महासमुन्द
![शावक को जन्म देने के बाद हाथिनी भोजन-पानी के लिए चिंघाड़ती भटक रही शावक को जन्म देने के बाद हाथिनी भोजन-पानी के लिए चिंघाड़ती भटक रही](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/16155451021.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 12 मार्च। समीप के वनमंडल बलौदाबाजार के अंतर्गत बारनयापारा अभ्यारण क्षेत्र के समीप कोठारी परीक्षेत्र अंतर्गत सप्ताह भर पूर्व एक हाथिनी ने एक शावक को जन्म दिया है। अब उक्त हथिनी अपने बच्चे की सुरक्षा एवं भोजन पानी के लिए आसपास घूम रही है। भूख में कभी-कभी इस हथिनी की चिंघाड़ भी ग्राम तक पहुंच रही है, जिससे ग्रामीणों में भय व्याप्त है।
मिली जानकारी के अनुसार कोठारी वन परिक्षेत्र कार्यालय के समीप से अचानकपुर मार्ग पर बया कसडोल मुख्य मार्ग से करीब आधा किलोमीटर दूरी पर एक मादा हाथी ने सप्ताह भर पहले एक बच्चे को जन्म दिया है। जिसके कारण उक्त मादा हाथी पूरे जंगल में चिघाड़ मार रही है। हथिनी की चिंघाड़ से कोठारी ग्राम निवासी ग्रामीण भयभीत हैं। अपने घरेलू कार्य से भी वे डर कर जंगल की ओर नहीं जा पा रहे हैं।
ज्ञात हो कि इस समय जंगल में लकड़ी कटाई का समय है। क्षेत्र में भारी मात्रा में बांस एवं अन्य प्रजाति की लकडिय़ों की भारी मात्रा में शासकीय कटाई की गई है। जिसे जंगल से निकालकर स्थानीय वन काष्ठागार में परिवहन किया जाता है, मगर मादा हाथी के बच्चे देने से ग्रामीणों के साथ वन अमला भी भयभीत है।
ज्ञात हो कि विगत कुछ वर्षों से इस क्षेत्र में भारी मात्रा में जंगली हाथी आ रहे है। जिसके चलते यदाकदा दिन में भी सडक़ पर गांव के आसपास हाथी दिखाई दे जाते हैं। क्षेत्र में 30 से 40 हाथी विचरण कर रहे हैं। क्योंकि यह क्षेत्र बांस से भरपूर क्षेत्र है और जंगल के भीतर पानी की पर्याप्त मात्रा में होने से जंगली हाथी यहीं पर डेरा डाल दिए हैं। जिसके कारण आए दिन ग्रामीणों का हाथियों से सामना होते रहता है।
एक हाथी करंट से मारा गया था
विगत छह माह पूर्व पिथौरा वन परिक्षेत्र में ही परिवार बढ़ाकर अपने कॉरिडोर में रहने वाले हाथियों के दल का एक हाथी करंट से मारा गया था। इसके बाद अपने मासूम शावक को लेकर जिस तरह हथिनी वापस ओडिशा की ओर भागी थी, उस दृश्य को देख कर ग्रामीणों की आंखे भर आयी थी। अब पुन: हाथियों के परिवार में एक सदस्य की वृद्धि हुई है। एक ओर हाथी परिवार अपने नए मेहमान का पालन पोषण करने कुछ भी करने तैयार है, वहीं जंगलों से हाथियों के भोजन के फल फूल का दोहन लगातार हो रहा है जिससे मानव हाथी द्वंद की संभावना बढ़ गयी है।