विचार / लेख

एक आदमी जिसने जंगल बनाया
26-Jul-2020 1:15 PM
एक आदमी जिसने जंगल बनाया

-अजय
एक कहानी है, नहीं हकीकत है। बस, उसके तथ्य ऐसे हैं कि यह किसी परीकथा जैसी लगे, पर है सोलह आने सच।

बेशक थोड़ी लंबी है लेकिन हर प्रकृति प्रेमी के लिए ऐसी है कि वह इसे जीवनभर सहेज के रखना चाहेगा, सुनना और सुनाना चाहेगा। एक वन प्रेमी पदम्श्री जादव मोलाई पायेंग की कहानी है जिन पर बनी डॉक्यूमेंट्री कान फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई है।

‘ब्रह्मपुत्र’ नदी को ‘पूर्वोत्तर का अभिशाप’ भी कहा जाता है। इसका कारण है कि जब यह असम तक पहुँचती है तो अपने साथ लंबी दूरी से बहाकर लाई हुई मिटटी, रेत और पहाड़ी, पथरीले अवशेष विशाल मलबे के रूप में लाती है, जिससे नदी की गहराई अपेक्षाकृत कम हो चौड़ाई में फैल किनारे के गाँवों को प्रभावित करती है। मानसून में इसके चौड़े पाट हर वर्ष पेड़-पौधों, हरियाली और गाँवों को अपने संग बहा ले जाते हैं। हर बरसात की यही कहानी है।

वर्ष 1979 में जादव 10वीं परीक्षा देने के बाद अपने गाँव में ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ का पानी उतरने पर इसके बरसाती भीगे रेतीले तट पर घूम रहे थे। तभी उनकी दृष्टि लगभग 100 मृत साँपों के झुंड पर पड़ी। जैसे उन सांपों ने जीवन बचाने का संघर्ष अंत तक किया हो। आगे बढ़ते गए तो पूरा नदी का किनारा मरे हुए जीव-जन्तुओं से अटा पड़ा एक मरघट-सा था। मृत जानवरों के कारण पैर रखने की जगह नहीं थी। इस दर्दनाक दृश्य ने जाधव के किशोर मन को झकझोर दिया। रातों की नींद उड़ गई।

गाँव के ही एक आदमी ने जादव से कहा- जब पेड़-पौधे ही नहीं उग रहे हैं तो नदी के रेतीले तटों पर जानवरों को बाढ़ से बचने आश्रय कहाँ मिले? जंगलों के बिना इन्हें भोजन कैसे मिले?

बात मन में पत्थर की लकीर बन गई कि जानवरों को बचाने के लिये पेड़-पौधे लगाने होंगे। 50 बीज और 25 बाँस के पेड़ लिए 16 वर्ष के जादव पहुँच गए नदी के रेतीले किनारे पर रोपने। ये आज से 35 वर्ष पुरानी बात है। उस दिन का दिन था और आज का दिन। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इन 35 वर्षों में जाधव ने 1360 एकड़ का जंगल बिना किसी सरकारी सहायता के लगा डाला?

क्या आप भरोसा करेंगे के एक अकेले आदमी के लगाये जंगल में 5 बंगाल टाइगर, 100 से ज्यादा हिरन, जंगली सुअर, 150 जंगली हाथियों का झुण्ड, गेंडे और अनेक जंगली पशु घूम रहे हैं? अरे हाँ! वे साँप भी जिन्होंने इस अद्भुत नायक को जन्म दिया।

जंगलों का क्षेत्रफल बढ़ाने सुबह 9 बजे से 5 किलोमीटर साईकल से जाने के बाद, नदी पार करते और दूसरी तरफ वृक्षारोपण कर फिर साँझ ढले नदी पारकर साइकिल 5 किलोमीटर तय कर घर पहुँचते।

इनके लगाए पेड़ों में कटहल, गुलमोहर, अन्नानास, बाँस, साल, सागौन, सीताफल, आम, बरगद, शहतूत, जामुन, आडू और कई औषधीय पौधे हैं। परन्तु सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि इस साधक से 2012 तक देश अनजान था। यह लौहपुरुष अपने धुन में अकेला असम के जंगलों में साईकल में पौधों से भरा एक थैला लिए अपने बनाए जंगल में गुमनाम सफर कर रहा था।

सबसे पहले वर्ष 2010 में देश की दृष्टि में आये जब Wild photographer जीतू कलिता ने इन पर documentary film बनाई The Molai Forest. यह film देश के नामी विश्वविद्यालयों में दिखाई गई। दूसरी फिल्म आरती श्रीवास्तव की 'Foresting Life'  जिसमें जाधव के जीवन के अनछुए पहलुओं और परेशानियों को दिखाया। तीसरी फिल्म ‘Forest Man’ जो कान फिल्म महोत्सव में भी काफी सराही गई।

एक अकेला व्यक्ति वन विभाग की सहायता के बिना, किसी सरकारी आर्थिक सहायता के बिना इतने पिछड़े इलाके से कि जिसके पास पहचान पत्र के रूप में राशन कार्ड तक नहीं है, ने हज़ारों एकड़ में फैला पूरा जंगल खड़ा कर दिया। असम के इन जंगलों को ‘मिशिंग जंगल’ कहते हैं (जाधव असम की मिशिंग जनजाति से हैं)।
जीवनयापन करने के लिए इन्होंने गाय पाल रखी हैं। शेरों द्वारा आजीविका के साधन उनके पालतू पशुओं को खा जाने के बाद भी जंगली जानवरों के प्रति इनकी करुणा कम न हुई। शेरों ने मेरा नुकसान किया क्योंकि वो अपनी भूख मिटाने के लिए खेती करना नहीं जानते।

आप जंगल नष्ट करोगे वो आपको नष्ट करेंगे। 2015 में महामहिम राष्ट्रपति ने ‘पद्मश्री’ से अलंकृत होनेवाले जाधव आज भी असम में बाँस के बने एक कमरे के छोटे-से कच्चे झोपड़े में अपनी पुरानी में दिनचर्या लीन हैं। तमाम सरकारी प्रयासों, वृक्षारोपण के नाम पर लाखो रुपये के पौधों की खरीदी करके भी ये पर्यावरण, वन-विभाग वो स्थान प्राप्त न कर पाये जो एक अकेले की इच्छाशक्ति ने कर दिखाया। सायकल पर जंगली पगडण्डियों में पौधों से भरे झोले और कुदाल के साथ हरी-भरी प्रकृति की अनवरत साधना में ये निस्वार्थ पुजारी।

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, कहावत को जादव मोलाई पायेंग जी ने गलत सिद्ध कर दिया। पर्यावरण के लिए असीम स्नेह रखने वाले इस भारत माँ के लाल के से अपने बच्चों, अपने मित्रों को भी परिचित कराने की ज़रूरत है।
है न!

जानकारियां और pics इंटरनेट से निकाले गए हैं जिन्हें क्रॉस चेक किया जा सकता है।

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