महासमुन्द
![कोरोनाकाल जैसा एकांत साहित्यकारों को कभी नहीं मिला-डॉ. राजेन्द्र कोरोनाकाल जैसा एकांत साहित्यकारों को कभी नहीं मिला-डॉ. राजेन्द्र](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1615902561_1613305088G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 16 मार्च। कोरोना की त्रासदी ने लोगों को घर के भीतर रोक दिया। कोरोना अभिशाप के रूप में आया जरूर लेकिन यह वरदान भी साबित हुआ है क्योंकि इतना शांत व एकांत समय साहित्यकारों को और कभी नहीं मिला। लेखन सृजन ऐसे ही वातावरण में होता है।
गत दिवस शासकीय माता कर्मा कन्या महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में मिथिला विश्वविद्यालय के डॉ. राजेंद्र साहू ने कही। वेबिनार का विषय भाषा व साहित्य पर कोविड.19 का प्रभाव था। जिस पर देशभर के वक्ताओं ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किया। वेबिनार में कर्नाटक, केरल, गाजियाबाद, लखनऊ व अन्य शहरों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर महाप्रभु वल्लभाचार्य कॉलेज की डॉ. अनुसुइया अग्रवाल ने कहा कि कोरोना काल में भी साहित्यकारों ने अपनी कलम से दुनिया को फिर से जोड़े रखने का कार्य किया है। इस समय भी गद्य और पद्य में लेखन बहुत हो रही है। वहीं सोशल मीडिया में भी लोग अपनी रचनाओं को शेयर कर रहे हैं। वेबिनार में नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के कार्याध्यक्ष प्राचार्य डॉ. शहाबुद्धीन नियाज मोहम्मद शेख ने कहा कि समाज का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जो कोविड.19 की चपेट में न आया हो। इससे हमारी भाषाएं और साहित्य भी प्रभावित हुई है। कोविड.19 के साथ आई अंग्रेजी शब्दावली ने हमारे बीच अपनी पैठ बनाई है। हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाएं डिजिटल कृत हो चुकी हैं।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रमेश कुमार देवांगन ने कहा कि कोरोनाकाल में भी साहित्यकारों ने अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक वास्तविकता को परिलक्षित किया है और ऐसे समय में भी साहित्यकार सतत लेखन कर रहे हैं। इस अवसर पर संगोष्ठी की संयोजक डॉ.स्वेतलाना नगल, डॉ. सरस्वती वर्मा के साथ डॉ. शीलभद्र कुमार, अजय कुमार श्रीवास, वीके साहू व फलेश दीवान ने भी हिस्सा लिया।