महासमुन्द

बोधगया व अन्य स्थानों से ज्यादा बौद्ध पुरातत्व सिरपुर में, इसे सहेजने की जरूरत-प्रो. रतन लाल
13-Mar-2021 3:53 PM
बोधगया व अन्य स्थानों से ज्यादा बौद्ध पुरातत्व सिरपुर में, इसे सहेजने की जरूरत-प्रो. रतन लाल

सिरपुर बौद्ध महोत्सव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 13 मार्च।
तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर महोत्सव की आगाज शुक्रवार से हुई। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर पहुंचे वाराणसी से पधारे हिंदी के विद्वान व वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. चौथीराम यादव ने कहा- जब जब देश में सामाजिक क्रांति हुई है। उसकी प्रतिक्रांति भी हुई है। चाहे वह बुद्ध का युग हो, मध्य कालीन संतों का युग रहा हो या अंबेडकर. फुले का युग रहा हो। वहीं जामिया मिलिया विवि के हिंदी विभाग की एचओडी प्रो. हेमलता महिश्वर ने कहा कि बुद्ध ने कहा है कि तुम्हे जो भी निर्णय लेना हो अपने ज्ञान के आधार पर लो। इसलिए मत लो की मैंने कहा है। कार्यक्रम में दिल्ली विवि के प्रो. रतन लाल ने कहा कि सिरपुर दक्षिण कौशल की राजधानी रही है। बोधगया व अन्य स्थानों से ज्यादा बौद्ध पुरातत्व यहां प्राप्त हो रहा है, जिसको सहेजने की जरूरत है। 

महोत्सव की शुरुआत जापान से आए बौद्ध विद्वान भदंत नागार्जुन सुरई ससाई ने त्रीशरणं व पंचशील का पाठ देकर किया। महानदी तट पर लगे मेला स्थल के ओपन मंच में कलाकारों ने प्रेरक प्रस्तुतियां दी जिसमें आध्यात्म, सामाजिक जागरूकता व महिला समानता जैसे बिंदु शामिल रहे। इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में समसामयिक विषयों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक छटा का प्रदर्शन किया गया। इसके पहले महानदी तट पर मेला स्थल में ओपन मंच पर दोपहर 12 बजे तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्घ महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी का शुभारंभ संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन एवं समस्त आगंतुकों को बाबा साहब द्वारा लिखित पुस्तक भेंट कर अभिवादन किया गया।

महोत्सव के मुख्य अतिथि भदंत नागार्जुन सुरई ससाई ने कहा कि सिरपुर के उत्खनन में प्राप्त बौद्ध अवशेषों से यह प्रमाणित हो गया है कि सिरपुर व इसके आसपास के क्षेत्र बुद्ध से जुड़े हैं। मेरा प्रयास होगा की आने वाले दिनों में सिरपुर को पुरातात्विक दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई जाए। इस दौरान उन्होंने त्रीशरण व पंचशील का पाठ भी कराया।

पुरातत्ववेत्ता डॉ. मधुकर कठाने ने कहा कि सिरपुर के उत्खनन और साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि किस प्रकार से सही तथ्य और साक्ष्यों को उलट दिया गया है। उन्होंने कहा कि चीनी यात्री हेन्सांग ने अपने यात्रा में सिरपुर का उल्लेख किया है और कहा है कि उन दिनों सिरपुर में दस हजार बौद्ध भिक्षु रहा करते थे। इसके साथ ही अन्य वक्ताओं ने अपने विचार रखे। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की कड़ी में बच्चों द्वारा शरणं गच्छामि थीम पर प्रस्तुति और पंथी नृत्य में घासीदास बाबा के संदेश व बाबा आंबेडकर के संघर्ष को याद किया गया। 

साथ ही शिव घृतलहरे व टीम के कबीर बैंड ने कबीर दास के संदेश को बहुत ही रोचक तरीके से प्रस्तुत किया। इस दौरान आर्केस्ट्रा, जादूगरी व बुद्ध ही बुद्ध पर एकल नृत्य की प्रस्तुतियां भी हुईं। इसके साथ ही सुभांगी भीमटे ने बुद्व ही बुद्व पर एकल डांस प्रस्तुति दिया। मोतीमाला कोलेकर आकेस्ट्रा प्रस्तुत किए। दिनेश पटेल जबलपुर ने जादू दिखाया। शिव घृतलहरे ने कबीर बैंड की प्रस्तुति दी। बबीता ने गीत बुद्व और संविधान पर आधारित गीत प्रस्तुत किया। शैलेश बागगड़े और टीम समता सैनिक कला दल नागपुर से समता समानता पर मुक नाटक मंचन किया। कबीर कला बैंड पंथी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति मंच पर दी गई। 
 

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