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बाबरी मुक़दमा, जिसे फै़सले का है इंतज़ार
23-Jul-2020 10:20 AM
बाबरी मुक़दमा, जिसे फै़सले का है इंतज़ार
आडवाणी और जोशी की गवाही
 
टीम बीबीसी हिंदी 
 
नई दिल्ली 23 जुलाई 2020
 
सीबीआई की एक विशेष अदालत बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में आज 23 जुलाई को पूर्व बीजेपी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी का बयान दर्ज कर सकती है. 86 वर्षीय नेता के बयान के अगले दिन पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का भी बयान दर्ज किया जाना है.
 
यह सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए होगी. 92 साल के बीजेपी नेता एलके आडवाणी दंड प्रक्रिया संहिता के सेक्शन 313 के तहत बयान दर्ज कराएँगे.
 
छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराए के मामले में विशेष अदालत को 31 अगस्त तक फ़ैसला सुनाना है.
 
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले की रोज़ाना सुनवाई की जा रही है.
 
भूमि पूजन कार्यक्रम पर सियासत
 
दूसरी ओर 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं.
 
 
माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े नेताओं और संतों को बुलाया जाएगा और आमंत्रण की लिस्ट तैयार की जा रही है.
 
ऐसी चर्चाएं हैं कि 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, उमा भारती, कल्याण सिंह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत कई लोगों को औपचारिक तौर पर आमंत्रण भेजा जाएगा.
 
इस बीच, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के कार्यक्रम को लेकर सियासत भी तेज हो गई है.
 
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने रविवार को कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि मंदिर बनाने से कोरोना वायरस महामारी ख़त्म करने में मदद मिलेगी.
 
उनका इशारा सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर था. शरद पवार के इस बयान पर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने निशाना साधते हुए कहा है, 'ये बयान पीएम नरेंद्र मोदी के लिए नहीं बल्कि भगवान राम के खिलाफ है.'
 
अपने आदेश में स्पेशल जज एके यादव ने बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी का बयान दर्ज कराने के लिए 23 जुलाई की तारीख़ तय की थी. यह सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए होगी.
 
इससे पहले 2 जुलाई को वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती अयोध्या में विशेष सीबीआई अदालत में पेश हो चुकी हैं.
 
वह इस मामले में अदालत में बयान दर्ज कराने वाली 19वीं अभियुक्त हैं. उन्होंने विशेष सीबीआई न्यायाधीश एसके यादव की अदालत में दिए गए अपने बयान में कहा कि 1992 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से उनपर बाबरी विध्वंस का आरोप मढ़ा था. वह बिल्कुल निर्दोष हैं.
 
अदालत इस मामले में 32 अभियुक्तों के बयान दर्ज करा रही है.
 
क्या है मामला
 
छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरने के बाद दो आपराधिक मुक़दमे दर्ज किए गए थे. पहला कई अज्ञात कार सेवकों के ख़िलाफ़ और दूसरा आडवाणी समेत आठ बड़े नेताओं के ख़िलाफ़ नामज़द मामला.
 
आडवाणी और अन्य नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने के आरोपों में मुक़दमा दर्ज हुआ था. इन दो के अलावा 47 और मुक़दमे पत्रकारों के साथ मारपीट और लूट आदि के भी लिखाए गए थे.
 
बाद में सारे मुक़दमों की जाँच सीबीआई को दी गई. सीबीआई ने दोनों मामलों की संयुक्त चार्जशीट फ़ाइल की.
 
इसके लिए हाई कोर्ट की सलाह पर लखनऊ में अयोध्या मामलों के लिए एक नई विशेष अदालत गठित हुई. लेकिन उसकी अधिसूचना में दूसरे वाले मुक़दमे का ज़िक्र नहीं था. यानी दूसरा मुक़दमा रायबरेली में ही चलता रहा.
 
विशेष अदालत ने आरोप निर्धारण के लिए अपने आदेश में कहा कि चूँकि सभी मामले एक ही कृत्य से जुड़े हैं, इसलिए सभी मामलों में संयुक्त मुक़दमा चलाने का पर्याप्त आधार बनता है. लेकिन आडवाणी समेत अनेक अभियुक्तों ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी.
 
12 फ़रवरी 2001 को हाई कोर्ट ने सभी मामलों की संयुक्त चार्जशीट को तो सही माना लेकिन साथ में यह भी कहा कि लखनऊ विशेष अदालत को आठ नामज़द अभियुक्तों वाला दूसरा केस सुनने का अधिकार नही है, क्योंकि उसके गठन की अधिसूचना में वह केस नंबर शामिल नहीं था. आडवाणी और अन्य हिंदूवादी नेताओं पर दर्ज मुक़दमा क़ानूनी दांव-पेच और तकनीकी कारणों में फँसा रहा.
 
फ़ैसला सुनाने के बाद ही रिटायर होंगे विशेष कोर्ट के जज
 
वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी के मुताबिक़, "आडवाणी और अन्य नेताओं ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी. अदालत ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए आपराधिक साज़िश के मुक़दमे को रायबरेली की अदालत भेज दिया था. हालाँकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रायबरेली में चल रहे मुक़दमे को बाबरी विध्वंस के मुक़दमे से जोड़ दिया. अब दोबारा सम्मिलित सुनवाई लखनऊ की विशेष अदालत में चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इन मामलों की सुनवाई कर रहे जज का कार्यकाल बढ़ाते हुए आदेश दिया है कि वो इन मुक़दमों का फ़ैसला देकर ही रिटायर होंगे."
 
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में 1992 राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराए जाने की घटना से संबंधित मुक़दमे की सुनवाई पूरी करने के लिए विशेष अदालत का कार्यकाल तीन महीने बढ़ा दिया था.
 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में 31 अगस्त तक फ़ैसला सुनाया जाना चाहिए.
 
इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित कई वरिष्ठ नेता अभियुक्त हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष न्यायाधीश एसके यादव से कहा था कि वे अदालत की कार्यवाही को क़ानून के अनुसार नियंत्रित करें, ताकि इसकी सुनवाई निर्धारित समय के भीतर पूरी की जा सके.(bbc)

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