महासमुन्द

ओडिशा के बरगढ़ जिले के 18 गांव छत्तीसगढ़ में शामिल होना चाहते हैं
18-Mar-2021 4:06 PM
 ओडिशा के बरगढ़ जिले के 18 गांव छत्तीसगढ़ में शामिल होना चाहते हैं

कहा हमारे गांव में नहीं मिलती मूलभूत सुविधाएं 

छत्तीसगढ़-ओडिशा की सीमा पर आंदोलनरत चढ्डापाली पंचायत के ग्रामीण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 18 मार्च।
छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे ओडिशा के बरगढ़ जिले के चढ्डापाली ग्राम पंचायत के 18 गांवों के ग्रामीण छत्तीसगढ़ में शामिल होना चाहते हैं। ग्रामीणों की शिकायत है कि आजादी के बाद से उन्हें ओडिशा सरकार मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पा रही है। इसके लिए वे बार-बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का हल नहीं हो पा रहा है। लिहाजा वे अब छत्तीसगढ़ राज्य में शामिल होना चाहते हैं। इसे लेकर ग्रामीण छत्तीसगढ़-ओडिशा की सीमा में हफ्ते भर से आंदोलन पर बैठे हुए हैं। 

आंदोलनकारियों ने छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के सरायपाली विधायक किस्मतलाल नंद को आंदोलन स्थल बुलाया, और कहा कि हमारी बातें छत्तीसगढ़ सरकार तक पहुंचाई जाए। विधायक नंद का इस बारे में कहना है कि वे ग्रामीणों के बुलावे पर गये जरूर थे, लेकिन ओडिशा नहीं गए थे, बल्कि छत्तीसगढ़ की सीमा पर ही उन्होंने ग्रामीण आंदोलनकारियों से मुलाकात की है।

चढ्डापाली ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव गुनचाडिही, चढ्डापाली, गस्तिडिही, लहंडीपुर, हुहुराकोट सहित कुल 18 गांवों के 4 हजार से अधिक लोग सात दिनों से ओडिशा सरकार के खिलाफ  आंदोलनरत हैं। ग्रामीणों की एक ही मांग है कि उनके गांवों को छत्तीसगढ़ में शामिल किया जाए। 

आंदोलनरत ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद से आज तक उन्हें मूलभूत सुविधाएं नसीब नहीं हुई है। इसलिए वे अब छत्तीसगढ़ राज्य में शामिल होना चाहते हैं। गुनचाडिही के पूर्व सरपंच नवघन साहू, पंचायत कमेटी के उत्तम नायक, जगन्नाथ बेहेरा, बलराम बेहेरा, रक्षपाल साहू, अरक्षित प्रधान एवं शेषदेव साहू ने मोबाइल से ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव सबसे पिछड़े हैं। यहां न तो सडक़ है और न ही नदी-नालों में पुल-पुलिया। इसके चलते सभी को काफी परेशानी होती है। यही नहीं ओडिशा सरकार की योजनाओं का लाभ यहां के ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। वृद्ध, विधवा, विकलांग पेंशन और उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, साथ ही क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का भी बुरा हाल है। आजादी के बाद से तीन दल के नेताओं ने मिलकर भी आज तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया। 

आंदोलन में बैठे सुरेश कुमार प्रधान कहते हैं कि ओडिशा को छोडक़र छत्तीसगढ़ के साथ मिलने की इच्छा दुखदायी है। यातायात के लिये काफी समय से मांग किये जाने के बावजूद ओडिशा सरकार और किसी दल के नेताओं द्वारा इस मुद्दे पर कोई सुनवाई नहीं होने की से मजबूरन हमें छत्तीसगढिय़ा बनना पड़ रहा है। 

जयराम साहू ने कहा कि पिछले कई वर्षों से हम सडक़ और अंग नदी पर पुल निर्माण की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। सडक़ और पुल नहीं होने के कारण कई बार रोगियों को चिकित्सालय तक ले जाते समय उनकी मौत भी हो जाती है। एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती। यह सिलसिला पिछले 30 वर्षों से चल रहा है। 

आंदोलनरत अरक्षित प्रधान कहते हैं कि पिछले तीन दशक से चढ्डापाली पंचायत के अधीन निवास करने वाले ग्रामीण केवल एक ही मांग करते आ रहे हैं और वह है अंगनदी पर पुल निर्माण। लेकिन आज तक ये नहीं बन पाया। अब हमने छत्तीसगढ़ में खुद को शामिल करने का निर्णय किया है। छत्तीसगढ़ की सरकार कई अच्छी योजनाएं चला रही हैं।

इस मामले में बरगढ़ विधायक देवेश आचार्य ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि ओडिशा सरकार की हाईलेवल कमेटी ने इस संबंध में निर्णय लिया है। ग्रामीणों को हेल्थ, एजुकेशन के साथ ही पुल की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। अंग नदी में पहले सिंचाई प्रोजेक्ट आना था, इसलिए पुल निर्माण के लिए परमिशन नहीं मिल रहा था। लेकिन अब यह निर्माण होगा। सरकार से इस मसले पर बात हो चुकी है। उन्होंने सरायपाली विधायक के ग्रामीणों के आंदोलन में शामिल होने को दुर्भाग्यजनक बताया। 

सरायपाली विधायक किस्मतलाल नंद ने इस मामले में ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि आजादी के बाद से ओडिशा राज्य के बरगढ़ जिले के चढ्डापाली ग्राम पंचायत के 18 गांव के ग्रामीणों को सुविधाएं नहीं मिल रही है। मैं उनके बुलावे पर ही वहां गया था और छत्तीसगढ़ की सीमा पर ही ग्रामीणों से मुलाकात की। शिक्षा, स्वास्थ्य सहित मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीणों की अनदेखी की जा रही है। अंग नदी पर पुल नहीं होने से और लखमरा नाला में पुलिया नहीं होने से वहां के निवासियों को सरायपाली होकर बरगढ़ जाना पड़ता है। मैंने ग्रामीणों को समझाया है कि ये इंटर स्टेट मामला है, मैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को आपकी समस्या से अवगत कराऊंगा।
 

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