बेमेतरा

धान परिवहन में लगे वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर स्कूटर, कार और बाइक के
04-Mar-2022 4:40 PM
धान परिवहन में लगे वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर स्कूटर, कार और बाइक के

आशीष मिश्रा

बेमेतरा, 4 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। सरकारी खरीदी केंद्रों से धान परिवहन अनुबंधित वाहनों से ना कर दीगर वाहनों से किए जाने के मामले में कोतवाली पुलिस ने 3 परिवहन कर्ताओं पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।
जिला विपणन अधिकारी आशुतोष कोसरिया के आवेदन को आधार बनाकर प्रकरण दर्ज किया गया है। कोतवाली पुलिस ने परिवहनकर्ता परमिंदर सिंह, रिम्पाल सिंह और धर्मेंद्र यादव निवासी दुर्ग के खिलाफ धारा 420, 409, 467, 468, 469, 34 भादवि के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया है।

वहीं डीएमओ आशुतोष कोसरिया का कहना है कि  मार्कफेड एमडी के निर्देश पर तीन ट्रांसपोर्टर के खिलाफ अपराध दर्ज कराया गया है। तीनों ट्रांसपोर्ट की अमानत राशि 10-10 लाख रुपए को राजसात करने के साथ ब्लैक लिस्ट करने की भी कार्रवाई की जाएगी।

इस मामले में संबंधित परिवहनकर्ताओं ने बताया कि मामलेे की सत्यता की जांच धान परिवहन की ऑनलाइन प्रक्रिया के डाटा के जांच से होगी। जिसमें टीओ के स्कैन, अनलोड वाहन का रजिस्ट्रेशन नम्बर एवं धान लोड वाहन का रजिस्ट्रेशन नम्बर समेत ड्राइवर का फोटो लेकर पोर्टल में अपलोड किया जाता है। कई समिति में कम्प्यूटर आपरेटर डाटा एंट्री में हुई त्रुटि के कारण इस तरह की गड़बड़ी सामने आई है। जिन्होंने लिखित में डीएमओ कार्यालय को जानकारी दी है।

इस मामले को ट्रांसपोर्टरो के वर्चस्व की लड़ाई से जोडक़र देखा जा रहा है। जिसमें स्टेट लेवल पर संबंधित ट्रांसपोर्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई।
जांच का जिम्मा बेमेतरा जिला विपणन अधिकारी को सौंपा गया। जांच अधिकारी ने मामले की जांच में ट्रांसपोटर रिम्पाल सिंह, दुर्ग, परमिंदर सिंह, धर्मेन्द्र यादव के द्वारा जिला बेमेतरा के विभिन्न धान उपार्जन केन्द्र से अनुबंधित वाहनों का उपयोग न करते हुए स्कूटर, कार, ट्रेक्टर, मोटर सायकल एवं आरटीओ में अपंजीकृत वाहनों से अवैध तरीके से धान परिवहन करना पाया।

मार्कफेड एमडी के आदेश पर, डीएमओ ने दर्ज कराया अपराध
जिला विपणन अधिकारी ने जांच प्रतिवेदन अग्रिम कार्रवाई के लिए मार्कफेड एमडी को भेजा, जहां मार्कफेड एमडी ने विधि के जानकार से मार्गदर्शन लेने के बाद बेमेतरा जिला अधिकारी को संबंधित ट्रांसपोर्टर के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कराने के निर्देश दिए। इसके बाद पुलिस ने जिला विपणन अधिकारी के आवेदन को आधार बनाकर अपराध दर्ज किया है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार मामले की बारीकी से जांच किए जाने पर अन्य ट्रांसपोर्ट भी जद में आएंगे, क्योंकि पूरे प्रदेश में इस तरह की गड़बड़ी को अंजाम दिया गया है, लेकिन कार्रवाई सिर्फ तीन ट्रांसपोर्टर पर कर अधिकारी मामले से पल्ला झाडऩे में लगे हुए हैं, रसूखदार ट्रांसपोर्टर का बचाव कर इन ट्रांसपोर्टर के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है।  

अन्य ट्रांसपोर्टर का बचाव करने पर उठे सवाल
मिली जानकारी के अनुसार जिले में सरकारी खरीदी केंद्रों से धान परिवहन के लिए 5 परिवहन कर्ताओं ने जिला विपणन विभाग से अनुबंध किया है।  इन पांच परिवहन कर्ताओं से विभाग ने 282 वाहनों का अनुबंध किया है। ट्रांसपोर्टर रिम्पाल, परमिंदर और धर्मेंद्र यादव ने बताया इस तरह का मामला सामने आने के बाद अधिकारियों के समक्ष अन्य ट्रांसपोर्टर के भी प्रकरण साक्ष्यों के साथ रखे गए, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई और सिर्फ तीन ट्रांसपोर्टर के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई है। प्रकरण वर्ष 2019-20 और 2020-21 का है।  

कम्प्यूटर आपरेटर की त्रुटि पड़ रही भारी
वाहनों के क्रमांक 10 डिजिट के ही पोर्टल में स्वीकार किए जाते हैं, लेकिन कई वाहनों के नंबर 9 डिजिट होने पर संबंधित खरीदी केंद्र के ऑपरेटर द्वारा स्पेस देने की बजाए उस स्थान पर एक्स या वाई एंट्री कर दी जा रही थी, नतीजतन गाड़ी के नंबर बदल जाता और उस नंबर पर दर्ज दूसरे वाहन का रजिस्ट्रेशन दिखाया जा रहा है ।  इस तरह के मामलों में कई समिति से लिखित में जिला विपणन अधिकारी को जानकारी दी गई है, कि कंप्यूटर ऑपरेटर की त्रुटि के कारण इस तरह की गड़बड़ी हुई है । जिसमें कई वाहनों में 9 डिजिट के रजिस्ट्रेशन नंबर थे, जिन्हें 10 डिजिट का करने के लिए एक्स या वाई को जोड़ दिया था, ताकि सॉफ्टवेयर स्वीकार करें । लेकिन इस तरह की गड़बड़ी अब बड़ी मुसीबत का कारण बन गई है।

सॉफ्टवेयर में अपलोड डाटा की जांच से होगा
जानकारी के अनुसार सरकार खरीदी केंद्र से धान के उठाव के लिए अनुबंधित परिवहनकर्ता को जिला विपणन कार्यालय से टीओ (ट्रांसपोर्टिंग आर्डर) जारी किया जाता है । जिसमे में धान की मात्रा और उठाव की मियाद अंकित होती है। इसके बाद ट्रांसपोर्टर या उसका कर्मचारी टीओ संबंधित समिति लेकर पहुंचते हैं । जहां टीओ के वैधता की पुष्टि के लिए उसे स्कैन किया जाता है। इसके बाद परिवहन के लिए पहुंचे खाली वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर सहित ड्राइवर का फोटो लिया जाता है। धान लोड होने के बाद फिर से वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर सहित ड्राइवर का फोटो लेकर सॉफ्टवेयर में अपलोड किया जाता है । इसके बाद संग्रहण केंद्र पहुंचने पर इसी प्रक्रिया को अपनाया जाता है। ऐसी स्थिति में मामले के सत्यता की जांच सॉफ्टवेयर में अपलोड डाटा से की जा सकती है।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news