महासमुन्द
महासमुन्द, 19 मार्च। महासमुन्द जिले के विभिन्न गौठानों में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना अंतर्गत केंचुआ खाद का उत्पादन किया जा रहा है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डा. रवि मित्तल ने बताया कि गौठानों में तैयार की जा रही केंचुआ खाद बहुत अच्छी गुणवत्ता का है। महासमुन्द के ग्राम पंचायत बम्हनी स्थित गोठान में भी केंचुआ खाद का उत्पादन हो रहा है।
यहां निर्मित केंचुआ खाद में कार्बनिक कार्बन की मात्रा 23.83 प्रतिशत तक पाई गई है, जो कि उच्च गुणवत्ता का केंचुआ खाद है। इसकी जानकारी कृषि विज्ञान केन्द्र भलेसर के मृदा वैज्ञानिक कुणाल चन्द्राकर ने भी दी है।
डॉ. मित्तल ने कहा कि ग्राम बम्हनी स्थित गोठान में समूह की महिलाओं ने अभी तक 320 क्विटल केंचुआ खाद का तैयार किए है। पूरे खाद की निजी संस्थाओं, स्थानीय किसानों और सरकारी कार्यालयों द्वारा खऱीदी की गई है। समूह की महिलाओं को जिसका मूल्य 2 लाख 30 हज़ार रुपये है की आमदनी हुई है। प्रतिशत तक कार्बनिक कार्बन की मात्रा पाई जाती है। जिला कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि गौठानों में तैयार की जा रही वर्मी जैविक खाद में कार्बनिक कार्बन की मात्रा अधिक होने पर मृदा में फसलों के लिए आवश्यक मुख्य पोषक तत्व नत्रजन की मात्रा भी बढ़ती है। केंचुआ खाद में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व नत्रजन, स्फुर, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निशियम,कॉपर, आयरन, जिंक, सल्फर भी पाए जाते हैं जो कि मृदा की उर्वरता को बढ़ाने के साथ-साथ फसल उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। केंचुआ खाद को अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जियॉ एवं फलदार पौधे सभी प्रकार की फसलों में उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान समय में मृदा स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है जिसमें फसलों में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के साथ जैविक खाद का भी उपयोग करना चाहिए।
ताकि पौधों के पोषक आवश्यकता की पूर्ति हो एवं मृदा स्वास्थ्य में भी सुधार हो। केंचुआ खाद का उपयोग करने से मृदा की जलधारण क्षमता में वृद्धि होती है। मृदा की भौतिक स्थिति में सुधार होता है, मृदा में पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि होती हैं एवं मृदा उर्वरता तथा मृदा स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
वर्तमान समय में मृदा स्वास्थ्य के सुधार हेतु जैविक खाद के रूप में केंचुआ खाद का उपयोग कृषकों के लिए बहुत अच्छा विकल्प है।