विचार / लेख

कैसे सुप्रीम कोर्ट की सुप्रीमेसी पर विश्वास करेंगे ?
27-Aug-2022 12:30 PM
कैसे सुप्रीम कोर्ट की सुप्रीमेसी पर विश्वास करेंगे ?

-गिरीश मालवीय
कल चीफ जस्टिस एनवी रमण रिटायर हों गए अपने विदाई भाषण में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर अधिक ध्यान न दे पाने को लेकर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि लंबित मुद्दों के बढ़ते बोझ का समाधान खोजने के लिए आधुनिक तकनीकी उपकरणों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।

आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा ?
देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना भले ही मास्टर ऑफ रोस्टर रहे हों और कोर्ट की 16 पीठों में सुनवाई के लिए मुकदमों का वितरण करते हों, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि कई मामलों में आदेश के बावजूद मुकदमा बेंच के आगे सुनवाई के लिए पहुंच ही जाए। मुकदमों की लिस्टिंग को लेकर वे सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के आगे बेबस हैं।

यानि एक सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ी एक संस्था है जो यह डिसाइड करती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस किस दिन कौन सा मामला सुनेंगे ?

पिछले हफ्ते बुधवार को एनवी रमना के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध एक मामले को रजिस्ट्री द्वारा हटा देने से वे इतने क्षुब्ध हुए कि उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर 26 तारीख को अपने विदाई भाषण में बोलेंगे।

दरअसल मुख्य न्यायाधीश के समक्ष एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि उनका मामला सूचीबद्ध था, लेकिन बाद में उसे सूची से हटा दिया गया वरिष्ठ वकील ने कहा कि सूची से मामले के अंतिम समय में हटने से दिक्कतें होती हैं। हम रात को आठ बजे तक तैयारी करते हैं। वादी से भी बातचीत होती है। अगले दिन जब सुनवाई का मौका आता है तो पता चलता है कि उसकी जगह कोई और मुकदमा सूचीबद्ध है।

लगभग महीने भर पहले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने रजिस्ट्री अधिकारियों से जवाब मांगा था कि मुकदमा एक निश्चित दिन पर लगाने का आदेश जारी होने के बावजूद उसे क्यों नहीं लगाया गया।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ को एक मामले के बारे में कोर्ट मास्टर ने बताया कि मामला रजिस्ट्री द्वारा हटा दिया गया था। जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ ने इस पर हैरानी के साथ-साथ नाराजगी जताते हुए कहा कि जज हम हैं या रजिस्ट्री? हद होती है, अगर हटाना था तो कम से कम बताना चाहिए कि क्यों हटा रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम मामले पढ़ते हैं और आते हैं और फिर हमें बताया जाता है कि वे रजिस्ट्री द्वारा हटा दिए गए हैं।

इस महिने की शुरुआत में जस्टिस एमआर शाह ने भी रजिस्ट्री को मनमाना रवैया अपनाने पर कड़ी नाराजगी जताई। जस्टिस शाह ने कोर्ट मास्टर को संबोधित करते हुए कहा कि वो (रजिस्ट्रार) कौन होते हैं यह तय करने वाले? उनका इससे कोई लेना देना नहीं है। यह उनका काम ही नहीं है कि क्या डिलीट होगा और क्या एड होगा। जो बेंच तय करती है, उसी के मुताबिक रजिस्ट्री काम करता है, लेकिन वो कहते हैं कि ज्यादा मैटर थे इसलिए हमने डिलीट कर दिया। ये कोई तरीका है उनके काम करने का? रजिस्ट्री के अधिकारियों के रवैए से नाराज जस्टिस शाह ने कहा कि यह नहीं चलेगा। वह तय नहीं करेंगे। वो मास्टर नहीं हैं, हम मास्टर हैं।

 इससे पहले भी एक मुख्य न्यायाधीश ने रजिस्ट्री के अधिकारियों को कोर्ट में ही बैठा लिया था और कहा था कि वे सुनें वकील कैसे शिकायत करते हैं।

कुछ साल पहले जब न्यायमूर्ति जस्ति चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, कुरियन जोसेफ और मदन बी। लोकुर ने एक प्रेस कांफ्रेंस की थी तो उन्होंने उस वक्त के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के बारे में कहा था कि वे अपनी ‘पसंद की पीठों’ को ‘चुनिंदा मामले सौंप कर’ लंबे समय से स्थापित प्रोटोकॉल को तोड़ रहे हैं।

दरअसल ‘रोस्टर का मास्टर’ होने के नाते मुख्य न्यायाधीश को कोर्ट के दूसरे जजों को मामले आबंटित करने का विशेषाधिकार हासिल है। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर ही मामलों का आबंटन करती है

अब कमाल की बात यह है कि चीफ जस्टिस एनवी रमना एक तरह से बोल रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री अपनी मर्जी से मामलों की लिस्टिंग कर उनकी डेट दे रही है।

अब आप ही बताइए कि आप कैसे सुप्रीम कोर्ट की सुप्रीमेसी पर विश्वास करेंगे ? जाहिर है जिसके पास सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री का प्रभार है वो ही सर्वोच्च है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news