महासमुन्द
![बारिश से पहले छप्पर सुुधारने में जुटे बारिश से पहले छप्पर सुुधारने में जुटे](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1718618580-2.jpg)
महासमुंद,17 जून। बारिश नजदीक जानकर अब लोग कवेलू वाले घरों में छप्पर सुुधारने में लगे हुए हैं। हालांकि आधुनिक दौर में कवेलू वाले घरों की तादात गांवों में कम हो रही है। लेकिन अब भी गांवों में कवेलू वाले मकान दिख जाते हैं। बंदरों आदि के उत्पात के कारण ऐसे अधिकांश मकानों के कवेलू टूटकर गिर जाते हैं। ऐसे ही एक घर के छानी को दुरुस्त करते ग्रामीण। इसे छत्तीसगढ़ी में खपरा लहुटाना या छानी छाना कहते हैं। छानी मतलब छप्पर और छाना मतलब ढंकना तथा खपरा का मतलब खपरैल (कवेलू) और लहुटना का मतलब पलट पलट कर एक कतार में रखना होता है। खपरा लहुटाते वक्त ग्रामीण दो कतार में उल्टा खपरैल रखता है और दोनों के बीच कतार से सीधा खपरैल रखकर उसे इस तरह ढंक देता है कि पानी किसी भी तरह से घर के अंदर न आने पाए। ऐसा ही बड़ी कारीगरी से पूरे छप्पर को ढंक दिया जाता है। यह काम प्रत्येक साल बारिश से पहले ही की जाती है।