विचार / लेख
फोटो क्रेडिट सत्यप्रकाश पांडेय
सरकार की 50,000 करोड़ की योजना
लॉकडाउन के बाद कारखाने बंद हो गए, दिहाड़ी मजदूरों का काम छिन गया और उन्हें शहरों से पलायन कर गांवों की ओर जाना पड़ा. गांवों में रोजगार के अवसर पहले भी कम थे.
- आमिर अंसारी
भारत सरकार प्रवासी श्रमिकों को गांवों में आजीविका का साधन मुहैया करवाने के लिए 20 जून को 50,000 करोड़ रुपये के फंड के साथ "गरीब कल्याण रोजगार अभियान" की शुरुआत करने जा रही है. रोजगार की इस मेगा योजना की शुरुआत बिहार के खगड़िया जिले के एक गांव से होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक यह योजना देश के छह राज्यों के 116 जिलों में शुरू की जाएगी. यह ऐसे जिले हैं जहां कोरोना काल के दौरान शहरों से वापस आने वाले मजदूरों की संख्या 25,000 से ज्यादा है.
वित्त मंत्री ने बताया कि इन 116 जिलों में बिहार के 32 जिले और उत्तर प्रदेश के 31 जिले शामिल हैं. सबसे ज्यादा श्रमिक उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में लौटे हैं. सरकार के मुताबिक इस योजना के तहत प्रवासी मजदूरों को 125 दिनों तक रोजगार के अवसर मुहैया करवाए जाएंगे और इन सभी जिलों में रोजगार के इच्छुक श्रमिकों को काम मिलेगा. वित्त मंत्री के मुताबिक, "गरीब कल्याण रोजगार अभियान" के तहत 25 तरह के कार्यो को शामिल किया गया है.
वित्त मंत्री ने गुरुवार को कहा कि इस योजना के तहत जहां प्रवासी श्रमिकों को आजीविका का साधन मिलेगा वहीं दूसरी ओर आकांक्षी जिलों में बुनियादी संरचनाओं का विकास होगा. इसके तहत जल जीवन मिशन, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना समेत गांवों में संचालित कई योजनाएं शामिल हैं.
कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए शहरों से बड़े पैमाने पर लोग गांवों की तरफ पलायन कर गए थे. इनमें कुशल और अकुशल श्रमिक दोनों शामिल हैं. भारत सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर उन जिलों को मैप किया है जहां पर ये प्रवासी श्रमिक बहुत हद तक लौट कर आ चुके हैं और यह पाया गया कि बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा जैसे 6 राज्यों में लगभग 116 जिलों में घर लौटने वालों की संख्या पर्याप्त मात्रा में है, जिसमें 27 आकांक्षी जिले भी शामिल हैं.
केंद्र सरकार का कहना है कि उसने संबंधित राज्य सरकारों के साथ मिलकर इन प्रवासी श्रमिकों की कौशल मैपिंग की और उनमें से अधिकांश को किसी न किसी प्रकार के कार्य में कुशल पाया गया है. इसके आधार पर और 4 महीनों के दौरान उनकी कठिनाइयों को कम करने के लिए, भारत सरकार ने वापस लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों और ग्रामीणों को आजीविका का अवसर मुहैया करने के इरादे से ग्रामीण लोक निर्माण योजना "गरीब कल्याण रोजगार अभियान" शुरू करने का फैसला किया.
गरीबों को कितना लाभ
125 दिनों तक चलने वाला यह अभियान मिशन मोड के रूप में काम करेगा, जिसमें एक ओर प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने और दूसरी ओर देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए अलग-अलग तरह के 25 कार्यों का तेज और केंद्रित कार्यान्वयन किया जाएगा. इस योजना पर 50,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. सरकार का अनुमान है कि इस योजना से करीब एक तिहाई प्रवासी मजदूर लाभान्वित होंगे.
सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर तो पैदा होंगे ही साथ ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी ढांचा भी तैयार होगा. हालांकि यह आने वाले वक्त में देखने होगा कि इस तरह की योजना से गरीब अपने गांव ही में रहते हैं या फिर अधिक कमाई के लिए पहले की तरह शहरों की ओर रुख करते हैं.(www.dw.com/hi)