महासमुन्द
![महासमुंद जिले में बिना लाइसेंस के 2 लाख लोग चला रहे हैं गाडिय़ां महासमुंद जिले में बिना लाइसेंस के 2 लाख लोग चला रहे हैं गाडिय़ां](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1609410204_1593157936G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 31 दिसम्बर। जिले में बिना लाइसेंस के 1 लाख 90 हजार 280 लोग गाडिय़ां चला रहे हैं। इन्हें मालूम है कि बिना लाइसेंस की गाड़ी चलाना कानूनन जुर्म है। इसके बावजूद लोग यातायात के नियमों की धज्जिया उड़ा रहे हैं।
यह जानकारी आरटीओ विभाग से मिली है जो गाडिय़ों और लाइसेंसधारियों की संख्या बता रही है। हालांकि जिला आरटीओ विभाग में वाहन के रजिस्ट्रेशन से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस तक ऑनलाइन तरीके से बन रहा है। घर बैठे दस्तावेजों की प्रक्रिया आसानी से हो जाती है। इसके बाद भी लायसेंसधारियों की संख्या काफी कम है। ऐसा भी नहीं है कि लायसेंस नहीं होने पर वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता। दुर्घटना व अन्य किसी तरह की घटना होने के बाद दिककतें आती है।
इस सम्बंध में आरटीओ अधिकारी मोहन साहू ने बताया कि मार्च के बाद से लाइसेंस बनाने का काम बंद हो गया था। कोरोना की वजह से सारा काम प्रभावित हो गया है। अनलॉक के बाद लोग लाइसेंस बनवाने आ रहे हैं। वहीं शिविर लगाकर लाइसेंस बनाने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। बगैर लायसेंस गाड़ी चलाने वालों पर कोरोना के चलते कार्रवाई भी नहीं हो रही है, जिसके कारण भी लोग भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
आरटीओ के पास जो डेटा है उसमें जिले में कुल 2 लाख 65 हजार 280 गाडिय़ां पंजीकृत है। इसमें दो पहिया, चार पहिया सहित विभिन्न प्रकार की गाडिय़ा शामिल हैं। इसके एवज में केवल 70 हजार वाहन चालक ही लाइसेंसधारी है। इसमें दो पहिया, तीन पहिया, चार पहिया, मीडियम, हैवी, ट्रैक्टर एवं पेड एम्पलाई लाइसेंसधारी शामिल हैं।
मालूम हो कि कुछ साल पहले आरटीओ व यातायात की सुंयक्त प्रयास से ड्राइविंग लायसेंस बनाने का अभियान चलता था। उसके बाद आरटीओ दफ्तर में आकर जरूरी प्रक्रिया पूरी की जाती थी। उस समय कैंपों के माध्यम से भी हजारों लोगों का लायसेंस आसानी से बन जाता था। अभियान नहीं चलने से नई लाइसेंस की संख्या घटी। यातायात विभाग से प्राप्त आकड़ों पर नजर डालें तो साल 2018 में बिना ड्राइविंग लायसेंस के 219 नाबालिगों पर प्रकरण बनाए गए हैं।