6, सी, डी, आयरन, काबोहाइड्रेट, फाइबर, प्रोटीन, पोटेशियम, मैग्निशियम मशरुम में मिलते हैं।

पोषण व औषधिय गुणों से भरपूर है मशरूम
डिग्री गल्र्स कॉलेज की फूड एवं न्यूट्रेशन विभाग की प्रोफेसर डॉ. अभ्या आर. जोगलेकर बताती हैं सावन-भादों के मौसम में मशरूम प्राकृतिक रुप से जंगलों व खेतों में मिलती है। मशरूम की पौष्टिकता का रोग निवारण में प्रभाव देते हैं जैसे- बीपी, शुगर, कब्ज, हृदय रोग, मोटापा, कैंसर, एड्स, हड्डी रोग, कुपोषित बच्चे, कमजोर व्यक्तियों, एनिमिक व गर्भवती महिलाएं के लिए मशरूम में मौजूद तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां जल्दी-जल्दी नहीं होती। मशरूम में मौजद सेलेनियम इम्यूनिटी सिस्टम के रिस्पॉन्स को बेहतर करता है। मशरूम विटामिन डी का भी एक बहुत अच्छा माध्यम है। यह विटामिन हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत जरूरी होता है। इसमें बहुत कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जिससे वह वजन और ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ाता। मशरूम में एंटी-ऑक्सीडेंट भूरपूर होते हैं। इसके अलावा मशरूम को बालों और त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। वहीं कुछ स्टडीज में मशरूम के सेवन से कैंसर होने की आशंका कम होने की बात तक कही गई है।

70 फीसदी महिलाओं में हडडी से संबंधित रोग-
शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पंचकर्म विभाग के एचओडी डॉ. रंजीप कुमार दास का कहना है अस्पताल की ओपीडी में आने वाली 40 वर्ष की उम्र पार कर चुके महिलाओं में हड्डी, कमर दर्द और कैल्शियम की कमी की समस्या प्रमुख रूप से पाई जाती है। इस तरह की बीमारियों की शिकायत लेकर आने वाली 70 फीसदी महिलाओं में अर्थराइटिस और ऑस्टियो-पोरोसिस की समस्याएं होती  है। इसके लिए मशरूम में मिलने वाला पोषक तत्व और विटामिन-डी हड्डी से संबंधित रोगों से लडऩे के लिए कारगर होता है।

प्राकृतिक मशरूम के उत्पादन के लिए हो रहा रिसर्च-
इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्लांट पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सीएस शुक्ला ने बताया मशरूम की अलग-अलग प्रजातियों का बीज तैयार कर कृत्रिम रुप से व्यवसायिक उत्पादन के लिए अखिल भारतीय मशरूम अनुसंधान परियोजना के तहत रिसर्च कार्य चल रहा है। डॉ. शुक्ला ने बताया छत्तीसगढ की जलवायु मशरुम के लिए अनुकूल होने की वजह से यहां 30 से 35  प्रजातियां खाने योग्य है। कुछ औषधीय मशरूम पर भी कृषि विवि में रिसर्च चल रहा है।

प्राकृतिक रुप से कनकी फुटू, भिंभोरा फुटू, बोडा, पेहरी एवं अन्य प्रकार के मशरुम मिलते हैं। वहीं कृत्रिम रुप से आयस्टर, पैरा फुटू, बटन, सफेद दुधिया मशरूम की खेती की जा रही है। डॉ. शुक्ला ने बताया, दुनियाभर में मशरुम की 42,000 प्रजातियां हैं जिसमें से 800 प्रजातियों की पहचान भारत में कर ली गई है। सीड तैयार कर मशरूम की कृत्रिम खेती घर के अंदर सरलता से वर्षभर की जा सकती है। प्राकृतिक मशरूम को सब्जी बनाने से पहले घर के बुजुर्गों से खादय मशरूम की पहचान कराने के बाद ही खाना चाहिए।

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