विचार / लेख

इस बार दिवाली कैसे मनाएं ?
07-Nov-2020 2:28 PM
इस बार दिवाली कैसे मनाएं ?

बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

इस बार दिवाली कैसे मनाई जाए, यह बहस सारे देश में चल पड़ी है। पश्चिम एशिया के देशों ने ईद मनाने में सावधानियां बरतीं और गोरों के देश क्रिसमिस पर उहापोह में हैं। दिवाली बस एक सप्ताह में ही आ रही है लेकिन उसके पहले ही देश में धुआंधार हो गया है।

दिल्ली शहर का हाल यह है कि लोग कोरोना से भी ज्यादा प्रदूषण से डर रहे हैं। मुखपट्टी लगाकर भी लोग घर से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं, क्योंकि हवा कितनी ही छनकर नाक के अंदर आएगी, वह होगी तो गंदी ही। अब कोरोना का कोप भी दुबारा फैल रहा है। इसके अलावा इस दिवाली पर लक्ष्मीजी की कृपा भी कम ही है तो क्या किया जाए? दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 7 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखेबाजी पर रोक लगा दी है। ऐसी रोक प. बंगाल में पहले से लगी हुई है। देश के लगभग 100 शहरों में ऐसी रोक की भी तैयारी है।

मैं कहता हूं कि देश के सभी शहरों और गांवों में ऐसी रोक क्यों नहीं लगा दी जाए ? यदि एक साल पटाखे नहीं छुड़ाएंगे तो क्या बिगड़ जाएगा? दिवाली तो हर साल आएगी। जो संकट इस साल आया है, बस वह इसी साल का सिरदर्द है। अंधाधुंध बिजली जलाने के बजाय यदि आप घर पर एक—दो दिये या बल्ब जला लें तो क्या वह काफी नहीं होगा? यदि आप ऐसा करेंं तो क्या होगा?

हमारी जनता सरकारों से भी आगे निकल जाएगी। अपनी मन:स्थिति में हम उल्लास रखें लेकिन परिस्थिति उदास रहती है तो वैसी रहने दें। यदि मन:स्थिति उल्लासपूर्ण रखने की आपकी आदत पड़ जाए तो रोज ही आपकी दिवाली है। दिवाली के मौके पर लोग दूसरे के घर मिठाइयां और तले हुए नमकीन भेजते हैं। इनकी बजाय आप अपने मित्रों और रिश्तेदारों के यहां फल, मेवे, काढ़े के मसाले और भुने हुए नमकीन भेजें तो सबको स्वास्थ्य लाभ भी होगा। इस बार आप कुछ भी नहीं भेजें तो भी कोई बुरा नहीं मानेगा, क्योंकि सभी कडक़ी में हैं और एक-दूसरे के घर आने-जाने में भी खतरा है। जहां तक लक्ष्मीजी की पूजा का सवाल है, वह भी बिना किसी पंडित-पुरोहित और बिना धूमधाम घर में ही संपन्न हो सकती है।

मंदिरों और एक-दूसरे के घरों में भीड़ लगाए बिना सारा क्रियाकर्म पूर्ण किया जा सकता है। दिवाली के दूसरे दिन अन्नकूट और भाई दूज के सिलसिलों में भी इस बार भीड़ सेे बचने का प्रयास किया जाए तो बेहतर रहेगा।  हम भारतीय लोग दिवाली के मौके पर ऐसा आचरण कर सकते हैं, जो क्रिसमस पर दुनिया के ईसाई राष्ट्रों के लिए भी अनुकरणीय बन सकता है।

 (नया इंडिया की अनुमति से)

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