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छत्तीसगढ़ एक खोज : साठवीं कड़ी : प्रवीर चंद्र भंजदेव : एक अभिशप्त नायक या आदिवासियों के देव पुरुष
20-Mar-2022 5:21 PM
छत्तीसगढ़ एक खोज : साठवीं कड़ी :  प्रवीर चंद्र भंजदेव : एक अभिशप्त नायक या आदिवासियों के देव पुरुष

रमेश अनुपम

छत्तीसगढ़ एक खोज में बस्तर महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव पर लिखते हुए मुझे लगा कि खाली उपलब्ध तथ्यों को खंगालते हुए किसी नए तथ्य का अनुसंधान कर पाना मेरे लिए संभव नहीं है। मुझे लगा कि इसके लिए एक बार मुझे जगदलपुर जाकर ग्राउंड रिपोर्ट भी करनी चाहिए।

सो ‘देशबंधु’ के पूर्व पत्रकार भरत अग्रवाल जिनका एक लंबा अरसा बस्तर में बीता है, उनके साथ मैं बस्तर की यात्रा पर निकल पड़ा महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की तलाश में।

जगदलपुर में मदन आचार्य से इस यात्रा को लेकर पहले ही बात हो गई थी। इसलिए जगदलपुर में उनके साथ होने से लोगों से संपर्क स्थापित करना मेरे लिए आसान हो गया था।  

बस्तर की यात्रा मेरे लिए एक बेहद जरूरी यात्रा थी। यह यात्रा एक तरह से इतिहास के उन गुम हो चुके पन्नों की खोज में थी जिससे कि मैं बस्तर गोलीकांड की धमक को जो अब भी गूंज रही हैं, उसे सुन सकूं।

आदिवासियों की करुण चीत्कार अब भी धीमी-धीमी ही सही राजमहल के आसपास सुनाई देती है जिसे मैं महसूस कर सकूं।

यह यात्रा बेहद काम की सिद्ध हुई। ऐसे कई बुजुर्गों से मुलाकात हुई जो इसके प्रत्यक्षदर्शी थे। जिन्होंने उस समय महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव को और 25 मार्च 1966 के बस्तर गोलीकांड को निकट से देखा था।

जगदलपुर में राजमहल के पास ही रहने वाले छियानबे वर्षीय शिक्षाविद, पत्रकार, संपादक श्री बसंत लाल झा से मिलना, उस दौर के एक ऐसे दुर्लभ शख्स से मिलना था, जिनकी स्मृतियों में अब भी महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव और बस्तर गोलीकांड के धूसर बिम्ब चमक उठते हैं । जिनकी आंखों में आज भी उन दिनों की यादें एक-एक कर घिर आती हैं।

96 वर्षीय श्री बसंत लाल झा के पास उन दिनों की ढेर सारी यादें और बातें हैं। गनीमत है कि उम्र ने अब तक उनकी स्मृतियों के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं की है जैसा कि एक लंबी उम्र के बाद होता है।

श्री बसंत लाल झा महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव से मिलते-जुलते रहते थे। जगदलपुर में शिक्षा का अलख जगाने के उद्देश्य से उनके साथ मिलकर सन् 1956 में प्रवीर शिक्षा समिति का गठन भी किया था। महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव इसके अध्यक्ष थे और श्री बसंत लाल झा इसके सचिव।

श्री बसंत लाल झा बताते हैं कि महाराजा रेशमी वस्त्र के शौकीन थे। कुर्ता पजामा उनका प्रिय परिधान था। सौम्य और आकर्षक व्यक्तित्व के वे धनी थे।

श्री बसंत लाल झा महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव को याद करते हुए कहते हैं :  “ He is very nice person. He is realy prince .He is very handsom and lovely.”


वे बताते हैं कि महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की बहन की शादी के समय जितने भी राजा-महाराजा जगदलपुर में सम्मिलित हुए थे उनमें सबसे सुंदर और आकर्षक केवल बस्तर महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव ही थे।

श्री बसंत लाल झा महाराजा के बेहद निकट थे। एक घटना के विषय में जानकारी देते हुए वे बताते हैं कि महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव से कांग्रेस के लोग इसलिए नाराज रहते थे क्योंकि वे कांग्रेस के अपोज में थे।

एक बार कांग्रेस के दुर्ग अधिवेशन में महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल से मिले और कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अधीन जब्त की गई अपनी संपत्ति की चर्चा की। पर मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में उनसे कह दिया था कि जब तक वे कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे उन्हें एक धेला भी नहीं मिलेगा।

महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की लाइब्रेरी की चर्चा करते हुए श्री बसंत लाल झा बताते हैं कि उनकी लाइब्रेरी बहुत समृद्ध थी। अंग्रेजी की ढेर सारी और महत्वपूर्ण किताबें उनकी लाइब्रेरी में थी। उनकी लाइब्रेरी में एंथ्रोपोलॉजी की एक पूरी सीरीज थी।

जगदलपुर के वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेंद्र वाजपेयी के पास भी उन दिनों की ढेर सारी स्मृतियां आज भी सुरक्षित हैं।  

बस्तर महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव के बारे में वे बताते हैं कि लोग उन्हें पागल समझते थे, जबकि वे ऐसा कदापि नहीं थे। जो उन्हें पागल समझते थे दरअसल वे लोग ही पागल थे।

जगदलपुर के वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेंद्र वाजपेयी उन दिनों की याद करते हुए हमें बताते हैं कि उन दिनों वे बी.ए. प्रथम वर्ष के छात्र थे। 25 मार्च सन् 1966 को उनकी परीक्षा थी। महाविद्यालय राजमहल परिसर में ही संचालित होता था। अचानक 11 बजे राजमहल परिसर में गोली चलने की आवाज सुनाई देने लगी। सभी छात्र-छात्राएं इससे डर गए और पेपर छोड़ कर बाहर की ओर भागने लगे। भागने वाले छात्र-छात्राओं में वे भी शामिल थे।

इस गोलीकांड से मरने वाले आदिवासियों को लेकर उनका मानना है कि पुलिस द्वारा जिस बर्बरतापूर्वक गोलियां चलाईं गई थी उससे 10-12 लोग ही मारें गए हों ऐसा संभव नहीं है। इसमें कम से कम 100-150 आदिवासी तो मारे ही गए होंगे। वे बताते हैं कि गोलीकांड के अगले दिन 26 मार्च को राजमहल के दलपत सागर की ओर खुलने वाले गेट पर 8-10 लाशें देखी गई थी।

वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेंद्र वाजपेयी ने बस्तर महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव के कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अन्तर्गत जब्त की गई संपत्ति के विषय में एक नया रहस्यौद्घाटन कर हम सबको चौंका दिया था।

श्री राजेंद्र वाजपेयी ने इस रहस्य से पर्दा उठाते हुए बेहद गंभीरता के साथ मुझे जानकारी दी कि बस्तर महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की कोर्ट ऑफ वार्ड्स के तहत जब्त की गई संपत्ति उन्हें कभी भी वापस नहीं की गई।

उन्होंने बताया कि यह संपत्ति आज भी जिला कोषालय में अपनी मुक्ति का इंतजार कर रही है।

महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अंतर्गत जब्त की गई टी संपत्ति को लेकर यह मेरे लिए एक नई और चौकाने वाली जानकारी है।

कोषालय के एक सेवानिवृत अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए मुझे फोन पर बताया कि बस्तर महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अंतर्गत जब्त की गई संपत्ति आज भी बॉक्स में जिला कोषालय में रखी हुई है।

अंत में एक सवाल तो पूछा ही जा सकता है कि अगर यह सौ प्रतिशत सच है ? तो क्या कोषालय में कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अंतर्गत जब्त कर रखी हुई उस संपत्ति में क्या सब कुछ सुरक्षित और ठीक-ठीक अवस्था में है ?

इसका आखिरी बार निरीक्षण कब किया गया है ?

कोर्ट ऑफ वार्ड्स का निर्धारण आखिरकार कब और कैसे किया जाएगा ?

इन सारे सवालों का जवाब जिला प्रशासन और शासन दोनों को ही देना चाहिए।

(बाकी अगले हफ्ते)

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