विचार / लेख

एमपी : 5,000 रुपयों के लिए मज़दूर को 'ज़िंदा जलाया', क्या बंधुआ मज़दूरी का है मामला?
10-Nov-2020 12:40 PM
एमपी : 5,000 रुपयों के लिए मज़दूर को 'ज़िंदा जलाया', क्या बंधुआ मज़दूरी का है मामला?

SHURAIH NIYAZI/BBC

शुरैह नियाज़ी

घटना शुक्रवार रात को गुना ज़िले के बमोरी तहसील के छोटी उखावाद खुर्द में हुई.

बंधुआ मुक्ति मोर्चा, गुना के ज़िला संयोजक नरेंद्र भदौरिया ने बताया कि 26 साल के विजय सहारिया पिछले तीन साल से राधेश्याम लोधा के खेत में बंधुआ मज़दूर के तौर पर काम कर रहे थे, दोनों एक ही गांव में रहते थे.

नरेंद्र भदौरिया ने कहा, "विजय से लगातार काम करवाया जाता था. उसने उस रात राधेश्याम से कहा कि वो कहीं और मज़दूरी करके उसके पैसे चुका देगा. उसके बाद विजय ने उससे मज़दूरी मांगी. लेकिन इस बात से राधेश्याम उस पर बहुत गुस्सा हो गया और उसने उस पर केरोसिन डाल कर आग लगा दी."

विजय सहारिया ने अगले दिन 7 नवंबर को अस्पताल में दम तोड़ दिया. राधेश्याम को दूसरे दिन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

लेकिन आग लगाने के बाद झुलसे हुए विजय का एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें वो बता रहा है कि उनके साथ क्या हुआ और कैसे उन पर राधेश्याम ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी.

विजय अपने माता-पिता, छोटे भाई, पत्नी रामसुखी और दो बच्चों के साथ गांव में रहते थे. विजय के पिता कल्लूराम ने बताया कि उनके बेटे विजय ने पांच हज़ार रुपये की उधारी ली थी.

कल्लूराम ने कहा, "तीन साल तक काम करने के बाद भी न तो उसका कर्ज़ चुका और न ही उसे कोई पैसे मिले. इसलिए कुछ दिन से उसने काम पर जाना बंद कर दिया था.

"उस दिन राधेश्याम ने उसे बुलाया और उसके बाद उस पर केरोसिन डालकर उस पर आग लगा दी."

पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह ने बताया, "इस मामले में फ़ौरन कारवाई करते हुए अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया है. मृतक के परिवार को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा चुकी है."

वहीं, गुना के ज़िलाधिकारी कुमार पुरुषोत्तम का कहना है, "इस मामले में मृतक ने अभियुक्त से उधार लिया था और उसी वजह से यह घटना घटी है."

हालांकि प्रशासन ने अब फ़ैसला लिया है कि वो सहरिया समुदाय से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति का डेटा तैयार कराएँगे ताकि उन्हें मदद उपलब्ध कराई जा सके.

SHURAIH NIYAZI/BBC

विजय की मौत से नाराज़ ग्रामीण

सबसे पिछड़ी जनजातियों में से एक सहरिया

सहरिया जनजाति राज्य की सबसे पिछड़ी जनजातियों में आती है. हर चुनाव से पहले सरकार और राजनीतिक दल इस समुदाय के लिए तरह-तरह के वादे करते हैं लेकिन इनकी स्थिति में बहुत अंतर नहीं आया है.

मध्यप्रदेश का गुना ज़िला बंधुआ मज़दूरी के लिए जाना जाता है. पिछले कुछ सालों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब कई जगहों से मज़दूरों को छुड़वाया गया है.

नरेंद्र भदौरिया ने आरोप लगाया, "इस क्षेत्र में दबंगों का दबदबा है और वो आदिवासियों और सहरिया समुदाय के लोगों पर दबंगई करते हैं. राजनीतिकरण के कारण उन पर कारवाई नहीं हो पाती है. "

बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने मांग की है कि सरकार और प्रशासन जल्द से जल्द तत्काल मुक्ति प्रमाण पत्र जारी करे ताकि विजय के परिवार को वो सभी सुविधाएँ और मुआवज़ा मिल सके जो एक बंधुआ मज़दूर को मिलती हैं.

1976 में इंदिरा गांधी ने बंधुआ मज़दूर प्रथा ख़त्म करने के लिए एक क़ानून बनाया था जिसके तहत बंधुआ मज़दूरी से मुक्त कराए गए लोगों को आवास और पुनर्वास की बात कही गई थी. इसके लिये यह ज़रूरी है कि मुक्ति प्रमाण पत्र जारी किया जाए.

लेकिन अब इस मामले को लेकर राजनीति भी तेज़ हो गई है.

कांग्रेस ने लगाया आरोपी को बचाने का आरोप
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परिवार से मुलाक़ात करने के बाद कहा, "सरकार ने यह फ़ैसला किया है कि पीड़ित परिवार विजय की पत्नी को पूरा संरक्षण दिया जाएगा. पत्नी को शासकीय सेवा में अगर परिवार चाहेगा तो स्थान देंगे, नए मकान का निर्माण होगा."

मुख्यमंत्री ने बताया कि अभी 8.25 लाख रुपये की राशि जो अधिनियम के तहत मिलेगी उसमें से आधी दे दी गई है और आधी और दी जाएगी.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "संबल योजना के तहत चार लाख रुपये और विजय की पत्नी को दिए जाएंगे साथ ही दोनों बच्चों की पढ़ाई का इंतज़ाम किया भी जाएगा."

SHURAIH NIYAZI/BBC

विजय के परिवार से मुलाक़ात करने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

सरकार ने परिवार के लिए छह महीने तक गुज़ारे भत्ते की व्यवस्था भी की है. वहीं, विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि शिवराज सरकार दबंग अभियुक्त को बचाने में लग गई है.

कांग्रेस मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा, "भाजपा सरकार के पिछले 15 साल की बात करें या वर्तमान 7 माह की ग़रीब, दलित, आदिवासियों पर अत्याचार और उत्पीड़न की घटनाओं में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. उन्हें किस प्रकार से कर्ज़ के दलदल में फंसाकर उनका शोषण किया जाता है यह घटना भी उसका प्रत्यक्ष उदाहरण है."

बंधुआ मुक्ति मोर्चा के नरेंद्र भदौरिया का आरोप है कि गुना जिले में बड़ी तादाद में बंधुआ मज़दूर काम कर रहे हैं लेकिन प्रशासन यहां पर एक भी बंधुआ मज़दूर नहीं होने की बात करता रहा है. इसलिए इस प्रथा से मुक्त होने के बाद भी इन लोगों को मदद नही मिल पाती है.

(bbc.com/hindi)
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news