महासमुन्द

अपने चार बच्चों के साथ-साथ 53 और बच्चों के पालक हैं जगदीशपुर के जगदीश और बिलासिनी
01-Jan-2021 6:44 PM
 अपने चार बच्चों के साथ-साथ 53 और बच्चों के पालक हैं जगदीशपुर के जगदीश और बिलासिनी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुन्द, 1 जनवरी। जिला मुख्यालय से 107 किलोमीटर और बसान ब्लॉक मुख्यालय से 7 किमी दूर पर बसा है जगदीशपुर गांव। यहां के एक दंपति की वजह से पूरे बसना ब्लॉक में पहचाना जाता है और उस दंपति का नाम हैं जगदीश कनेर और बिलासिनी कनेर।

वर्ष 2004 से ये दंपति ऐसे बच्चों का सहारा बने हुए हैं जो निराश्रित हैं। इनमें से अधिकतर बच्चे लोकल ही होते हैं। आज ये दंपति अपने चार बच्चों के साथ साथ  53 और बच्चों के पालक हैं। बच्चों की मदद के दौरान जगदीश को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा था। कभी-कभी तो स्थिति ऐसी बन जाती थी कि खुद के खाने के लिए घर में चूल्हा नहीं जलता था। बच्चों के खाने रहने और जरुरत के सामान का खर्च निकालने के लिए जगदीश को छात्रावास शुरू करने के एक साल बाद खुद का पुश्तैनी घर बेचना पड़ा था। इसके बावजूद भी जगदीश ने हार नहीं मानी और जरुरतमंद बच्चों की मदद जारी रखा। साल 2021 में इनका लक्ष्य है कि और भी बच्चों की मदद कर सकें।

दोनों को इस रास्ते में चलने के दौरान कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा। आर्थिक परेशानी से लेकर कई तरह की मुसीबतें आई लेकिन बिलासिनी पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती रही। परेशानी के दिनों में भी उन्होंने पति का साथ छोडक़र अलग रास्ता नहीं चुना। इसलिए तो जगदीश अपनी सफलता का श्रेय पत्नी को ही देते हैं।

 कोरोना काल में मदद कम मिलने से बच्चों ने इसका अच्छा अवसर के रूप में इस्तेमाल किया। खाली पड़ी जमीनों में से कुछ पर बच्चों ने खुद से सब्जी उगाना शुरू किया। बच्चे अभी फूलगोभी, बैंगन, पत्ता गोभी, विभिन्न प्रकार की भाजियां उपजा रहे हैं। इससे उन्हें काफी हद तक सब्जी खरीदने से छुटकारा मिला। वहीं आर्थिक पडऩे वाले बोझ में कमी भी आई।

बच्चों की परवरिश में आने वाला सभी खर्च जनसहयोग के माध्यम से होता है। छात्रावास में कोई न कोई आते रहता है। इससे जगदीश को आर्थिक मदद मिल जाती है। इसके अलावा गांव के ही लोग आर्थिक मदद करते हैं साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों के माध्यम से कुछ मदद मिल जाती है। जगदीश ने छात्रावास की शुरुआत अपने पुश्तैनी घर से की थी। घर बिकने के बाद किराए पर अपने सभी बच्चों के साथ रहने लगे थे। जगदीश के इस भाव को देखकर गांव के ही लक्ष्मण साहू ने अपना एक एकड़ जमीन बच्चों के छात्रावास के लिए दान कर दिया। इसके बाद दान की जमीन पर ही बालक छात्रावास चल रहा है। वहीं बालिका छात्रावास गांव के के गाडिया के मकान में चल रहा है। महिला ने जगदीश को छात्रावास चलाने के लिए नि:शुल्क में अपना घर का एक भाग दे रखा है।

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