विचार / लेख

तीन साल में छत्तीसगढ़ को नई पहचान मिली ?
18-Dec-2021 1:41 PM
तीन साल में छत्तीसगढ़ को नई पहचान मिली ?

-डॉ. लखन चौधरी

छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार ने तीन साल के कार्यकाल में अपने घोषणापत्र के लगभग सभी बड़े वादे पूरे कर दिये हैं, और इस समय राज्य की विशेषकर ग्रामीण जनता सरकार के कामकाज से लगभग खुश एवं संतुष्ट दिखती एवं लगती है। शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सरकार कुछ खास कर रही है। मगर शराबबंदी पर सरकार लगातार यू-टर्न ले रही है। ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ जमीन पर दिखती नहीं है। राज्य में प्रशासनिक कसावट के लिए कवायदें जारी हैं, लेकिन विभागीय कामकाज में दिखता नहीं है। अधिकारियों-कर्मचारियों की मनमानी पर लगाम लगाने में सरकार नाकाम रही है। स्पष्ट है राज्य में कुछ जरूरी बदलाव की बयार आना अभी भी बाकि है।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया है। इस कार्यकाल में सरकार अपने घोषणापत्र के मुताबिक जनता से किए गए वादे पर खरा उतरने की बात कह रही है, और अपने कार्यकाल को सफल बता रही है एवं इस सफलता के लिए जश्न मना रही है। विपक्ष विफलताओं को गिना रही है। इस बीच महत्वपूर्णं सवाल यह है कि इन तीन सालों में आमजनता को क्या मिला? मीडिया विज्ञापन लेकर गुणगान, यशगान भी कर रही है, और विपक्ष से विज्ञापन लेकर दबे स्वर में खामियों की तरफ भी ईशारा कर रही है। असली सवाल यही है कि सत्ता परिवर्तन के इन छत्तीस महीनों में जनता के हाथ एवं हक में क्या आया? इस बीच राज्य की जनता की क्या प्रतिक्रिया है? इस पर भी विमर्ष होना चाहिए।

जनता के सपने कितने पूरे हुए जो उसने उस दिन देखे थे, जब उसने भाजपा के 15 सालों की सत्ता को बदलने का साहस किया था? क्या वाकई इन तीन सालों में राज्य के हालातों में सुधार हुआ या आया है ? इस तीन साल में आम आदमी के लिए सरकार के दरवाजे कितने खुले, कितने आसान और सुलभ हुए? क्या इस अवधि में आमजनता के छोटे-छोटे काम आसानी से होने लगे हैं? राज्य की नौकरशाही पर कितना लगाम लगा है? या नौकरशाही कितनी सुधरी है? नौकरशाही के कामकाज में कितना सुधार एवं बदलाव आया है? आमजनता के प्रति अधिकारियों और कर्मचारियों के व्यवहार में कितना बदलाव एवं सुधार आया है? आखिरकार सरकार की उपलब्धियों का मूल्यांकन का पैमाना क्या हो या क्या है या क्या होता है? क्या सरकार को उपलब्धियों का जश्न मनाने का नैतिक अधिकार होता है? क्या हमारे जनप्रतिनिधि जनता को गुमराह करने से बाज आ रहे हैं?

शराबबंदी की दिशा में सरकार ने क्या पहल की है? क्या अब आमजनता के काम बिना रिश्वत दिए होने लगे हैं? क्या सडक़ों की हालत सुधरी है? क्या सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने को लेकर कोई बड़े काम की नींव रखी गई है? क्या युवाओं के रोजगार को लेकर कोई बड़ी पहल हुई है? क्या प्रशासनिक सुधार को लेकर कोई ठोस पहल हुई है? क्या किसानों को खाद-दवाईयां समय पर मिलने लगे हैं? क्या सडक़ों और गलियों से आवारा पशुएं, कुत्ते, गाय और जानवर गायब हो गए हैं? क्या नदी-नालों में पानी रुकना शुरू हो गया है? क्या अखबारों से बड़े-बड़े विज्ञापन बंद हो गए हैं? क्या बिना मतलब के बड़े-बड़े सरकारी कार्यकम, समारोह आयोजित होना बंद हुए हैं? जिनकी उपयोगिता, फलदायकता और सार्थकता बिल्कुल भी नहीं रहती है। क्या सरकार के एजेंट अब लोगों को गुमराह करना एवं ठगना बंद कर दिए हैं ? क्या शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी सहित गैर शैक्षणिक गतिविधियों से मुक्त कर दिया गया है ?

छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि सरकार ने आमजनता के बीच एक विश्वास कायम करने में सफलता हासिल की है। भाजपा के 15 साल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ की जनता जिस तरह से हाशिए पर जा रही थी, उस विश्वास को जीतने में इस सरकार ने भरपूर प्रयास किया है। इधर घोषणापत्र में किए गए वादे के मुताबिक सरकार ने बड़ी मात्रा में किसानों की कर्जमाफी की है। 2500 रूपये के समर्थन मूल्य पर धान खरीदी हो रही है। बिजली बिल आधा किया गया है। जमीन और प्रापर्टी के सरकारी मुल्यों पर 30 की कटौती जारी है। कुल मिलाकर सरकार ने अपने घोषणापत्र के लगभग सभी बड़े वादे पूरे कर दिए हैं, और इस समय राज्य की अधिकांश जनता सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखती एवं लगती है।

मगर शराबबंदी पर सरकार लगातार यू-टर्न ले रही है। ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ अभी तक केवल एक जुमला साबित हुई है। इस पर कोई ठोस पहल नहीं हुई है। प्रशासनिक कसावट का अभाव है। अधिकारियों-कर्मचारियों की मनमानी पर लगाम लगाने में सरकार नाकाम रही है। बहुत कुछ अच्छे काम हुए हैं, लेकिन बहुत काम अभी बाकि है। इन तीन सालों में राज्य को राष्ट्रीय स्तर एक नई पहचान मिली है, इसमें कोई दो मत नहीं है।

सवाल उठाना इसलिए भी बेहद जरुरी है, क्योंकि पिछली सरकार से जनता ठगा हुआ महसूस कर रही थी और इसलिए सरकार बदलने का साहस किया है। जनता एवं विपक्ष को आलोचना करने का हक और अधिकार है। तभी तो आने वाले समय में सुधारों की उम्मीद रहती है। देखना है बचे दो सालों में राज्य सरकार आम जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरती है और खरा उतरने के लिए कितनी तैयार और तत्पर है? याद रखिए बचे दो सालों में सरकार यदि जनमानस का विश्वास बनाए रखनेे में असफल होगी तो हाथ से सत्ता निकलना तय है, लेकिन बचे सालों में जनता का विश्वास इसी तरह कायम रहा तो सरकार की वापसी भी लगभग तय दिखती है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news