महासमुन्द

कई ई-रिक्शा चालकों को पंजीयन के अभाव में सब्सिडी नहीं मिली, कुछ 6 महीने में ही खराब
17-Jun-2024 3:21 PM
कई ई-रिक्शा चालकों को पंजीयन के अभाव में सब्सिडी नहीं मिली,  कुछ  6 महीने में ही खराब

 डेढ़ सौ बेरोजगारों को 50-50  हजार सब्सिडी पर मिला था

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,17 जून। महासमुंद शहर के अधिकांश सायकल रिक्शा चालक अब बदलते समय के साथ ई-रिक्शा चलाकर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। पिछले 2 साल में शहर तथा मुख्यालय से लगे ग्रामों में 150 से अधिक सायकल रिक्शा चालक सहित अन्य युवाओं ने ई-रिक्शा की खरीदी की है। शासन से उन्हें बकायदा ई-रिक्शा की खरीदी पर 50 हजार रुपए सब्सिडी मिली है। फलस्वरूप बड़ी संख्या में बेरोजगार युवा ई-रिक्शा खरीदकर जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन पंजीयन के अभाव में सब्सिडी नहीं मिलने की वजह से युवा अब कर्ज तले दब गए हैं। जानकारी तो यह भी मिली है कि ये ई-रिक्शे 6 महीने में ही खराब होने लगे हैं।

चालकों की शिकायत है कि शासन की योजना के तहत जो ई-रिक्शे बांटे गए थे, वे बेहद घटिया गुणवत्ता के थे। खराब होने के बाद सबसे बड़ी परेशानी यह आ रही है कि उन ई-रिक्शा के स्पेयर पाट्र्स शहर में नहीं मिल रहे हैं। हालांकि पंजीयन होते ही चालकों के खाते में सब्सिडी पहुंच जायेगी। कुछ चालकों को पंजीयन हो चुके होने के कारण पूर्व में सब्सिडी मिली है। यह भी जानकारी मिली है कि ई.रिक्शा खराब होने के बाद अनेक चालकों ने उन्हें खड़ा कर दिया है। जिसके चलते कर्ज की किश्त भी नहीं पटा पा रहे हैं।

जानकारी अनुसार कई रिक्शे तो 6 महीने भी नहीं चल पाए। कई ई रिक्शा चालकों को योजनांतर्गत 50 हजार रुपए सब्सिडी मिलनी थी जो अब तक नहीं मिल पाई है। हर माह बैंक को 2200 रुपए किश्त देनी है। लेकिन रिक्शा खराब होने के कारण वे चला नहीं पा रहे हैं जिससे कर्ज भुगतान भी नहीं किया जा सका है।  श्रम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ई.रिक्शा चालकों ने पंजीयन नहीं कराया है। जिसके कारण उन्हें सब्सिडी नहीं मिल पा रही है। सालभर पहले दीनदयाल अंत्योदय योजनांतर्गत पांच ई-रिक्शा वाहनों का वितरण किया गया था। जिसमें से सिर्फ  एक ही चालू स्थिति में है। ई-रिक्शा देते समय बताया गया था कि 1.20 लाख का कर्ज है। जिसमें 50 हजार की सब्सिडी मिलेगी। पांच वर्ष में कर्ज भुगतान करना था। ई-रिक्शा चालक गजेंद्र कुमार ने कहा कि विभाग से मिला ई.रिक्शा 6 माह में ही खराब हो गया। इसे बनाने में 40 हजार खर्च बताया जा रहा है। इतना खर्च वहन करना मेरे बूते की बात नहीं है। बसंत प्रधान, सैफ ी नबी का कहना है कि काफी समय तक ई रिक्शा को बनवाकर चलाया। लेकिन अब इतना खर्च मांग रहा है कि बनवा पाना संभव नहीं है। ई-रिक्शा चालकों ने कहा कि दो माह के बाद ही ई.रिक्शा में खराबी आना शुरू हो गया। 6 माह में तो ई रिक्शा पूरी तरह से खराब हो गया। मजबूरी में घर के सामने ही खड़ा करना पड़ा। ई-रिक्शा की बैटरी व मोटर में ज्यादा शिकायत है। ई-रिक्शा में लगे सामान शहर में उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।

जसके चलते वे रिपेयरिंग नहीं करा पा रहे हैं। वाहन बनाने उन्हें रायपुर से मिस्त्री बुलाना पड़ता है, जिसका खर्च इतना अधिक आता है कि वे उसे वहन नहीं कर पाते।

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