विचार / लेख
-विश्वदीपक
तीन साल पहले लिखी इस रिपोर्ट के बदले 5000 करोड़ के मानहानि के मुकदमे के आलावा पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में इतने तरह के झंझावात झेलने पड़े कि...बहुत कुछ ख़तम हो गया, बहुत कुछ ऐसा रह- रह कर टूटता गया जिसे मैं चाहकर भी नहीं जोड़ सका.
बहरहाल, मेरी इस रिपोर्ट के बाद ही भारत को और दुनिया को पता चला कि अनिल अंबानी ने राफेल डील के मात्र 12 दिन पहले ही अपनी कथित डिफेंस फैक्ट्री स्थापित की थी. ना ही अनिल अंबानी को, ना ही उसकी कंपनी को रक्षा उत्पादन का ए, बी, सी, डी पता था फिर 30 हज़ार करोड़ का ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट उसे कैसे मिला ? यह सवाल आज तक अनुत्तरित है.
याद दिला दूं कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस में जाकर इस डील का ऐलान किया था. अब फ्रांस में राफेल डील की जो जांच शुरू हुई है उसमें मोदी- मैक्रों-अंबानी के त्रिकोणीय रिश्ते पर खास निगाह होगी.
आगे चलकर 2019 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान यह कहानी ही विपक्ष के हमले का मुख्य आधार बनी. हालांकि कारवां, एक्सप्रेस, हिन्दू जैसे दूसरे मीडिया ने भी इस डील के बारे में, इसके अलग अलग पक्षों को लेकर शानदार रिपोर्टिंग की लेकिन ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट का पूरा तर्क और भ्रष्टाचार जिस एक रिपोर्ट के बाद ध्वस्त हुआ -- वह यही रिपोर्ट थी.
राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट में हुई बहस के दौरान भी इस कहानी का जिक्र किया गया. बाद में अनिल अंबानी ने कई लोगों के खिलाफ मुकदमा किया पर शुरुआत यहीं से हुई थी.
रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद अनिल अंबानी के कारिंदे ने पहले ऑफिस कॉल किया, फिर मोबाइल पर फिर नोटिस की धमकी दी और आखिर में मुकदमा भी कर दिया.
अनिल अंबानी का कारिंदा मेरा जीवन संवारने वाला ऑफर लिए घूम रहा था. वो बार-बार कह रहा था कि बस बार मिल लीजिए. उसके फोन आने तभी बंद हुए जब राहुल गांधी ने इस बारे में ट्वीट किया. अफसोस कि उस बेचारे का मुझसे मुलाकात का सपना अधूरा ही रह गया!
इसका ज़िक्र इसलिए कर रहा हूं क्यूंकि आज जब फ्रांस में राफेल डील के जांच की खबर आई तो मीडिया पार्ट्स की रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए कुछ महान पोर्टल्स ने ऐसे खबर चलाई जैसे यह तथ्य पहली बार सामने आया हो कि अनिल अंबानी की कंपनी मात्र बारह दिन पुरानी थी या कि अनिल अंबानी और मोदी सरकार के बीच डील से पहले भी, एक डील हुई थी.
इससे चिंतित मेरे एक मित्र ने फोन करके कहा : अरे कहां हो? क्या कर रहे हो? तुम्हारी राफेल वाली रिपोर्ट की चर्चा हो रही थी मेरे ऑफिस में. तुम अपनी रिपोर्ट भुना नहीं पाए आदि.
मैंने कहा : धान का बीज तैयार करने से पहले मिट्टी को पैरों तले रौंदना पड़ता है ताकि वह नरम हो जाए. वही कर रहा हूं. इसके बाद जामुन खाने का प्लान है.
हां, अनिल अंबानी मुझसे एक बात और जानना चाह रहा था कि मेरा सोर्स कौन है -- वह सरकार में है या उसकी कंपनी में?
मैंने कहा : खुद पता कर लो. मुझे खुशी है कि मेरा सोर्स सलामत है! (nationalheraldindia.com)