महासमुन्द

रबी धान का रकबा 20 फीसदी बढ़ा
10-Mar-2021 4:55 PM
रबी धान का रकबा 20 फीसदी बढ़ा

समझाइश के बाद भी दलहन-तिलहन की ओर रूझान कम

रजिंदर खनूजा

पिथौरा, 10 मार्च (‘छत्तीसगढ़’)। क्षेत्र में पानी एवं बिजली की खपत कम करने की कोशिशें नाकाम हो रही हंै। इस बार रबी में क्षेत्र के किसानों ने विगत वर्ष की तुलना में रबी धान का रकबा करीब 20 फीसदी बढ़ा दिया है। ज्ञात हो कि रबी सीजन में लगाई जाने वाली धान की फसल में अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है। गर्मी की वजह से पानी पंप दिन रात चलाये जाने से विद्युत की खपत बढ़ जाती है जिसका खामियाजा घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को भोगना पड़ता है।

कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष विगत वर्ष की तुलना में करीब 20 फीसदी रकबा रबी फसल हेतु बढ़ा है। अधिकांश किसान धान की ही खेती कर रहे हैं। पिथौरा विकासखण्ड में कुल 8402 हेक्टयर भूमि में रबी की किसानी की जा रही है। इसमें गेंहू मक्का, दलहन, तिलहन एवं साग सब्जी मिलाकर कुल करीब 250 हेक्टयर में लगाई गई है, जबकि मात्र धान 6303 हेक्टयर में लगाया गया है।

धान कम कर दलहन-तिलहन को बढ़ावा
कृषि विभाग के अधिकारी डी पी पटेल ने बताया कि इस बार विभाग का लक्ष्य रबी धान का रकबा कम कर दलहन तिलहन का रकबा बढ़ाने का रखा गया था परन्तु किसानों ने किसी की नहीं सुनी और इस बार पहले से भी 20 से 25 फ़ीसदी अधिक रकबा में धान लगा दिया। इसके अतिरिक्त शासन की ओर से फसल प्रदर्शन के रूप में गेहूं 129 हेक्टयर मूंग 145 हे. उड़द 145 हे. सहित मक्का एवं सरसो 28 हेक्टयर में लगा कर फसल ली जा रही है।

गर्मी बढऩे के साथ बिजली-पानी संकट 
ज्ञात हो कि कृषि विभाग की समझाइश के बाद भी किसान रबी में सर्वाधिक पानी लगने वाली धान की खेती कर रहे हंै। इन खेतों में सिंचाई हेतु क्षेत्र में 20 हजार से अधिक पम्प लगातार 24 घण्टे चल रहे हंै। उससे ये तय है कि गर्मी बढऩे के साथ ही क्षेत्र में बिजली एवं पानी का गम्भीर संकट हो सकता है। प्रशासन को इसके लिए पूर्व से ही योजना तैयार की जानी चाहिए।

धान 1200 में बिक रहा
एक ओर कृषि विभाग की दलहन तिलहन में अधिक फायदा होने की सलाह को किसान पूरी तरह खारिज कर अत्यधिक रकबे में धान की फसल लगा चुके हंै,  जिससे रबी में कम खर्च में अधिक धान होने के कारण किसानों के पास रबी का खासा धान होगा। ऐसी स्थिति में अब इस धान को किसान कहां और कैसे बेचे इस उधेड़बुन में लगे हंै। क्योंकि खरीफ सीजन निकलने के बाद स्थानीय कृषि उपज मंडी में धान के सौदा पत्रक मात्र 1100 से 1300 तक ही कट रहे हैं, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपये है। इस स्थिति में रबी में धान की फसल लेने वाले किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। 
बहरहाल रबी में धान की जगह दलहन तिलहन लगाने की सरकारी सलाह नहीं मान कर धान लगाने वाले किसानों को इस वर्ष खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं पानी और बिजली की कमी का खामियाजा आम लोगो को भुगतना ही पड़ेगा।

एमएसपी का महत्व समझने लगे किसान
एमएसपी मतलब न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है, अब पानी के मोल बिकती अपनी फसल को देख कर समझने लगे हैं। जिस धान का सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपये है, अब उसी धान को समर्थन मूल्य नहीं होने के कारण व्यापारी 1000 से 1300 तक ही खरीद रहे हैं। कुछ किसानो के अनुसार यदि धान बिक्री के हालात ऐसे ही रहे तो वह दिन दूर नहीं ज़ब किसानों की आय दुगुनी के बजाय आधी से भी कम हो सकती है। ऐसे हालातों में किसानों के सामने रोजी रोटी की समस्या भी आ सकती है।

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news