महासमुन्द

पांच माह से ऑपरेशन थिएटर बंद, जिला अस्पताल में संस्थागत प्रसव नहीं, मितानिनों ने घेरा कलेक्टोरेट
19-Mar-2021 4:07 PM
पांच माह से ऑपरेशन थिएटर बंद, जिला अस्पताल  में संस्थागत प्रसव नहीं, मितानिनों ने घेरा कलेक्टोरेट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 19 मार्च।
पांच महीने से बंद ऑपरेशन थिएटर के कारण जिला अस्पताल में संस्थागत प्रसव नहीं हो पा रहा है। जिला चिकित्सालय में इस योजना के तहत पिछले पांच महीने से गर्भवती महिलाओं का ऑपरेशन नहीं हो रहा है। अस्पताल में चेकअप कराने आ रही गर्भवती महिलाएं आक्रोशित हैं। अब मितानिन भी जिला अस्पताल के इस रवैये से आक्रोशित हो गई हैं। 

 गुरूवार को नाराज मितानिनों ने कलेक्टोरेट के सामने जिला प्रशासन, अस्पताल अधीक्षक के खिलाफ  जमकर नारेबाजी की। मितानिनों ने जिला अस्पताल में चल रहे अव्यवस्था की जानकारी ज्ञापन के माध्यम से अपर कलेक्टर जोगेन्दर नायक को सौंपा है। कलेक्टोरेट परिसर में नाराज मितानिनों ने कहा कि यदि सप्ताहभर के अंदर जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का ऑपरेशन शुरू नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन करेंगे। सौंपे ज्ञापन में मितानिनों ने बताया है कि जिला अस्पताल में नवंबर 2020 से गर्भवती महिलाओं का ऑपरेशन बंद सोनोग्राफी बंद है। इसके चलते गर्भवती महिलाओं को मजबूर होकर निजी अस्पताल जाकर अधिक रुपए खर्च करना पड़ रहा है। 

उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रबंधन से कई बार गुहार लगा चुके है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। उन्होंने जिला अस्पताल की व्यवस्था को जल्द से जल्द सुधार करने की मांग की है। ज्ञापन सौंपने के दौरान मितानिन चमेली, उम्ले सलमा, राजबती साहू, पार्वती गोस्वामी, ऊषा पटेल, रजनी औसर, विशाखा ध्रुव, अनिता ठाकुर सहित महासमुंद ब्लॉक की मितानिनें मौजूद थीं।

मितानीन शीला ठाकुर, निर्मला चंद्राकर, ममता पटेल ने कलेक्टर को जानकारी दी कि जिला चिकित्सालय में पिछले पांच महीने से ऑपरेशन नहीं हो रहा है। जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं को इसके लिए निजी अस्पतालों में अधिक रुपए खर्च करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि निजी अस्पतालों में गरीब महिलाओं को ऑपरेशन के लिए 40 से 50 हजार रुपए खर्च तक वहन करना पड़ता है। मितानिनों ने आरोप लगाया है कि जिला अस्पताल में पदस्थ कई चिकित्सक शहर के निजी अस्पताल में सेवा दे रहे हैं। जानबूझकर यहां आने वाले गर्भवती महिलाओं को निजी अस्पताल में रेफर कर रहे हैं । जिन गर्भवती महिलाओं का नार्मल डिलिवरी होता है, उन्हें भी निजी अस्पताल में रेफर कर रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन गरीब गर्भवती माताओं की समस्या को दूर करने के बजाए उन्हें आर्थिक बोझ में डाल रहे हैं।

मितानिनों का यह भी आरोप है कि गर्भवती महिलाओं को चेकअप के लिए अस्पताल में घंटों इंतजार करना पड़ता है। चिकित्सक समय पर केबिन में नहीं पहुंचते हैं। सभी चिकित्सक 11 से साढ़े 11 के बीच केबिन में आते हैं। जिसकी वजह से मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। जबकि प्रात: 9 बजे से चिकित्सालय खुल जाता है। गर्भवती महिलाओं व अन्य मरीजों की कतार सुबह 9 बजे से लगी रहती है। शिकायत के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। मितानिनों ने बताया कि जिन महिलाओं को प्रसव की जांच और प्रसव करने के लिए अस्पताल लेकर जाते हैं, वे अव्यवस्था होने पर मितानिनों को ताना देते हैं। परिजन कहते हैं कि जब सुविधा नहीं है और ऑपरेशन व जांच के लिए निजी अस्पताल भेज रहे हैं, तो यहां आने के बजाए सीधे निजी अस्पताल ही ले जाते, यहां लाने की आवश्यकता क्या है?
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news