विचार / लेख

परदेसियों से न अंखिंयां मिलाना
14-Dec-2021 4:08 PM
परदेसियों से न अंखिंयां मिलाना

-प्रकाश दुबे
दलील में दम है। परदेशी भारत में धर्म और समाजसेवा के नाम पर चंदा नहीं दे सकते। दूसरे देश के अंदरूनी मामलों में न दखल दे सकते हैं और न उनकी दखलंदाजी सहन की जाएगी। चीन का नाम लेकर विरोध करने में कूटनीति आड़े आती हो, भारत के किसी नेता का चीन जाना सहन नहीं होगा। चीन धर्म नहीं मानता। रोम का पोप का अमन चैन पर विश्व में राज्य स्तर के नेता को आमंत्रित करना सहन नहीं होगा। हद हो गई। भगवान की बराबरी का प्रचार पाने वाले नेताओं की अनदेखी कर समधर्मी पड़ोसी देश महिला को मार्गदर्शन करने बुलाए। चीन के आठ दिन का दौरा और रोम का सम्मान पुरानी बात है। भारत सरकार ने ममता बनर्जी को नेपाल जाने की अनुमति नहीं दी। कारण? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को नेपाली कांग्रेस ने आमंत्रित किया। विदेश सचिव और चीन में राजदूत रहे जयशंकर का निर्णय है। महामारी से अधिक खतरा इन दिनों ममता बनर्जी से है।

तुझे सलाम
संसद के दोनों सदनों ने देश के पहले रक्षा मामलों के मुखिया को श्रद्धांजलि दी। जनरल विपिन रावत के साथ ही दर्जन भर अन्य फौजी भी हुतात्मा हुए। देश सदमे में था। राज्यसभा में मांग उठी कि सरकार के साथ ही नेता प्रतिपक्ष मल्लकार्जुन खरगे को भी श्रद्धांजलि देने का अवसर दिया जाए। मांग नहीं मानी गई तो नई पार्टी की तरफ से राज्यसभा में पहुंची सुष्मिता देव भडक़ गईं। उन्होंने कहा-श्रद्धांजलि देना तक सिर्फ सरकार ने अपना हम मान लिया। कई बार संसद में पहुंचे नेताओं ने संयम से काम लिया। दर्जन भर सांसदों के निलंबन के कारण कई दिनों से महात्मा गांधी के पुतले के सामने दर्जन भर दल धरना दे रहे हैं। देश के सबसे बड़े बड़े फौजी अफसर की दुर्घटना में मौत के कारण वह भी टाल दिया गया। संसद में बोलने का समय न मिलने के बाद उन्होंने दूसरा तरीका निकाला। गांधी जी के पुतले के आसपास के गमलों में छोटी तख्तियां खोंस दीं। उनमें लिखा था- जनरल रावत और शहीद जवानों को सलाम।  

ढाई आखर
पढ़े लिखे लोगों की लड़ाई में गोलियां बारूदी होती हैं, पर बारूद की नहीं। कहते हैं न, मूरख मारे टेंड़पा लाठी फूट खुपडिय़ा  कपाल जाए। ज्ञानी मारे ज्ञान से रोम रोम भिद जाए। कई पार्टियों का अनुभव लेने के बाद केरल के राज्यपाल बने आरिफ मोहम्मद खान ने यही किया। केरल के विश्वविद्यालयों में वाम विचार के लोगों को महत्व देने पर उनसे अधिक उनको स्थापित करने वाले वर्ग को आपत्ति थी। लाट साहब ने लठ उठाया। रोकने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री से इस बात पर ठन गई। केरल कोई महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ तो नहीं है, जहां राज्यपाल अपनी मर्जी से कुलपति नियुक्त करे। पेशे से वकील आरिफ साहब ने जवानी में राजनीति के दांव डॉ. राम मनोहर लोहिया से सीखे थे। गांधी और लोहिया का राम राज्य अब नए निजाम की राम भक्ति में बदल चुका है। इस काकटेल के प्रभाव में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। खत का मजमून है-हे पिनयारी विजयन नाम के मुख्यमंत्री। यदि मेरी बात पर गौर नहीं करना चाहते तो मेरी जगह तुम ही कुलाधिपति बन कर फैसला करो। संसदीय इतिहास में किसी राज्यपाल का मुख्यमंत्री के नाम पहला खास प्रेमपत्र चर्चित होगा ही।    

जनम जनम के फेरे
हरियाना के खाप समुदाय को कोसने वाले समता और समाजवाद को बेनकाब होते हुए देख रहे हैं। जाति और परिवारवाद के साथ समाजवाद को एक पंगत में बिठाने वाले लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी ने दूसरे धर्म की लडक़ी के साथ फेरे लिए। मां-बाप-भाई को परेशानी नहीं है। जीजा से कुपित दूल्हे का मामा कुरता फाड़ रहा है। साधु मामा ने जीजा की बदौलत सांसदी से लेकर कोठियों तक बहुत कमाई की है। अब उन्हें जाति का सम्मान याद आया। न भांजे को आर्शीवाद देने गए और न चुप रहे। राजनीति में लाने और खुराफात करने के बाद लतिया कर धकियाने वाले जीजा और भांजे को गरिया रहे हैं। नाम साधु है परंतु धमका रहे हैं-सावधान। सबकी करतूत जानता हूं। भांडा फोड़ दूंगा। विदेशी बहू के नाम पर सोनिया और फेरे लेने के बाद पत्नी को भूलने वाले नरिन्दर भाई भी इस नए तमाशे से हैरान हैं।
 (लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)
 

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