विचार / लेख

क्या हैं, दलबदल कानून के प्रावधान
23-Jul-2020 9:47 AM
क्या हैं, दलबदल कानून के प्रावधान

-देवेंद्र वर्मा

(पूर्व प्रमुख सचिव, छत्तीसगढ़ विधानसभा, संसदीय एवं संवैधानिक विशेषज्ञ) 

दल बदल कानून का उद्देश्य निर्वाचन के पश्चात निर्वाचित विधायक द्वारा जनता के साथ विश्वासघात करते हुए, निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने, इसके एवज में स्वयं लाभ प्राप्त करने, को रोकने एवं विधायकों की लोभ,लालच की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना है।

दल बदल कानून और संबंधित संविधान के महत्वपूर्ण प्रावधान निम्नानुसार हैं:-

1. यदि कोई विधायक जिस दल के टिकट पर निर्वाचित हुआ है उस दल के विधायक दल

(राजनीतिक दल नहीं)को त्याग देता है, अथवा उसका आचरण/ व्यवहार, गतिविधियाँ ऐसी रहती हैं, जिससे ऐसा आभास होता हो कि, उसने विधायक दल की सदस्यता त्याग दी है, जिसके आधार पर( चाहे त्यागपत्र दिया हो अथवा नहीं या दूसरे दल की सदस्यता ग्रहण की हो अथवा नहीं) वह सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है, तो वह जब तक पुनः निर्वाचित ना हो जाए मंत्री पद पर( संविधान के 6 माह के लिए मंत्री पद पर नियुक्त करने के प्रावधान के अंतर्गत भी) नियुक्त नहीं किया जा सकता है और न ही किसी लाभकारी पद पर नियुक्त किया जा सकता है।

(मध्यप्रदेश में भाजपा ने दल बदल कानून एवं संविधान के संबंधित प्रावधानों की धज्जियाँ उड़ाते हुए न केवल 14 इस्तीफ़ा देकर विधायक दल की सदस्यता त्यागने वाले,और मंत्री पद पर अथवा अन्य लाभकारी पद पर नियुक्त किए जाने के लिए अयोग्य पूर्व विधायकों को पुनःनिर्वाचित होने के पहले ही मंत्री के पद पर नियुक्त/अन्य लाभकारी पद पर नियुक्त कर दिया है।
संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए कांग्रेस दल द्वारा अभी तक संज्ञान नहीं लिया जाना विस्मयकारी है।)

2. राजनीतिक दल अथवा इसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति,जब सत्र चल रहा होता है,सत्र चलते रहने के दौरान सभा भवन में आवश्यक रूप से उपस्थित रहने के लिए और किसी विषय पर मतदान के समय मतदान में हिस्सा लेने अथवा हिस्सा नहीं लेने के लिए WHIP जारी करता है।WHIP में इस बात का उल्लेख नहीं रहता कि मतदान पक्ष में करना है अथवा विपक्ष में।WHIP के द्वारा केवल उपस्थिति सुनिश्चित की जाती है।

3. दल बदल कानून के प्रावधानों के अंतर्गत, किसी सदस्य अथवा सदस्यों के सदस्यता से अयोग्य होने संबंधी अर्जी प्राप्त होने पर अध्यक्ष विधानसभा उस पर विचार एवं निर्णय करने के पूर्व दूसरे पक्ष को उसकी अयोग्यता से संबंधित अर्जी प्राप्त हुई है,जानकारी में लाने एवं नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप अर्जी पर उसका पक्ष जानने के लिए,प्रति उत्तर प्राप्त करने हेतु नोटिस जारी कर सकते हैं।

4. दल बदल कानून के अंतर्गत (2003 में दल बदल कानून में हुए संशोधन के पश्चात) दल में विभाजन को मान्यता देने के लिए यह आवश्यक है कि विधायक दल( राजनीतिक दल नहीं) की सदस्य संख्या के 2/3 सदस्य विभाजित हो,अन्यथा स्थिति में दल बदल कानून के अंतर्गत सदस्य बने रहने के लिए अयोग्यता आकर्षित होती है।

ऐसा 2/3 सदस्य संख्या वाला समूह,पृथक दल भी गठित कर सकता है अथवा किसी अन्य विधायक दल में सम्मिलित भी हो सकता है।

दल बदल कानून के अंतर्गत अध्यक्ष द्वारा की जाने वाली संपूर्ण कार्यवाही अर्ध न्यायिक स्वरूप की होती है।

संदर्भ से हटकर नोट:- यह आश्चर्यजनक संयोग है कि जिस दल से सदस्य निर्वाचित हुए हैं उस दल के विरुद्ध आचरण एवं गतिविधियाँ करने,पश्चात इस्तीफ़ा देने वाले सदस्य भाजपा शासित राज्यों के पांच सितारा होटल में मेहमाननवाजी करते हैं, उनका संपर्क उनके मूल राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों से तो नहीं रहता,किंतु भाजपा दल के पदाधिकारियों से रहता है।मध्यप्रदेश के कर्नाटक राज्य के होटल में मेहमाननवाजी करने वाले,सदस्यों के इस्तीफ़े भी भाजपा के वरिष्ठ नेता विधायक,और पूर्व मंत्री बेंगलुरु से लेकर आए और अध्यक्ष विधानसभा को सौंपे।

इस्तीफ़ा देने वाले कांग्रेस के पूर्व सदस्यों को दिल्ली में आयोजित समारोह में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करवाई गई और पश्चात इस्तीफ़ा देने वाले सदस्यों के गुरु से हुए तथाकथित सौदे के अनुरूप 14 व्यक्तियों को दल बदल कानून के प्रावधानों के विपरीत मंत्री पद पर नियुक्त कर दिया गया।इसे संयोग ही मानियेगा,प्रयोग नहीं।

राजस्थान में क्या होता है देखना है!

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