महासमुन्द

समूह की महिलाएं बना रहीं जड़ी-बूटी व फूलों से हर्बल गुलाल
14-Mar-2021 6:02 PM
समूह की महिलाएं बना रहीं जड़ी-बूटी व फूलों से हर्बल गुलाल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

 पिथौरा, 14 मार्च। महासमुंद,जिले में इस वर्ष एक महिला समूह ने हर्बल गुलाल तैयार किया है। महिला समूह का दावा है कि उनके द्वारा निर्मित गुलाल पूरी तरह हर्बल है जो फूलों से बनाया गया है। इसमें खुशबू के लिए भी सुगन्धित फूलों का ही इस्तेमाल किया गया है।

बताया जाता है कि इस बार जिले की एक महिला स्व सहायता समूह के स्वरोजगार से जुड़ी महिलाएं दिन-रात हर्बल गुलाल तैयार करने में जुटी हैं। समूह की महिलाओं का दावा है कि इस गुलाल को लगाने से चेहरे पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। महिला स्वसहायता समूह के द्वारा तैयार किए जा रहे उक्त हर्बल गुलाल और हर्बल रंग की कई विशेषताएं हैं। इसमें फूलों के रंग का इस्तेमाल किया जाता है।

इतना ही नहीं गुलाल और रंग में सुगन्ध के लिए भी फूलों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जा रहा है, जो नुकसान करे। इसी कारण इस गुलाल और रंग की मांग जि़ले ही नहीं प्रदेश के अन्य हिस्सो से भी आ रही है। वहीं, महिलाओं को घर बैठे स्वरोजगार भी उपलब्ध हो रहा है।

महासमुन्द विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बिरकोनी के माया महिला स्व सहायता समूह द्वारा इस वर्ष की होली के लिए जड़ी, बूटी व फूलों से हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रही है।

संस्था से जुड़ी 10 ग्रामीण महिलाओं के द्वारा होली के लिए हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है। समूह की डैडी इन्द्राणी कश्यप ने बताया कि सिफऱ् एक दिवसीय प्रशिक्षण पाकर महिलाओं के द्वारा प्राकृतिक साग-भाजी, टेसू फूल आदि से हाथों से इस हर्बल गुलाल को तैयार किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया है कि इस गुलाल का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। महिलाएं घर बैठे इस अबीर को तैयार कर रही है ताकि उन्हें आर्थिक लाभ के साथ-साथ स्वरोजगार मिल सके।

महिलाओं का स्वरोजगार

हिन्दू पर्व होली में केमिकल मिश्रित रंग गुलाल से आंखों में एवम शरीर के नाजुक अंगो में इसका सुसप्रभाव देखने मिलता रहता है।परन्तु इस बार प्रदेश में महिला समूहों का गठन कर महे स्वरोजगार के अवसर देने से अब महिलाएं स्वयम का रोजगार कर अपना घर परिवार आसानी से चल रहा है।इसके अलावा विभिन्न अवसरों पर समूह द्वारा पूरी तरह हर्बल वस्तुओं से दैनिक उपयोग की सामग्री बना कर आम उपभोक्ताओं की गाढ़ी कमाई बचा रही है वही रासायनिक पदार्थो से बने उत्पादों को भी टक्कर देकर देशी अपना कर स्वस्थ रहने का मंत्र भी दे रही है।

   माया समूह की महिलाओं ने बताया कि अभी वे पीला, संतरा, लाल एवं चंदन रंग के गुलाल का निर्माण कर रही है। जिसका विक्रय स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गौठान परिसर बिरकोनी के दुकान के माध्यम से किया जा रहा है। जल्दी ही आसपास के जंगलों में जाकर टेसू फूल चुनकर उनका भी हर्बल गुलाल बनाया जाएगा। इंद्राणी ने बताया कि हर्बल गुलाल का आर्डर स्व-सहायता समूह के मोबाईल नम्बर में कॉल करके भी ले सकते है। हर्बल गुलाल बनाने में हल्दी, इत्र, पलास का फूल एवं खाने का चुना आदि का उपयोग किया गया है। 100 ग्राम हर्बल गुलाल की क़ीमत मात्र 10 रुपए है । वर्तमान में समूह द्वारा 06 किलोग्राम गुलाल निर्मित किया जा चुका है और हर्बल गुलाल बनाने का कार्य किया जा रहा है।

समूह की महिलाओं को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण गत 25 फरवरी को बिरकोनी के गौठान में कृषि महाविद्यालय कांपा के प्रशिक्षकों के द्वारा दिया गया था।

   मुख्य कार्यपालन अधिकारी जि़ला पंचायत डॉ. रवि मित्तल ने बताया  कि समूह से जुड़ी महिलाओं को उनकी अभिरुचि और स्थानीय बाज़ार माँग और समय को देखते हुए विभिन्न कार्यों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है । इसके अलावा कई तरह के प्रशिक्षण  दिया गया है ताकि महिलाएं घर बैठे ही स्वरोजगार से जुड़ सके हैं और उसका लाभ ले सकें। कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण दिए जा रहे है।

उन्होंने कहा कि गोधन योजना के तहत जि़ले की गौठानो में मल्टीएक्टिविटी भी की जा रही है। उन्होंने बताया की अभी होली आने वाली है इसलिए महिलाओं को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। महिलाएं अपने गांव में घरों में एक साथ बैठकर आरारोट और नेचुरल रंग से हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं। इस हर्बल गुलाल को बाजार में बिक्री के बाद महिलाओं को काफी फायदा होगा और उन्हें घर बैठे स्वारोजगार भी मिलेगा, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनेगी। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित करके इस स्तर पर लाया जाता है कि उनके द्वारा तैयार किए गए समान को बाजार में एक अच्छी क्वालिटी के साथ उपलब्ध कराया जा सके।

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