विचार / लेख

वन में बाजारवाद का पदार्पण क्या गुल खिलाएगा?
02-Mar-2022 5:20 PM
वन में बाजारवाद का पदार्पण क्या गुल खिलाएगा?

   3 मार्च विश्व वन्यजीव दिवस   

-प्राण चड्ढा

बड़ी खुशी की बात है कि धरती के श्रृंगार वन्यजीवों को बचाना आज एक महत्वपूर्ण अभियान का रूप ले रहा है लेकिन हम उनके रहवास को पर्यटन से जोडक़र उनके मौलिक स्वभाव को तब्दील करते जा रहे हैं। बाजारवाद जंगल में पहुंच कर अपना रंग दिखा रहा है। इस पर विचार करना जरूरी होगा कि हम अपने नेशनल पार्क और सेंचुरी के जीवों के स्वाभाव में जो तब्दीली ला रहे हैं वह क्या गुल खिलायेगा?

टाइगर जंगल का राजा है। आज जब कान्हा और बांधवगढ़ नेशनलपार्क में यह जिप्सी के सामने कैटवाक करते चलता है तब फोटो लेने वाले बेखौफ हो कर पर्यटक शॉट लेने जुट जाते हैं। वह तो जिप्सी में सवार गाइड और ड्राइवर की मेहबानी है कि सम्मानजनक दूरी बनाए टाइगर के आगे या फिर पीछे गाड़ी चलाता है।

बच्चे वाली टाइग्रेस की फोटो लेते समय शावक को यह सबक मिल जाता है कि चाहे तू जंगल का राजा बनेगा पर जिप्सी वाले तेरे से बड़े और मजबूत हैं तभी तुम्हारी मां इनको कुछ नहीं बोल रही। जिप्सी जंगल में तय गति सीमा पर चलती है लेकिन मोड़ पर यदि बच्चे वाली टाइग्रेस हो तो चार में दो या तीन बच्चे मां के साथ रह जाते हैं और शेष सडक़ पार कर जाते हैं। उधर जिप्सी बीच में फोटोग्राफी के लिए रुक जाती है। मां भी बच्चे का इंतज़ार करती दूसरी तरफ खड़ी रहती है। यह वह वक्त होता है जब पीछे रह गया शावक मां से अलग होकर भटक जाता है।

जंगल में अब हाथी पर चढक़र दिखाया जाने वाला टाइगर शो बन्द हो गया है। एक दशक पूर्व ये हाथी टाइगर को घेरे रहते थे और हाथी से सैलानियों को ले जाकर टाइगर दिखाया जाता था। इसके बावजूद अब भी कुछ जंगल में ऐसा है कि टाइगर झाडिय़ों के पीछे हो तो हाथी की सेवा मिल जाती है। यह भी बंद होनी चाहिए। जब सैलानी जंगल में हों तो हाथी और महावत के जंगल जाने पर रोक लगाई जा सकती है।

एक मार्च को छतीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने प्रेस क्लब बिलासपुर में कहा कि अचानक मार टाइगर रिजर्व को कान्हा नेशनल पार्क के समान विकसित किया जाएगा। मुझे यह मजाक सुनने की आदत हो गई है। अचानकमार में गर्मी में वन्यजीव पानी को तरसते हैं, जबकि कान्हा में होलोन और बंजर नदी सदानीरा हैं। वहां बड़े-बड़े मैदान में आर्द्र भूमि है, जो बारहसिंघा की पहली पसंद है। शायद वन मंत्री को यह भी नहीं बताया गया होगा कि अचानकमार में दस दिनों से कोई डेढ़ दर्जन हाथी मटरगश्ती कर हैं और उनकी खौफ व सुरक्षा के मद्देनजर सैलानियों की जिप्सी सफारी बंद है।

हाथियों की जंगल में उपस्थिति जंगल और वन्यजीवों के लिए लाभदायक है। उनको अचानकमार में स्थायी रहवास बना लेना चाहिए। छतीसगढ़ के बारनवापारा सेंचुरी में कुछ साल पहले जंगली हाथी पहुंचे। इसके पहले सींग वाले जीव जब सफारी जिप्सी को देखते तो सरपट भाग निकलते थे, लेकिन हाथियों के आने का लाभ मिला। हाथियों ने बैरियर उखाड़ फेकें। सूचना के बोर्ड को झुका दिया। बस यह उनके आधिपत्य का संकेत था, जिसे जंगल में घुसकर शिकार करने वाले, लकड़ी काटने वाले की फिर हिम्मत नहीं हुई। महाकाय शाकाहारी हाथी की पनाह में धीरे-धीरे चीतल, सांभर बेखौफ दिखने लगे और उनकी संख्या भी बढ़ गई। यहां टाइगर नहीं लेकिन तेंदुए की शानदार उपस्थिति दर्ज होती है।

हाथी ऐसा जीव है जो आज तक अपने अस्तित्व और मानव द्वारा कब्जे में की गई जमीन के लिए लड़ रहा है। अचानकमार टाइगर रिजर्व में कुछ टाइगर हैं। यह नहीं कहा जा सकता कि वे यहां पैदा हुए हैं या फिर कान्हा से अचानकमार को जोडऩे वाले जंगल कॉरिडोर से इधर किन्हीं कारणों से पहुंचे हैं। हाथी यदि इस जंगल को अपना लेते हैं तब पार्क एरिया में बसे 19 गांववालों को सतर्क रहना होगा पर सींग और खुर वाले वन्यजीवों की बढ़ोत्तरी ठीक उसी तरह होगी जैसे बारनवापारा सेंचुरी में हुई है।

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