विचार / लेख

यूक्रेन, भारत और चीन
23-Mar-2022 11:40 AM
यूक्रेन, भारत और चीन

 बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई अपनी द्विपक्षीय वार्ता में वही बात कही, जो जापान के प्रधानमंत्री फ्यूमिओ किशिदा ने कही थी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूक्रेन के सवाल पर रूस की आलोचना की और यह भी कहा कि रूस ने यूरोप में जो खतरा पैदा किया है, वैसा ही खतरा एशिया में चीन पैदा कर सकता है। इन दोनों देशों में कई नेताओं ने यह साफ-साफ कहा है कि यूक्रेन पर जैसा हमला रूस ने किया है, वैसा ही ताइवान पर चीन कर सकता है। चीन पर यह दोष तो पहले से ही मढ़ा हुआ है कि वह चीनी दक्षिण सागर और जापान के एक टापू पर अपना अवैध वर्चस्व जमाए हुआ है। इन दोनों नेताओं के साथ मोदी ने इसी बात पर जोर दिया कि सभी देशों की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा की जानी चाहिए और हमले की बजाय बातचीत को पसंद किया जाना चाहिए।

दोनों नेताओं ने भारत को यूक्रेन के दलदल में घसीटने की कोशिश जरुर की लेकिन भारत अपनी नीति पर अडिग रहा। जापान और आस्ट्रेलिया ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस के खिलाफ मतदान किया और उस पर थोपे गए प्रतिबंधों का समर्थन किया लेकिन भारत ने अमेरिका के इशारे पर थिरकने से मना कर दिया। भारत को डराने के लिए इन राष्ट्रों ने चीन का घडिय़ाल भी बजाया लेकिन आश्चर्य है कि इन्होंने अपनी पत्रकार-परिषद और संयुक्त वक्तव्य में एक बार भी गलवान घाटी में चीनी अतिक्रमण का जिक्र तक नहीं किया। इसका अर्थ यही निकला कि हर राष्ट्र अपने राष्ट्रीय स्वार्थो की ढपली बजाता रहता है और यह भी चाहता है कि दूसरे राष्ट्र भी उसका साथ दें।

यह अच्छा है कि भारत ने कई बार दो-टूक शब्दों में कह दिया है कि चौगुटा (क्वाड) नाटो की तरह सामरिक गठबंधन नहीं है लेकिन चीनी नेता इस चौगुटे को नाटो से भी बुरा सैन्य-गठबंधन ही मानते हैं। वे इसे ‘एशियन नाटो’ कहते हैं। उनका मानना है कि शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद नाटो जैसे सैन्य संगठन को विसर्जित कर दिया जाना चाहिए था लेकिन उसके साथ पहले तो रूस के पूर्व प्रांतों को जोड़ लिया गया और अब यूक्रेन को भी शामिल किया जाना था। अमेरिका की यही आक्रामक नीति ‘क्वाड’ के नाम से एशिया में थोपी जा रही है। चीन को पता है कि अमेरिका की यह आक्रामकता यूरोप और एशिया, दोनों का भयंकर नुकसान करेगी। चीन के विदेश मंत्री शीघ्र ही भारत आनेवाले हैं। इस समय यूक्रेन पर भारत और चीन का रवैया लगभग एक-जैसा ही है। (नया इंडिया की अनुमति से)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news